दिल्ली एनसीआर में आगामी एक अक्टूबर से डीजल जेनरेटर के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान सरकार को समय रहते इसके विकल्प पर गंभीरता से काम करने के सख्त निर्देश भी जारी कर दिए हैं। केवल इमरजेंसी सेवाओं के लिए डीजल जेनरेटर चलाने की छूट होगी। इसके अलावा जहां पर बिजली आपूर्ति का कोई अन्य विकल्प ही नहीं होगा, वहां पर वह एक दिन में केवल दो घंटे के लिए रियायत मिलेगी। सीएक्यूएम ने मंगलवार देर शाम उक्त चारों राज्यों की सरकारों को इस संबंध में लिखित आदेश जारी कर दिया है।
आदेश में कहा गया है कि अक्टूबर में सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली एनसीआर की वायु गुणवत्ता बिगड़ जाती है। इसमें एक बड़ी भूमिका डीजल जेनरेटर की होती है। हालांकि हर साल ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक इस पर प्रतिबंध लगाया भी जाता है, लेकिन विभिन्न रिहायशी, औद्योगिक और व्यावसायिक संगठनों की ओर से इस आधार पर छूट मांगी जाने लगती है कि वहां जेनरेटर के अलावा बिजली बहुत गुल होती है। इसीलिए इस बार सीएक्यूएम ने सर्दियों के मौजूदा सीजन में ही अगली सर्दियों के लिए दिशा- निर्देश जारी कर दिए हैं।
सीएक्यूएम के सदस्य सचिव अरविंद नौटियाल द्वारा जारी आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि एलपीजी, प्राकृतिक गैस, बायोगैस, प्रोपेन और बूटेन से चलने वाले जेनरेटरों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है। इसके अलावा अगर डीजल जेनरेटर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा अधिकृत पांच एजेंसियों से हाइब्रिड या डयूल फ्यूल मोड में 70 प्रतिशत तक गैस में तब्दील करा लिया जाए तो भी उसे चलाया जा सकेगा।
सीएक्यूएम ने चारों राज्यों और स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण समिति या बोर्ड को इस बाबत समय रहते बेहतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की व्यवस्था करने को कहा है। साथ ही इस आदेश को लेकर जनता में अधिकाधिक जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया है। यह भी कहा गया है कि आदेश का उल्लंघन होने पर डीजी सेट ही नहीं, संबद्ध प्रतिष्ठान भी सील किया जाएगा और पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क के रूप में मोटा जुर्माना भी लगाया जाएगा।
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