Exclusive Interview: सीएम मनोहरलाल बाेले- उद्योग राजस्व नहीं दे रहे, लोगों को रोजगार तो देने ही चाहिए

xclusive Interview with Manohar lal Khattar :  हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणवी युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून बनाकर भले ही अपना एक बड़ा चुनावी वादा पूरा कर दिया, लेकिन इस कानून को लेकर उद्योगपति असमंजस में हैं। फरीदाबाद व गुरुग्राम के औद्योगिक संगठनों ने यह कहते हुए कानून को हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है कि रोजगार के अवसर एक राज्य तक सीमित होने से इंडस्ट्री को दूसरे राज्यों का वह स्किल नहीं मिल पाएगा, जो उनके लिए जरूरी है। इस दलील के बाद हाईकोर्ट ने कानून के अमल पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची।

रोजगार गारंटी कानून और बेरोजगारी के मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से  खास बातचीत

हरियाणा सरकार ने उद्यमियों की आशंका को खारिज करते हुए जो दलीलें पेश की, उनसे सहमत होते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर लगी रोक खत्म कर दी। अब प्रदेश सरकार हाईकोर्ट में इस कानून को सही ठहराने की लड़ाई मजबूती से लड़ने को तैयार है। मनोहरलाल का मानना है कि वैट खत्म होने और जीएसटी के लागू होने के बाद जब उद्योगपति राजस्व नहीं दे रहे तो कम से कम उन्हें जरूरतमंद लोगों को रोजगार तो देने ही चाहिए।

– प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण के प्रविधान से उद्योगपति डरे हुए हैं? क्या सरकार ने कानून बनाने से पहले उन्हें विश्वास में नहीं लिया?

– सरकार शुरू से ही प्रदेश के पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार दिलाने की प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। रोजगार कानून को सबसे चर्चा कर बनाया गया है, जो कि हरियाणवी युवाओं और सभी उद्योगपतियों के हित में है। पहले हमने इस कानून को 50 हजार रुपये तक की नौकरियों पर लागू करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उद्यमियों के सुझाव पर इसे 30 हजार रुपये मासिक तक की नौकरियों पर ही लागू किया गया है। इससे अधिक वेतन वाले और तकनीकी पदों की नौकरियों पर उद्योगपति कहीं से भी अपनी पसंद के स्किल को नौकरी दे सकते हैं।

– हाईकोर्ट में दायर याचिका के आधार पर उद्योगपतियों को आशंका है कि रोजगार को एक क्षेत्र तक सीमित कर देने से उनकी स्किल क्वालिटी और उत्पादन पर असर पड़ेगा?

– ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हमने इस कानून को काफी लचीला और सरल बनाया है। स्थानीय युवाओं को नौकरी देने वाले उद्याेगों को प्रदेश सरकार सालाना प्रति कर्मचारी 48 हजार रुपये की सब्सिडी देगी। सात साल तक यह सब्सिडी मिलेगी। इसके अलावा, इन उद्योगों को 20 साल तक बिजली के बिलों में भी छूट मिलेगी। स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स (एसजीएसटी) की एवज में अधिकतम 10 वर्ष के लिए 100 प्रतिशत इन्वेस्टमेंट सब्सिडी दी जाएगी। नए उद्योगों पर एक हजार दिन के लिए फैक्टरी अधिनियम लागू ही नहीं होगा। इन तमाम सुविधाओं और राहत के बावजूद उद्योगपतियों को यह छूट है कि यदि उन्हें हरियाणा में अपनी पसंद का स्किल नहीं मिलता तो वह बाहर से ला सकते हैं।

– उद्योगपतियों के साथ-साथ विपक्ष, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अभय चौटाला इस कानून को उपयोगी नहीं मान रहे और इसका विरोध कर रहे हैं?

– आपने बिल्कुल सही नब्ज पकड़ी है। सारे खेल के पीछे राजनीति ही है। कुछ साल पहले हरियाणा में पढ़ी-लिखी पंचायतों के कानून के खिलाफ अदालत में याचिकाएं दायर की गई थीं। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हमारे फैसले की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। रोजगार गारंटी कानून के हक में भी हम पूरे दमखम के साथ लड़ेंगे। रोजगार गारंटी कानून लागू करने का निर्णय प्रदेश को 2024 तक बेरोजगारी मुक्त और रोजगार युक्त बनाने में कारगर साबित होगा।

– हरियाणा में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई यहीं हुई। प्रदेश के औद्योगिकीकरण से पड़ोसी राज्यों के युवाओं को रोजगार की आस बंधी है। वह कैसे पूरी होगी?

– यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसी अन्य एजेंसी या प्रदेश की तुलना में अपने लोगों को रोजगार के अवसर पहले प्रदान करे। एक समय वह भी था, जब हम उद्योगों को आमंत्रित करते थे। वे राज्य के लिए राजस्व का एक जरिया बन जाते थे। लेकिन, जब से जीएसटी लागू हुआ है, उद्योग राजस्व का मुख्य स्रोत नहीं रह गए हैं। जीएसटी ने राजस्व को उपभोग आधारित बना दिया है। औद्योगिक क्षेत्र अभी भी सस्ती भूमि, कर लाभ, सस्ती बिजली, सड़क और पानी समेत कई रियायतें चाहता है। जब उद्योग राजस्व प्रदान नहीं कर रहा है, तो उससे राज्य को हासिल होने वाला एकमात्र लाभ रोजगार सृजन ही बचता है। मेरा मानना है कि जब उद्योग राजस्व नहीं दे सकते तो कम से कम उन्हें रोजगार तो देने ही चाहिए।

– उद्योग राजस्व नहीं दे सकते, इस बात से आपका क्या अभिप्राय है? क्या यह मान लिया जाए कि नए उद्योग लगाने से सरकार या राज्य को कोई फायदा नहीं होने वाला?

– पहले क्या होता था…राज्यों को वैट मिलता था। अब वैट खत्म हो गया है और जीएसटी आ गया है। जीएसटी का लाभ केंद्र और उस राज्य को मिलेगा, जहां उत्पादित सामान की बिक्री होती है। ऐसे में राज्यों का वैट भी बंद हो गया और जीएसटी से भी खास फायदा नहीं है। केंद्र से ही राज्यों को जीएसटी का अंशलाभ मिलता है। हम अधिक से अधिक नए उद्योग लगाने के हक में हैं। इससे औद्योगिक विकास होता है और क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलते हैं। ढांचागत विकास के कामों में गति आती है। लोगों का जीवन स्तर सुधरता है। इसलिए नए उद्योगों का आना और उनके द्वारा राज्यों को राजस्व का न मिल पाना, दोनों अलग-अलग चीजें हैं।

– उद्यमियों को आशंका है कि यदि वह कुल नौकरियों का 75 प्रतिशत हिस्सा हरियाणवियों को नहीं दे पाए तो उन पर दबाव बनेगा। तब उन्हें मजबूरी में पलायन करना पड़ेगा?

– उनकी यह आशंका निर्मूल है। एक उद्योगपति को यह अधिकार है कि वह किसी भी नौकरी के लिए योग्यता, वेतन या कौशल स्वयं तय कर सकता है। उद्यमी के इन विशेषाधिकारों पर यदि हरियाणा में रहने वाले युवा काम करने को तैयार नहीं हैं तो उद्यमी बाहर से भी मैन पावर ला सकते हैं। आप 75 प्रतिशत हरियाणवी युवाओं को रोजगार देने की कोशिश तो करें। यदि आपका कोटा पूरा नहीं हो रहा है तो डीसी को सूचित करें और बाहर से मैन पावर ले आएं।

– आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और झारखंड ने भी रोजगार गारंटी कानून बनाए, लेकिन अधिकतर राज्य इन्हें लागू नहीं कर पाए। हरियाणा के कानून में ऐसा क्या खास है?

– कानून बनाने से पहले सभी राज्यों के प्रस्तावित माडल का अध्ययन किया गया। मुझे मेरे अधिवक्ताओं ने बताया कि हमारे कानून में त्वरित और आसान प्रविधान किसी अन्य राज्य के कानून से बेजोड़ हैं। हमारे प्रविधानों को लागू करने में किसी को कहीं कोई कठिनाई नहीं है। दो दिन पहले ही आंधप्रदेश के उद्योग मंत्री ने मेरी बात को इंटरनेट मीडिया पर ट्वीट किया था। हमने स्टार्टअप से भी बात की है। उन्हें इस कानून के तहत जो सुविधाएं और लाभ मिलेंगे, उनसे वह काफी उत्साहित हैं।

– विपक्ष अक्सर आरोप लगाता है कि राज्य में न तो औद्योगिक निवेश आ रहा और न ही बेरोजगारी कम हो रही है?

