हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आज राज्य सरकार जबरन मतांतरण के खिलाफ सख्त सजा के प्रविधानों वाला विधेयक लाएगी। इसमें जबरन मतांतरण करवाने वालों को दस साल तक की सजा का प्रविधान है। इसके लिए हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक-2022 सदन में पेश किया जाएगा।
इस विधेयक में सजा का प्रविधान तीन अलग श्रेणियों में किया गया है। गृहमंत्री अनिल विज के अनुसार धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25,26, 27 और 28 के तहत प्रदान किया गया है। इसमें प्रत्येक भारतीय नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता के लिए सक्षम बनाया गया है। इस अधिकार का मूल उद्देश्य नागरिक की इच्छा के अनुसार विश्वास को अपनाने से संबंधित है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, पालन करने और प्रचार का मौलिक अधिकार प्रदान करता
विज के अनुसार फिर भी जबरन सामूहिक या व्यक्तिगत मतांतरण के कई मामले सामने आए हैं। इसका अर्थ यह है कि कुछ छद्म सामाजिक संगठन अपने छिपे हुए एजेंडे के साथ धर्म परिवर्तन के लिए समाज के कमजोर वर्ग को निशाना बनाते हैं। ऐसी घटनाएं न केवल व्यक्तियों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं बल्कि हमारे समाज के सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को भी आघात पहुंचाती हैं।
नाबालिग, महिला सहित अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से जुड़े हुए जबरन मतांतरण करने के मामलों में ज्यादा सजा का भी प्रविधान हो सकता है। गृहमंत्री अनिल विज के अनुसार इस बाबत सदन में विस्तृत चर्चा की जाएगी।
- – विवाह के लिए झूठ बोलकर,अनुचित प्रभाव डालकर, प्रलोभन देकर या डिजिटल संसाधनों का इस्तेमाल कर मतांतरण कराने वाले को कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल की सजा तथा एक लाख रुपये जुर्माने की सजा का प्रविधान किया गया है।
- – विवाह के आशय से जो अपना धर्म छिपाएगा, उसके मतांतरण करने पर कम से कम तीन साल से अधिकतम दस साल की सजा और तीन लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया है।
- – व्यक्तिगत या संगठनों द्वारा सामूहिक मतांतरण करने वालों के कारावास की अवधि कम से कम पांच वर्ष और अधिकतम दस वर्ष सहित चार लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया है।
- जबरन मतांतरण करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद ने पिछले दाे साल से हरियाणा सरकार पर दबाव बनाया हुआ है। इसके लिए विहित के वरिष्ठ नेता डाक्टर सुरेंद्र जैन प्रतिनिधिमंडल के साथ कई बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी मिल चुके हैं। विहिप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान इस कानून को बनाने में देरी को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी। हालांकि ऐसा कानून बनाने के लिए खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नूंह जिला में घोषणा की थी।
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