जब रूस ने परमाणु हथियारों को अलर्ट पर करके पूरे विश्व को स्तब्ध कर दिया था, तब अमेरिका के पास प्रतिक्रिया में एक अहम कदम उठाने का विकल्प था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन रूस के इस कदम के जवाब में अमेरिकी फौजों को डेफकान-3 पर रख सकते थे। डेफकान-3 का मतलब होता है कि जब वायुसेना अपने विमान और परमाणु हथियार तैयार करने लगती है और पनडुब्बियों को अलर्ट पर कर दिया जाता है। अच्छी बात है कि फिलहाल बाइडन ने मामले को संयमित रखा और सैन्य गतिविधियां नहीं बढ़ाईं।
रविवार को संयुक्त राष्ट्र को अमेरिकी राजदूत ने याद दिलाया कि रूस ने बिना किसी उकसावे के हमला किया और फिर परमाणु अलर्ट की बात कहकर पुतिन युद्ध की आग को भड़का रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन के कुछ अधिकारियों की मानें तो यूक्रेन संकट बड़ी आसानी से दो वैश्विक ताकतों के बीच युद्ध में बदल सकता था। हालांकि उन्होंने अब भी ऐसा होने की आशंका जताई है। पुतिन का हालिया रुख उनके पूर्व के रुख से अलग दिख रहा है। अमेरिका की नेशनल इंटेलीजेंस के पूर्व निदेशक जेम्स आर. क्लैपर ने कहा है कि पुतिन इस समय एक अलग तरह की मानसिक स्थिति में दिख रहे हैं। मुझे उनकी निर्णय क्षमता और संतुलन पर शक है।
यूक्रेन को मदद भेजेगा भारत
उधर, भारत ने यूक्रेन को मानवीय आधार पर मदद भेजने का एलान किया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि भारत अभी मुख्य तौर पर दवाइयों की आपूर्ति करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को सुबह हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया।