Haryana Congress Dispute: हरियाणा कांग्रेस के नेताओं पर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की एकजुटता के पाठ का बस कुछ ही दिन असर रहा। राहुल गांधी के साथ बैठक के चंंद दिनों बाद ही राज्य के कांग्रेस नेताओं में टकराव शुरू हो गया है। अब पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी नेता कुलदीप शर्मा और कुलदीप बिश्नोई आमने-सामने हैं। दरअसल बिश्नोई अपने पिता की तरह गैरजाट नेता के रूप में स्थापित होना चाहते हैं और हुड्डा खेमा को यह बाात रास नहीं आ रही।
दरअसल, राहुल गांधी से एकजुटता का मंत्र लेकर लौटे पार्टी दिग्गजों की आपसी कलह कम होने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस के सदस्यता अभियान को लेकर हुड्डा और सैलजा खेमों में चल रही खींचतान के बीच अब कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य कुलदीप बिश्नोई और पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा के बीच तकरार सामने आई है।
दोनों कुलदीप कांग्रेस में गैर जाट की राजनीति करते हैं। कुलदीप बिश्नोई ने करनाल में रैली कर जहां कांग्रेस हाईकमान को अपनी ताकत दिखाई है, वहीं कुलदीप शर्मा ने खुद को मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने वाले नेताओं पर कार्रवाई की जरूरत बताई है।
हिसार व भिवानी के सांसद रह चुके आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई ने लंबे गैप के बाद करनाल से से अपने राज्य स्तरीय जन जागरण अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के लिए कुलदीप बिश्नोई ने रोहतक के योगेंद्रनाथ मल्होत्रा के नेतृत्व में एक पचास सदस्यीय समन्वय समिति बनाई है, जो पूरे प्रदेश में उनके कार्यक्रम तय करेगी।
करनाल से कुलदीप बिश्नोई के पिता पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल सांसद रह चुके हैं। यहां से मुख्यमंत्री मनोहर लाल विधायक हैं। इसलिए कुलदीप ने अपने जन जागरण अभियान की शुरुआत करनाल से कर हाईकमान को तो अपना कद दिखाया ही, साथ ही भाजपा को भी चुनौती दी है।
कुलदीप बिश्नोई ने करनाल में रैली कर पार्टी हाईकमान व अपने राजनीतिक विरोधियों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि भजनलाल का परिवार हिसार से बाहर भी अपना पूरा वजूद रखता है। कुलदीप को जाट नेतृत्व के रूप में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की लीडरशिप स्वीकार नहीं है। वह पार्टी में गैर जाट के नाम से खुद की अलग लकीर खींचकर चल रहे हैं।
बिश्नोई के करीब नेताओं का दावा है कि कांग्रेस हाईकमान को कुलदीप की यह लकीर रास आ रही है। दूसरी ओर करनाल से चूंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेहद भरोसेमंद साथी पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा लोकसभा की सीट के प्रबल दावेदार हैं, इसलिए कुलदीप शर्मा ने बिश्नोई की नई रणनीति पर सवाल उठाए हैं।
कुलदीप शर्मा ने लगे हाथ सैलजा को भी लपेटे में लेने की कोशिश की। कांग्रेस में हर नेता के मुख्यमंत्री पद का दावा करने से असहज दिख रहे कुलदीप शर्मा ने 2019 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में पिछड़ने का बड़ा कारण संगठन की कमी को माना है। साथ ही वह यह भी कहना है कि कि यदि सर्िु आधा दर्जन टिकटों का बंटवारा सही ढंग से हो जाता, यानी इन टिकटों के वितरण में हुड्डा की पसंद का ख्याल रखा जाता तो आज हरियाणा में कांग्रेस की सरकार होती।
कुलदीप शर्मा हर जनसभा में समर्थकों द्वारा अपने-अपने नेता के मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में नारे लगाने को भी पार्टी की सेहत के लिए सही नहीं मानते। इस कड़ी में उन्होंने कुलदीप बिश्नोई पर सवाल दागे हैं।
अब मेरे समर्थकों का कारवां रुकने वाला नहीं : बिश्नोई
” मेरे विरोधी यह कहना छोड़ दें कि कुलदीप बिश्नोई हिसार तक सीमित है। स्व. भजनलाल के परिवार के लोग जनता के दिलों में बसे हैं। पांच राज्यों में कांग्रेस की हार, किसान के खेत में व्यस्त होने और बिना किसी बड़े पद के बावजूद करनाल में शानदार रैली हुई है। अकेले भजनलाल का परिवार है, जो पूरे प्रदेश के कोने-कोने से चुनाव लड़कर जीता है। फरीदाबाद व करनाल में स्वयं चौधरी भजनलाल लोकसभा जीते। हिमाचल बार्डर पर कालका में चंद्रमोहन चार बार चुनाव जीते। भिवानी व हिसार में मैं खुद लोकसभा चुनाव जीता। पंजाब बार्डर पर फतेहाबाद से मेरे भाई दूड़ा राम विधायक हैं। पिताजी के भाई हनुमान बिश्नोई टोहाना से विधायक रहे। अब यह कारवां तभी रुकेगा, जब भाजपा को उखाड़कर राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाएंगे।
विधायक।
कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों पर हाईकमान संज्ञान ले : कुलदीप शर्मा
” कांग्रेस में हर कोई मुख्यमंत्री है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार बननी तय थी, यदि हमारा संगठन होता। हमारे सभी दस लोकसभा उम्मीदवार चुनाव हार गए। हिसार में कुलदीप बिश्नोई के बेटे की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस का नुकसान वह अलग-अलग आवाज भी कर रही है, जो मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की हैं। पार्टी में मुख्यमंत्री पद के सौदागर पैदा हो गए हैं। कुछ दिन पहले ही करनाल से एक मुख्यमंत्री बनकर गया है। जिस लीडर की सभा हो, वह अपने आने वाले मुख्यमंत्री के रूप में नारे लगवाता है। हमने अभी तक पंजाब से कोई सबक नहीं सीखा। कुलदीप बिश्नोई की याददाश्त चली गई है। उनके पिता भजनलाल करनाल से सबसे बड़े मार्जिन से चुनाव हारे। हिसार में बेटे की जमानत जब्त हुई। पंचकूला से चंद्रमोहन चुनाव हारे। सीएम के रूप में खुद को क्लेम करना गलत बात है। हाईकमान को इस पर कड़ा संज्ञान लेना चाहिए।