खाद्य तेलों की जमाखोरी के खिलाफ जांच शुरू, दिसंबर तक बढ़ाई गई स्टॉक सीमा

सरकार ने खाद्य तेलों की जमाखोरी रोकने के लिए जांच अभियान की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य खाद्य तेलों और तिलहन बीजों के दाम नियंत्रित करना तथा कालाबाजारी पर लगाम लगाना है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने सोमवार को कहा कि सरकार ने तेलों के दाम नियंत्रित करने के लिए पिछले कुछ समय के दौरान कई कदम उठाए हैं। इसके तहत जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए पहली अप्रैल से खुदरा और थोक व्यापारियों के यहां जांच का अभियान शुरू किया गया है।

राज्य सरकार के अधिकारियों के सहयोग से केंद्रीय टीम खाद्य तेल और तिलहन उत्पादक राज्यों में जांच कार्यो में जुटी है। पांडेय ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में यह अभियान चल रहा है। आने वाले दिनों में अन्य राज्यों में भी यह अभियान जोर-शोर से शुरू किया जाएगा। पांडेय के अनुसार, आठ राज्यों के चुनिंदा जिलों में अभी यह अभियान चल रहा है। इन राज्यों में राजस्थान, तेलंगाना, गुजरात, बंगाल और दिल्ली भी शामिल हैं।

मौजूदा वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति के कारण कमोडिटीज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने गुरुवार (31 मार्च) को खाद्य तेलों और तिलहन बीजों पर स्टॉक की सीमा इस साल दिसंबर तक बढ़ा दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि इस संबंध में आदेश एक अप्रैल से प्रभावी होगा।

अक्टूबर 2021 में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मार्च 2022 तक स्टॉक की सीमा लगा दी थी, और राज्यों को यह तय करने के लिए छोड़ दिया कि क्या स्टॉक की सीमा उपलब्धता और खपत पैटर्न पर आधारित होनी चाहिए।

ताजा आदेश के अनुसार, खाद्य तेलों की स्टॉक सीमा खुदरा विक्रेताओं के लिए 30 क्विंटल, थोक विक्रेताओं के लिए 500 क्विंटल, थोक उपभोक्ताओं के रिटेल आउटलेट (बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेता और दुकानें) के लिए 30 क्विंटल और इनके डिपो के लिए 1,000 क्विंटल होगी। खाद्य तेलों के संसाधक अपनी भंडारण/उत्पादन क्षमता के 90 दिनों तक का स्टॉक कर सकते हैं।