NSE Fraud: तकनीकी खराबी ने चित्रा रामकृष्ण को बनाया एनएसइ का CEO, अज्ञात बाबा के इशारे पर लेती थीं फैसला

NSE की परिष्कृत एल्गोरिदम आधारित सुपरफास्ट ट्रेडिंग में तकनीकी खराबी आने से शेयर कारोबार की पुरुष प्रधान दुनिया में चित्रा रामकृष्ण को एनएसई के शीर्ष पद पर आने का मौका मिला था। एनएसई में पांच अक्टूबर 2012 की सुबह आई इस तकनीकी खराबी से निवेशकों की संपत्ति 10 लाख करोड़ रुपये घट गई थी। इसके बाद एनएसई के तत्कालीन सीईओ रवि नारायण को पद छोड़ना पड़ा और कुछ महीने बाद, 13 अप्रैल 2013 को एनएसई की कमान औपचारिक रूप से चित्रा रामकृष्ण को सौंप दी गई। चित्रा रामकृष्ण हिमालय में रहने वाले किसी अज्ञात बाबा के इशारे पर कई फैसले लेती थीं।

दरअसल, तकनीक की खराबी ने ही चित्रा रामकृष्ण को एनएसई में शीर्ष पद पर पहुंचाया था, इसीलिए उन्होंने आठ साल पहले एक साक्षात्कार में कहा था कि प्रौद्योगिकी एक ऐसा शेर है, जिस पर हर कोई सवार है। एनएसई ने साल 1994 में अपनी शुरुआत के एक साल में ही देश के सबसे बड़े शेयर बाजार के तौर पर 100 साल पुराने बीएसई को पछाड़ दिया था। आज 59 वर्षीय चित्रा रामकृष्ण एक अजीबोगरीब घोटाले में फंस गई हैं। पूंजी बाजार नियामक सेबी की जांच से यह पता चला है कि एक्सचेंज के प्रमुख व्यावसायिक फैसले लेने के लिए एक गुमनामी बाबा निर्देश देते थे।

एक पूर्व शीर्ष नियामक अधिकारी ने कहा कि शीर्ष प्रबंधन और कुछ प्रमुख निदेशक स्पष्ट रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में लगभग हर नियामक, प्रशासनिक एजेंसी और जांच एजेंसी इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं और जांच के दायरे में उन सभी निदेशकों को शामिल किया गया है, जो इन वषरें के दौरान एनएसई बोर्ड में रहे।

जांच सिर्फ योगी की पहचान सुनिश्चित करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि बोर्ड, नियामक और सरकार सहित विभिन्न स्तरों पर चूक के कारणों का भी पता लगाया जा रहा है। एक पूर्व नियामक ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूर्व और सेवारत नौकरशाहों, कुछ अत्यधिक महत्वाकांक्षी दलालों, शीर्ष सरकारी अधिकारियों और एक्सचेंज में शामिल कुछ कारपोरेट अधिकारियों की एक मंडली ने अपने निजी फायदे के लिए विभिन्न खामियों को पैदा किया और उसका फायदा उठाया।