स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध पर लगे 3200 सिक्योरिटी गार्डों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है। इन सिक्योरिटी गार्ड का अनुबंध 31 दिसंबर तक था जो शुक्रवार को समाप्त हो गया। सर्व कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर कई सालों से कार्यरत इन सुरक्षा गार्डों को कम से कम एक साल का सेवा विस्तार देने की मांग की है।
सर्व कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने कहा कि अभी तक सेवा विस्तार के आदेश जारी न होने से सिक्योरिटी गार्ड में रोष व्याप्त है। विगत 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री के प्रधान साचिव के साथ हुई बैठक में भी अस्पतालों, सीएसची और पीएचसी में लगे सभी सुरक्षा गार्डों को सेवा विस्तार देने की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।
लांबा ने कहा कि मेडिकल,पैरा मेडिकल व स्पोर्टिंग स्टाफ की कमी झेल रहे स्वास्थ्य विभाग के मंत्री एक तरफ तो कर्मचारियों की छुट्टियां रद कर कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से लड़ने की बात करते है, परंतु दूसरी ओर सिक्योरटी गार्ड के सेवा विस्तार पर चुप्पी साधे हुए हैं। इतना ही नहीं, कोविड अस्पताल हिसार व करनाल और हसन खां मेवाती मेडिकल कालेज नल्हड़ नूंह व गोल्ड फिल्ड मेडिकल कालेज छांयसा फरीदाबाद से करीब 600 ठेका कर्मचारियों को नौकरी से निकाला हुआ है। सभी सिक्योरिटी गार्ड काे तुरंत सेवा विस्तार दिया जाए तथा पहले से हटाए गए स्वास्थ्य ठेका कर्मचारियों को वापस ड्यूटी पर लिया जाए।
प्रदर्शनों पर रोक का विरोध
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि कोरोना में सरकार के कार्यक्रम हो सकते हैं और चुनावी रैलियां हो सकती है तो जनता व कर्मचारियों के प्रदर्शनों पर रोक क्यों लगाई जा रही है। मांगों को लागू करवाने के लिए धरना, प्रदर्शन, रैली व हड़ताल करना कर्मचारियों व जनता का लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकार है। यदि कोई यह अधिकार छीनने का प्रयास करेगा तो उसका संघर्ष से मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इसके लिए सर्व कर्मचारी संघ ने दो जनवरी को कर्मचारी भवन रोहतक में राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इसमें संघर्ष की रणनीति बनाई जाएगी।
छोटी-छोटी गलतियों से जुड़ी याचिकाएं सुनेंगे तो कोई भर्ती कभी पूरी नहीं होगी: हाई कोर्ट
पंजाब एवम हरियाणा हाई कोर्ट ने एचसीएस ज्यूूडिशियल के लिए आवेदन करते हुए आरक्षित वर्ग के स्थान पर सामान्य वर्ग पर क्लिक करने वाले आवेदक की श्रेणी बदलने से जुड़ी याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाएं सुनेंगे तो कोई भर्ती कभी पूरी नहींं होगी।
याचिका दाखिल करते हुए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि वह अनुसूचित जाति से संबंध रखता है और एचसीएस ज्यूडिशियल के लिए आवेदन करते हुए गलती से उसने सामान्य श्रेणी पर क्लिक कर दिया। याची ने कहा कि यह एक मानवीय भूल थी। ऐसे में इसमें सुधार के लिए आदेश दिया जाए। याची ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग बनाम सरला व अन्य के मामले का हवाला देते हुए कहा कि उस मामले में हाई कोर्ट ने आवेदन में गलती को मानवीय भूल को करार देते हुए आवेदकों के पक्ष में फैसला सुनाया था।
हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले में यदि सुनवाई होने लगी तो कोई भर्ती कभी पूरी नहीं होगी। न्यायालय ने कहा कि उस मामले में आंगनबाड़ी वर्कर पद के लिए आवेदन किया गया था और वह भी एक गांव की महिला द्वारा। उस मामले में कंप्यूटर सेंटर से आवेदन किया गया था। यह मामला एचसीएस ज्यूडिशियल का है जो प्रथम श्रेणी अधिकारी की नौकरी है। इस मामले में न्यायालय से किसी मदद की उम्मीद रखना ठीक नहीं है।