राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मचा घमासान अब सत्र के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के उस बयान पर राज्यसभा सचिवालय ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है, जिसमें उन्होंने सभापति पर निलंबन वापसी से पल्ला झाड़ लेने का आरोप लगाया है। राज्यसभा सचिवालय ने पूरे मामले की समीक्षा करने के बाद इस आरोप को सिरे से खारिज किया है। साथ ही कहा है कि निलंबित 12 विपक्षी सांसदों को माफी मांग लेने के बाद निलंबन वापस लेने का प्रस्ताव दिया गया था।
इसके लिए संसद की पुरानी परंपराओं का हवाला भी दिया गया था। लेकिन शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन तक बात नहीं बन पाई थी। शीतकालीन सत्र विपक्ष के हंगामा की भेंट चढ़ गया था। विपक्षी दल जहां निलंबन को गलत करार देते हुए उन्हें तत्काल बहाल करने की मांग पर अड़े हुए थे, वहीं सत्तापक्ष विपक्ष के समक्ष सदन में माफी मांगने का प्रस्ताव रखा था। जबकि सभापति एम. वेंकैया नायडू ने विपक्ष और सत्तापक्ष को एक साथ बैठ कर समस्या का समाधान निकालने की सलाह दी थी।
राज्यसभा सचिवालय इस बात पर भी हैरान है कि 11 अगस्त की सदन में हुई घटना की जांच के लिए सभापति की गठित जांच कमेटी में कई विपक्षी दलों ने अपने सदस्यों को नामित करने से भी मना कर दिया। सचिवालय की ओर से तथ्यों का हवाला देकर स्पष्ट किया गया है कि सभापति ने सदस्यों के निलंबन को खत्म कर सदन के गतिरोध को समाप्त करने की लगातार कोशिशें की थी। यह कहना बिल्कुल गलत व निराधान है कि सभापति ने कोई प्रयास नहीं किया। लोगों में यह गलत धारणा फैलाई जा रही है, जो उचित नहीं है।