इंटरनेट मीडिया के जरिये हो रहे आपत्तिजनक तथ्यों के प्रसार पर लगे रोक

अमेरिका के एक मनोवैज्ञानिक फिलिप जोंबार्डो ने ऐसी स्थिति में मनुष्यों की व्यावहारिक प्रवृत्ति का अध्ययन किया था, जब उनकी पहचान को गुप्त रखा गया था। परिणाम जो सामने आए, वह अपेक्षित रूप से सही दिशा में थे, या यूं कहें कि जैसा सोचा गया था लगभग वैसे ही परिणाम प्राप्त हुए। निष्कर्ष यह रहा कि अगर कोई अपनी पहचान गुप्त रखता है तो उसके अनियंत्रित या उपद्रवी व्यवहार में शामिल होने की आशंका अधिक थी।

कुछ ऐसा ही आजकल हमें अपने देश के तमाम इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर भी देखने को मिल रहा है। आज कई लोग अपनी पहचान छिपाकर अपनी हदों को पार कर रहे हैं। उनका व्यवहार अशोभनीय, अनियंत्रित और कई बार बर्दाश्त करने की क्षमता से बाहर होता है। देखने में यह भी आता है कि किसी ठोस जांच के अभाव में उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई सुनिश्चित नहीं हो पाती है।

इस तरह की अराजकता की स्थिति को खत्म करने, इंटरनेट मीडिया में पारदर्शिता स्थापित करने और इन प्लेटफार्म की जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने पिछले वर्ष सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 अधिसूचित किए हैं। इन नियमों को अंतिम रूप देते समय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सूचना व प्रसारण मंत्रालय दोनों ने आपस में विस्तृत विचार-विमर्श किया, ताकि इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के साथ-साथ डिजिटल मीडिया और ओटीटी यानी ओवर द टाप प्लेटफार्म आदि के संबंध में एक सामंजस्यपूर्ण एवं अनुकूल निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। इसके अंतर्गत स्वैच्छिक रूप से अपने खातों का सत्यापन कराने के इच्छुक उपयोगकर्ताओं को अपने खातों के सत्यापन के लिए एक उचित तंत्र उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें उन्हें एक विजिबल वेरिफिकेशन मार्क भी दिया जाएगा।

यह विजिबल वेरिफिकेशन मार्क बायोमीट्रिक या भौतिक पहचान की तरह होगा जो सार्वजनिक रूप से सभी को दिखाई देता है। इस इंटरनेट मीडिया विनियमन के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया था, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ सांसद शामिल थे। सभी इस बात पर सर्वसम्मति से सहमत हुए कि इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को उसकी सामग्री के लिए जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है, जिसे वे अपने प्लेटफार्म पर पोस्ट/ होस्ट करने की अनुमति देते हैं। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को अपने उपयोगकर्ताओं को आधिकारिक तौर पर स्वयं की पहचान करने और स्वैच्छिक सत्यापन प्रक्रिया की अनुमति देनी चाहिए, और इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए। हालांकि जेपीसी ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर इस तरह की किसी भी आचार संहिता के न होने पर नाराजगी जताई थी।