फरवरी में भारत की सेवा गतिविधि (Service PMI) में थोड़ा सुधार हुआ। इस क्षेत्र का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 51.5 से बढ़कर 51.8 हो गया है। IHS मार्किट द्वारा 4 मार्च को जारी डेटा से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र ने COVID-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट की तीसरी लहर से आई सुस्ती को मुश्किल से दूर किया। इस वायरस ने जनवरी में सेवा गतिविधि को छह महीने के निचले स्तर पर ला दिया था।
PMI का 50 से ऊपर रहना सेक्टर में तरक्की को दर्शाता है और 50 से नीचे का स्तर संकुचन बताता है। IHS Markit के अर्थशास्त्र में एसोसिएट निदेशक पोलीना डी लीमा ने कहा कि सेवा क्षेत्र में तरक्की ढंग से नहीं हो पाई। क्योंकि कई लोगों ने COVID-19 की नई लहर आने के बाद इतनी जल्दी पाबंदी उठने की बात नहीं सोची थी। लीमा ने कहा कि बिजनेस और सर्विस की नई गतिविधि केवल मामूली रूप से बढ़ी है और बीती जुलाई के बाद से दूसरी सबसे धीमी रफ्तार है। मुद्रास्फीति का दबाव, इनपुट में कमी और स्थानीय चुनावों के कारण ग्रोथ उतनी अच्छी नहीं हुई।
जबकि सेवा प्रदाताओं को केमिकल, ऊर्जा, भोजन, श्रम, धातु, प्लास्टिक और खुदरा-संबंधित घटकों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ज्यादा लागत का सामना करना पड़ा। इनपुट लागत मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी जनवरी में 10 साल के उच्च स्तर पर थी। Service Providers ने फरवरी में ऊंची लागत के बोझ को ग्राहकों पर डालना जारी रखा। हालांकि उत्पादन मूल्य मुद्रास्फीति पांच महीने के निचले स्तर पर आ गई थी।
यहां तक कि जैसे-जैसे कीमतें आसमान छूने लगी थीं, नए कारोबार भी तेजी से बढ़े पर जनवरी के मुकबाले कमजोर रहे। दूसरी तरफ विदेश से आए नए कारोबार अक्टूबर 2021 के बाद सबसे तेज दर से गिरे हैं। नतीजतन फरवरी में लगातार तीसरे महीने सेवा क्षेत्र के रोजगार में गिरावट आई। चिंताजनक बात यह है कि पिछले महीने रोजगार में गिरावट जुलाई 2021 के बाद सबसे तेज थी।