चीन के बढ़ते कदमों की आहट से पूरा विश्व चिंता में है। चीन के आक्रामक रवैये की वजह से पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में तनाव बरकरार है वहीं भारत से मिलती सीमा पर भी इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) को भारी मात्रा में नगदी और अपने भंडार में अत्याधुनिक उपकरणों को शामिल करने से काफी फायदा हुआ है। पिछले वर्ष चीन ने इंटरकांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल और फ्रेक्शनल आर्बिटल बमबार्डमेंट सिस्टम का सफल टेस्ट किया था। इस वर्ष भी वो इसी तरह के परीक्षणों से विश्व को हैरान कर सकता है।
यूएस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल कार्डिनेटर फार इंडो पेसेफिक कर्ट कैंपबेल ने पिछले सप्ताह ही इस तरह की चेतावनी दी थी। उन्होंने वाशिंगटन में सेंटर फार स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में कहा था कि यदि आप देखें और मुझसे पूछें विश्व में कौन हमें सबसे अधिक हैरान करने वाले कदम उठा सकता है तो ये प्रशांत क्षेत्र में हो सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि ये समझौते और अरेंजमेंट की सूरत में सामने आ सकता है। अमेरिकी अधिकारी का कहना था कि वो इसको लेकर काफी गंभीर हैं। उनके मुताबिक ये एक या दो वर्ष के अंदर दिखाई दे सकता है।
कैंपबेल का साफ कहना था कि हमारे पास बेहद कम समय है कि हम अपने सहयोगियों जैसे जापान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और फ्रांस के साथ इसको लेकर आगे बढ़ें, जिनका प्रशांत क्षेत्र में हित है, और जो इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने अपनी रणनीतिक हैरानी वाली बात का अधिक खुलासा नहीं किया, लेकिन ये कहीं न कहीं बेहद स्पष्ट संकेत था कि वो चीन के बारे में बात कर रहे हैं। उनका संकेत था कि चीन इस क्षेत्र में समझौतों के साथ नए सहयोगी तलाश कर सकता है और आगे बढ़ने की अपनी रणनीति बना सकता है, जिसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।
आपको बता दें कि अमेरिका चीन के बढ़ते कदमों की आहट को पहचानते हुए और इससे निपटने के लिए करीब दो दशक से कोशिश कर रहा है। अमेरिका की खुफिया एजेंसियां इस बात पर पूरी निगाह रखे हुए हैं कि चीन की विभिन्न देशों के साथ कैसे दूरियां और अलगाव बढ़ता ही जा रहा है। दुर्भाग्य से अमेरिका ने एशिया पेसेफिक क्षेत्र में अपनी सार्थक भूमिका न निभाने और इससे मुंह फेरने वाले देशों की तरफ बाल को उछाल दिया है। कैंपबेल ने साफ कर दिया है कि इस क्षेत्र में वो अकेला सबकुछ नहीं कर सकता है।
गौरतलब है कि जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कंप्रहेंसिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फार ट्रांस पेसेफिक पार्टनरशिप से अपने हाथ खींचे थे तो उससे काफी निराशा हाथ लगी थी। इसके बाद ही इस क्षेत्र के अधिकतर देशों ने चीन को अपने बड़े व्यापारिक सहयोगी के तौर पर देखा था। यही वजह थी कि वो एशिया की बड़ी शक्ति के रूप में आगे बढ़ता चला गया। चीन ने अपनी पुलिस फोर्स की छह सदस्यीय टीम को सोलोमन द्वीप पर ये सिखाने के लिए भेजा कि भीड़ और हिंसा पर कैसे आसानी के साथ काबू पाया जा सकता है।
इसी तरह से किरीबाती और वनुआती में भी चीन के कदमों की आहट सुनी जा कसती है। यहां पर चीन हवाई पट्टियों को अपग्रेड करने और पुलों के निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहा है। किरीबाती का कहना है कि चीन का उनके यहां पर नान मिलिट्री प्लान है। इसका मकसद दोनों देशों के बीच संबंध, व्यापार और पर्यटन मजबूत करना है।