यूक्रेनियन आर्मी के सिपाही के परिवार को संभाल रही हरियाणा की बेटी, राजधानी कीव छोड़ने से किया इन्‍कार

युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो चुकी यूक्रेन की राजधानी कीव से हर कोई बाहर निकलना चाहता है। लोकल भी दूसरे शहरों या अन्य देशों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। जो कहीं नहीं जा पा रहे उन्होंने बंकरों में शरण ले ली है। यूक्रेन में फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए भारत सरकार ने आपरेशन गंगा चलाया है। यूक्रेन से हर भारतीय वर्तमान में अपने देश लौटना चाह रहा है। हर पल मौत के मंडराते साए के बीच भारत की एक बेटी ने यूक्रेन छोड़ने से मना कर दिया है।

यूक्रेन के एक सिपाही की पत्नी और तीन बच्चों को संभाल रही है। 17 वर्षीय छात्रा का कहना है कि वह फौजी की बेटी है। सिपाही के घर में काफी समय से रेन्ट (किराए) पर रूम लेकर रह रही है। परिवार के मुखिया ने अपने देश की सुरक्षा के लिए टेरिटोरियल आर्मी ज्वाइन की है। वह रूसी सैनिकों के साथ लड़ रहे हैं। दुख की घड़ी में परिवार को उसकी जरूरत है।

भारतीय मूल की फ्रांस निवासी छात्रा की आंटी (चाची) सविता जाखड़ ने बताया कि राजधानी कीव में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारतीय दूतावास ने हंगरी और पौलेंड बार्डर से व्यवस्था की है। दूतावास की ओर से बस भेजी गई थी। लेकिन, छात्रा (भतीजी) ने सिपाही की पत्नी व बच्चों को छोड़कर जाने से मना कर दिया। चरखी दादरी निवासी छात्रा 12वीं के बाद वर्ष 2021 में युक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए गई थी। यहां कीव में मिस्टर शारपाई के घर में उसने रूम लिया। रूस से साथ युद्ध की घोषणा पर को शरापाई टेरिटोरियल आर्मी में जाना पड़ा। पत्नी और तीन, पांच व सात वर्ष के बच्चों को बंकरों में भेज दिया।

छात्रा के पिता भारतीय सेना में सिपाही थे। उनका निधन हो चुका है। मां स्कूल टीचर हैं। पिता की तरह बहादुर बेटी ने खुद से पहले दूसरों की सोची और जिनके साथ महज मकान मालिक और किराएदार का रिश्ता था उनके लिए अपने प्राणों को जोखिम में डाल दिया है। वहीं, छात्रा के स्वजनों को बेटी पर नाज है, उसकी सुरक्षा की फिक्र भी सता रही है। हम छात्रा की सुरक्षा को देखते हुए उसके व माता-पिता की पहचान को नहीं बता रहे हैं।