– सात साल में 33 हजार 799 करोड़ रुपये के निवेश से राज्य में 62 हजार 60 नए उद्योग लगे, जिनसे 5.86 लाख लोगों को रोजगार मिले। अब तक 495 एमओयू हुए। 6.66 लाख करोड़ का निवेश आया और नौ लाख लोगों को रोजगार दिए गए। अब 31 ब्लाक में सीएलयू (चेंज आफ लैंड यूज) और एनओसी की जरूरत नहीं पड़ती। 20 विभागों की 70 प्रकार की अनुमति पोर्टल के माध्यम से एक ही छत के नीचे दी जा रही है। विपक्ष प्रदेश में बेरोजगारी के आंकड़े गलत ढंग से पेश करता है। कांग्रेस प्रायोजित प्राइवेट एजेंसी सीएमआइई के आंकड़ों को आधार बनाया जाता है। राज्य में मात्र छह से आठ प्रतिशत तक ही बेरोजगारी है, जो घटती-बढ़ती रहती है। विपक्ष कभी इसे 28 तो कभी 34 प्रतिशत बताता है। नए रोजगार गारंटी कानून से बेरोजगारी जड़ से दूर करने में मदद मिलेगी।

– कांग्रेस खासकर भूपेंद्र हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला यह भी कहते हैं कि उनकी सरकार में भी युवाओं को रोजगार की गारंटी थी?

– अंतर यह है कि हमने रोजगार गारंटी कानून को संवैधानिक शक्ल देकर लागू किया है। जब भी किसी उद्योग की स्थापना के लिए रियायती दरों पर जमीन, सस्ती बिजली और इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य सुविधाएं दी जाती हैं, तो उसमें एमओयू साइन होता कि संबंधित औद्योगिक इकाई स्थानीय युवाओं को रोजगार देगी। यह बरसों पुरानी व्यवस्था है, लेकिन इसे कभी सही ढंग से लागू नहीं किया गया। उद्योगों की जरूरत के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने युवाओं के कौशल विकास पर खास फोकस किया है।

– आखिरी सवाल, सीएम साहब आपकी सरकार ने हाल ही में विकास शुल्क लगाया है, जिसका लोगों में विरोध हो रहा है?

– हमारा अच्छा काम विपक्ष को रास नहीं आता। राज्य सरकार ने विकास शुल्क में एकरूपता लाने के लिए इसमें संशोधन किया है। पहले 50 करोड़ रुपये की संपत्ति हो या 50 लाख रुपये की संपत्ति, दोनों पर एक जैसा विकास शुल्क लगता था। यह संपत्ति मालिकों के लिए सही नहीं था। इसी भेदभाव को खत्म करने के लिए विकास शुल्क में संशोधन किया गया है। सरकार को विकास शुल्क के माध्यम से जो राजस्व प्राप्त होगा, वह उसी क्षेत्र के विकास पर खर्च किया जाएगा, ताकि स्थानीय निवासियों को बुनियादी सुविधाएं मिल सकें।

खास बातें

  • – अगले तीन साल के भीतर बेरोजगारी मुक्त और रोजगार युक्त होगा हरियाणा।
  • – पढ़ी लिखी पंचायतों का भी विरोध हुआ था, अदालत में हमारी जीत हुई, इस बार भी हम जीतेंगे।
  • – हरियाणा में उद्योगों को अपनी जरूरत का स्किल नहीं मिलता तो वह बाहर से मैनपावर लाने को स्वतंत्र।
  • – हरियाणवी युवाओं को नौकरी देने वाले उद्याेगों को सालाना प्रति कर्मचारी 48 हजार रुपये की सब्सिडी।
  • – रोजगार गारंटी कानून लागू करने वाले उद्योगों को 20 साल तक बिजली के बिलों में मिलेगी छूट।
  • – नए उद्योगों पर एक हजार दिन के लिए फैक्ट्री अधिनियम लागू नहीं होगा।
  • – उद्योगपति को नौकरी के लिए योग्यता, वेतन या कौशल स्वयं तय करने का अधिकार।
  • – प्रदेश में छह से आठ प्रतिशत बेरोजगारी, नए कानून से इसे भी दूर करने में मिलेगी मदद।