गन्ना फसल नकदी फसलाें में से एक मुख्य फसल है। गन्ने की बुआई मुख्यत: फरवरी-मार्च में की जाती है। उचित पैदावार लेने के लिए किसानों को मार्च के अंत तक गन्ने की बिजाई पूरी कर लेनी चाहिए। यहां यह भी उल्लेखेनीय है कि गन्ने की किस्माें के बारे में ज्यादा जानकारी न होने के कारण किसान पूरा लाभ नही ले पाता। गन्ने की खेती में किस्माें का विशेष महत्व है जिनको उगाकर किसान अच्छी पैदावार ले सकता है।
ये हैं क्षेत्र में बोई जाने वाली उन्नत किस्में
उपमंडल कृषि अधिकारी डा. सुनील कौशिक ने बताया कि हम गन्ना फसल की किस्माें को तीन भागाें में बांटते है। जैसे अगेती किस्माें में सीओजे 64, सीओएच 56, सीओएच 92 हैं। जिनमें शुगर की मात्रा का अंश 18-20 फीसद है तथा औसत पैदावार 250-350 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। मध्यम पकने वाली किस्म सीओ 7717, सीओएच 3436, सीओएच 99, सीओएच 119 है, जिनकी औसत पैदावार 280 से 320 क्विंटल प्रति एकड़ है तथा पछेती किस्में सीओएच 128, सीओएच 767, सीओेएच 110 व सीओ 1148 हैं।
ऐसे करें बिजाई
डा. सुनील कौशिक ने बताया कि खेत की तैयारी के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें व बाद में 4-5 जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाएं। एक एकड़ गन्ने की फसल के लिए लगभग 35000 दो आखाें वाले टुकडे़ या 23000 तीन आखाें वाले टुकडे़ की आवश्यकता होगी। अच्छे जमाव तथा कडुआ के संक्रमण से बचाव के लिए 0.25 फीसद एमीसान या मेंकोजेब 250 ग्राम दवा को 100 लीटर पानी में बीज को 4-5 मिनट डुबो कर उपचारित करके ही बोएं। बिजाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 60-75 सेंटीमीटर व गहराई 7.5 सेंटीमीटर रखें तथा पोरी पर 1/4 भाग दूसरी पोरी पर चढा के बोएं। बिजाई के बाद सुहागा लगाए। गन्ने के जमाव को बढा़ने के लिए गडढा विधि द्वारा बिजाई की जा सकती है।
अच्छे जमाव के लिए बीज गन्ने के 2/3 उपरी भाग से ही ले। गन्ने की फसल में पोषक तत्वाें की मात्रा अहम महत्व रखती है। इसलिए मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही पोषक तत्व दिए जाए। सामान्यत 5-7 ट्राली गली-सडी़ गोबर की खाद खेत में मिलाए व बिजाई के समय पोरियाें के नीचे 45 किलोग्राम यूरिया (20 किलोग्राम नाइट्रोजन) व 45 किलोग्राम डीएपी (20 किलोग्राम फासफोरस) तथा 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग अवश्य करें। पोटाश की कमी में 35 किलोग्राम म्युरेट आफ पोटास भी डालें। बीज के लिए पोरिया स्वस्थ व साफ ले। फसल उगने के समय दीमक व कनसुए के आक्रमण से बचाव के लिए 2.5 लीटर कलोरीपायरीफास 20 ईसी या 600 मिलीलीटर फिप्रोलिन 5 एससी को 600 से 1000 लीटर पानी में मिला कर खुड में बीज पर फव्वारा करें।