दोहा वार्ता के एजेंडे पर अफगान सरकार व तालिबान के बीच शांति वार्ताकारों की दूसरे दिन भी मुलाकात हुई। हालांकि अब तक इन मुलाकातों के दौरान हुई बातचीत के बारे में सार्वतनिक तौर पर कुछ बताया नहीं गया है। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के वार्ताकारों की टीम के सदस्य गुलाम फारुक माजरोह ने बताया, ‘अब तक इस बैठक के बारे में किसी तरह का ब्यौरा सामने नहीं आया है लेकिन दोनों पक्षों ने वार्ता के लिए उम्मीद प्रकट की है। यह उम्मीद की जा रही है कि दोनों ओर से डिमांड की लिस्ट तैयार कर ली गई है और एजेंडे पर आधारित वार्ता कराई जाएगी।’
इस बीच अमेरिका के विशेष दूत जलमय खलीलजाद (Zalmay Khalilzad) ने तालिबान के डिप्टी लीडर अब्दुल गनी बरादर से कतर में मुलाकात की और बचे कैदियों की रिहाई पर चर्चा कर बैकलिस्ट से नामों को हटाया।
शांति वार्ता के लिए नियमों और प्रक्रियाओं के बारे में महीनों की जद्दोजहद के बाद, अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच कतर की राजधानी दोहा में बातचीत शुरू हुई। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, बयान में कहा गया है, बैठक का एजेंडा तय करने के लिए इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान और विपक्षी पक्ष की संयुक्त समिति की पहली बैठक दोहा में हुई थी। दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता औपचारिक रूप से 12 सितंबर को दोहा में शुरू की गई थी। हालांकि, नियमों पर असहमति के कारण वार्ता में देरी हुई।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने एक दिन पहले ही देश की हाई काउंसिल फॉर लेशनल रिकंसिलिएशन (एचसीएनआर) की पहली बैठक का उद्घाटन किया था। इस दौरान उन्होंने तालिबान से देशव्यापी युद्धविराम का पालन करने के लिए आह्वान किया जिसे आतंकी समूह ने मानने से इनकार कर दिया। बैठक को संबोधित करते हुए, एचसीएनआर के अध्यक्ष, अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि अफगान लोगों को पहले से कहीं अधिक राजनीतिक एकता और एक जरूरी समावेशी संघर्ष विराम की सख्त जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र मिशन के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2009 से अफगानिस्तान में सशस्त्र संघर्ष में 35,000 से अधिक अफगान नागरिक मारे गए हैं और लगभग 65,000 घायल हुए हैं।