कोरोना संक्रमितों की प्रभावित हो रही इम्‍यूनिटी, दूसरी बीमारियों से बढ़ रहा जान जाने का खतरा

कोरोना पाजिटिव (ओमिक्रोन-डेल्टा वायरस से प्रभावित) मरीजों को बिना वजह स्टेरायड दवाएं न दी जाएं। इससे संक्रमितों की प्रतिरोधक क्षमता(इम्यूनिटी) प्रभावित हो रही है।ब्लैक फंगस(म्यूकर माइकोसिस)का खतरा भी रहता है। सिविल सर्जन डा. जितेंद्र कादियान ने इंडियन काउंसिल आफ मेडिकिल रिसर्च (आइसीएमआर) की गाइडलाइन का हवाला देते हुए सिविल अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड के नोडल अधिकारी और निजी अस्पतालों को यह निर्देश जारी किए हैं।

उन्होंने बताया कि आइसीएमआर की सलाह पर सरकार ने बेवजह स्टेरायड के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। कोरोना के अति गंभीर मरीजों की जान बचाने, अनियंत्रित मधुमेह, श्वास के गंभीर मरीजों के शरीर में संक्रमण से होने वाली क्षति को नियंत्रित करने के लिए स्टेरायड की मेडिसिन चलाई जा सकती हैं। इसमें भी स्टेरायड की मात्रा सीमित रखनी होगी।कोरोना के हल्के, सामान्य और गंभीर संक्रमितों के इलाज का अलग-अलग प्रोटोकाल निर्धारित किया गया है।आक्सीजन लेवल सही रहे व श्वास न फूले, ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा जाएगा।आक्सीजन का सेचुरेशन (एसपीओटू) 93 से नीचे रह रहा है तो मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती करना चाहिए।इन मरीजों को आक्सीजन सपोर्ट में रखा जाना है। मरीज एसपीओटू 90 से नीचे चला जाए,ऐसे संक्रमित गंभीर श्रेणी में आएंगे।

ऐसे मरीजों को गहन चिकित्सा युनिट (आइसीयू)में भर्ती कर आक्सीजन सपोर्ट पर रखने की जरूरत होगी। एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर चलाई जाएगी। साथ ही इमरजेंसी को देखते हुए स्टेरायड के इस्तेमाल की अनुमति होगी।

इनके लिए घातक कोरोना :

सीनियर सिटीजन, मधुमेह, उच्च् रक्तचाप, दिल की बीमारी, हार्ट में ब्लाकेज, टीबी, एचआइवी के अलावा फेफड़े, लिवर, किडनी रोग और मोटापा से ग्रस्त लोग। हल्के कोविड संक्रमण से जूझ रहे ऐसे मरीज, जिन्हें पांच दिन से ज्यादा समय तक श्वास लेने में दिक्कत हो, काफी ज्यादा खांसी और बुखार है।

लगातार खांसी तो कराएं टीबी जांच :

हल्के लक्षण वाले कोरोना संक्रमित जिन्हें तीन हफ्ते से खांसी-बुखार है। ऐसे मरीजों को को टीबी की जांच कराना जरूर है।