पूंजी बाजार नियामक सेबी ने आगामी प्रारंभिक पब्लिक आफर (आइपीओ) के मर्चेट बैंकरों को संबंधित कंपनियों के शेयर भाव उचित स्तर पर रखने का स्पष्ट संदेश दिया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि आइपीओ में समुचित मूल्य-निर्धारण बेहद जरूरी है, जिस पर मर्चेट बैंकरों को पूरा ध्यान देना चाहिए। उनके अनुसार मर्चेट बैंकरों को संबंधित नियमों का पालन भी पूरे मनोयोग से करना चाहिए। त्यागी ने मचर्ेंट बैंकरों को आइपीओ लाने के पहले जारीकर्ता कंपनी और निवेशक दोनों के हितों में संतुलन साधने के लिए व्यापक विचार-विमर्श करने की सलाह भी दी।सेबी चेयरमैन का बयान इस लिहाज से महत्वपूर्ण है, कि पिछले दिनों कुछ कंपनियों के आइपीओ आए और उनके शेयर, प्राइस बैंड के मुकाबले सूचीबद्धता के दिन काफी गिरकर खुले और बंद हुए।
खासतौर पर पेटीएम के आइपीओ के बारे में बाजार विश्लेषक लगातार कह रहे थे कि कंपनी ने अपने शेयरों का जो प्राइस बैंड निर्धारित किया है, वह कंपनी के मूल्यांकन के लिहाज से अधिक है। इसी वजह से सूचीबद्धता के दिन ही पेटीएम के शेयर करीब 33 प्रतिशत टूट गए। त्यागी ने कहा कि आइपीओ के मामलों में स्थापित नियमों का पालन नहीं करने वाले किसी भी पक्ष पर कार्रवाई करने में पूंजी बाजार नियामक बिल्कुल नहीं हिचकेगा। सेबी चेयरमैन ने भारतीय निवेश बैंकर संघ (एआइबीआइ) के वार्षिक समारोह में मचर्ेंट बैंकरों की जिम्मेदारियों का उल्लेख करते हुए कहा कि निवेशकों के हितों के साथ निष्पक्षता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
सेबी नए दौर की टेक्नोलाजी कंपनियों के लिए अपने नियमों में बदलाव करेगा। त्यागी के अनुसार चालू वित्त वर्ष आइपीओ के मामले मंें बेहद समृद्ध रहा है। इस वर्ष अप्रैल से नवंबर तक 76 कंपनियों ने आइपीओ के माध्यम से 90,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बाजार में खुदरा निवेशकों की तेजी से बढ़ी संख्या के दम पर शेयर बाजारों में भी खासा तेजी आई है।त्यागी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में अब तक आइपीओ में खुदरा निवेशकों द्वारा लगाई गई रकम 5.43 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंची है। खुदरा निवेशकों के आवेदनों की औसत संख्या चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक 15.65 लाख पर पहुंच गई।
उन्होंने कहा कि प्राइमरी मार्केट में बदलते समय के साथ-साथ कई नई चुनौतियां आई हैं। इनमें आइपीओ लाने वाली कंपनी का गैर-परंपरागत कारोबारी माडल, नए जमाने की कंपनियों के लिए डिस्क्लोजर यानी सूचनाएं जाहिर करने संबंधी जरूरतें और कंपनी का मूल्यांकन संबंधी चुनौतियां हैं। एक चुनौती यह है कि नए जमाने की कई कंपनियां सूचीबद्धता के समय घाटे में होती हैं और नियामक इस वक्त इसकी अनुमति दे रहा है। लेकिन हम इनसे मिले अनुभवों और निवेशकों की प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखेंगे और जरूरी हुआ तो नियमों में बदलाव करेंगे। उल्लेखनीय है कि सेबी इस बारे में नवंबर में एक सलाह पत्र जारी कर चुका है। उससे मिली प्रतिक्रियाओं के आधार पर वह जल्द ऐसी कंपनियों के आइपीओ के तौर-तरीकों और नियमों में संभावित बदलाव पर फैसला करेगा।
यह बयान इसलिए अहम
पहले भी कई बार देखा गया है कि मर्चेट बैंकरों ने आइपीओ समय कंपनी का मूल्यांकन अधिक लगाया है, जिससे शेयरों का प्राइस बैंड अपेक्षाकृत अधिक रखा गया और उन्हें सूचीबद्धता से वैसी सफलता नहीं मिली। हाल ही में पेटीएम की संचालक कंपनी वन97 कम्यूनिकेशंस के आइपीओ के साथ यही देखा गया कि सूचीबद्धता के दिन ही उसके शेयर लगभग 33 प्रतिशत टूट गए। कई विश्लेषक इस आइपीओ के आने से पहले, और शेयरों के टूटने के बाद भी कहते रहे थे कि आइपीओ के तहत शेयरों का प्राइस बैंड कंपनी के वास्तविक मूल्यांकन के लिहाज से अधिक था।
खुदरा निवेशकों का दिख रहा दम
5.43 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंची है चालू वित्त वर्ष में अब तक आइपीओ में खुदरा निवेशकों द्वारा लगाई गई रकम
15.65 लाख पर पहुंच गई खुदरा निवेशकों के आवेदनों की औसत संख्या चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक- 90,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर तक 76 कंपनियों ने आइपीओ से।