इस माह के अंत में भारत आएंगे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, काफी अहम होने वाला है ये दौरा

इस माह के अंत में भारत के दौरे पर आने वाले हैं। उनका ये दौरा काफी अहम होने वाला है। ये दौरा वैश्विक पटल पर भी काफी मायने रखता हे। उनका ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब यूरोप रूस से जंग के चलते कई तरह के संकट से घिरा हुआ है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का असर पूरे विश्‍व पर ही देखने को मिल रहा है। फिलहाल निकट भविष्‍य में इसका कोई विकल्‍प भी दिखाई नहीं दे रहा है।

बहरहाल, बोरिस जॉनसन के दौरे की ही यदि बात करें तो ये लगातार काफी समय से टलता जा रहा था। वर्ष जनवरी 2021 और अप्रेल 2021 में भी उनके भारत दौरे पर आने की अटकलें थीं लेकिन उस वक्‍त उनका दौरान देश और दुनिया में जारी कोरोना महामारी के चलते रद कर दिया गया था। 26 जनवरी को होने वाले समारोह में उन्‍हें चीफ गेस्‍ट बनाया गया था। इसमे शामिल न होने पर उन्‍होंने अफसोस भी जताया था।

इसके बाद नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने स्‍काटलैंड के ग्‍लासगो में हुए यूएन क्‍लाइमेट चेंज कांफ्रेंस COP26 सम्‍मेलन के दौरान बोरिस जॉनसन को भारत आने का न्‍यौता दिया था, जिसको उन्‍होंने स्‍वीकार भी कर लिया था। इस माह के अंत में होने वाला उनका ये दौरान वर्ष 2030 के रोडमैप को भी तैयार करने और उस पर आगे बढ़ने में सहायक साबित होने वाला है।

ग्‍लासगो के सम्‍मेलन से इतर भारत और ब्रिटेन के बीच जिन द्विपक्षीय मसलों और संबंंधों को आगे बढ़ाने पर बातचीत हुई थी, ये दौरा उसी कड़ी को आगे बढ़ाएगा। इस दौरान ग्रीन हाइड्रोजन, अक्षय ऊर्जा और क्‍लीन टेक्‍नोलाजी, रक्षा सहयोग में भी आगे बढ़ने की उम्‍मीद की जा रही है। वर्ष 2019 में पीएम का पद संभालने के बाद बोरिस जॉनसन का ये पहला भारत दौरा है। इससे पहले वो नवंबर 2012 में लंदन के मेयर की हैसियत से भारत आए थे।

बोरिस जानसन के इस दौरे से पहले यदि रूस और यूक्रेन विवाद का कोई समाधान नहीं निकला और सीजफायर नहीं हुआ तो ये मुद्दा भी दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ता में शामिल हो सकता है। बता दें कि भारत इस मुद्दे पर तटस्‍थ रुख अपनाए हुए हैं। भारत का कहना है कि इसका समाधान बातचीत के जरिए दोनों के हितों को ध्‍यान में रखते हुए निकाला जाना चाहिए। वहीं पश्चिमी देशों लगातार भारत पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि वो रूस पर लगाए प्रतिबंधों में उनका सहयोग करे।