International Drugs Syndicate Exposed: ड्रग्स की आड़ में छात्राओं का किया यौन शोषण, किताबों में छिपाकर पहुंचाते थे ‘जहर’

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने एक बड़े पैन इंडिया ड्रग्स सिंडिकेट का भंडाफोड़ करते हुए देशभर में छापेमारी कर युवतियों सहित 22 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनमें आइटी प्रोफेशनल भी हैं। एनसीबी ने सिंडिकेट से जुड़े आरोपितों को मदद करने के आरोप में अपने विभाग के एक सिपाही को भी गिरफ्तार किया है। इस गिरोह के तार कई देशों से जुड़े होने की बात सामने आई है। यह आपरेशन एनसीबी के अधिकारी ज्ञानेश्वर सिंह के नेतृत्व में चलाया गया। इन पर पीआइटीएनडीपीएस एक्ट लगाया जा सकता है, जिसके तहत अवैध तस्करी की रोकथाम के लिए निवारक निरोध कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास एक अतिरिक्त हथियार होता है।

सूत्रों के मुताबिक, शनिवार को इस मामले में आधिकारिक रूप से जानकारी दी जाएगी। फिलहाल सामने आया है कि बहुत ही यूनिक तरीके से ड्रग्स की खेप घरों तक पहुंच रही थी और इसमें बड़े शातिर लोग शामिल हैं। हैरत की बात यह भी है कि देश भर के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने इस सिंडिकेट की मदद से स्टडी बुक के अंदर छिपाकर कोरियर के जरिये ड्रग्स की डिलीवरी अपने घरों तक कराई और उसका सेवन किया। विदेशों से पार्सल की आड़ में ड्रग्स की खेप भारत भेजी जाती थी। बताया जाता है कि सिंडिकेट से जुड़े कुछ आरोपितों ने कुछ युवतियों का यौन शोषण भी किया।

भारी मात्रा में ड्रग्स की बरामदगी

आरोपितों से 7.906 किलो गांजा, 975 ब्लाट्स एलएसडी, 1.55 किलो एमडीएमए, 6 ग्राम हेरोइन, 315.8 ग्राम चरस, 130 ग्राम साइकोट्रोपिक की गोलियां, 16 अल्प्राजोलम टैबलेट, स्पासोमोप्रोक्सीवान के 12 कैप्सूल, 171 ग्राम हशीश, 13 ग्राम साइलोसाइबिन, 1.6 ग्राम कोकीन जब्त किए गए हैं। इसके साथ ही 15.55 लाख रुपये भी बरामद किए गए हैं। इस गिरोह का दो करोड़ का क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार का भी पता चला है। क्रिप्टो करेंसी को इसलिए जब्त नहीं किया जा सका, क्योंकि यह विकेंद्रीकृत मुद्रा है।

ये है पीआइटीएनडीपीएस एक्ट

पीआइटीएनडीपीएस एक्ट के तहत अवैध तस्करी की रोकथाम के लिए निवारक निरोध कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास एक अतिरिक्त हथियार है। इसका उद्देश्य मादक पदार्थों की संगठित तस्करी की रोकथाम करना है और मुख्य संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करना है। इसके तहत ऐसे आरोपित जो ड्रग्स तस्करी में लिप्त हैं, उन्हें एक वर्ष के लिए जमानत देने पर रोक लगाए जाने का प्रविधान है।