आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार के मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हो गया है। सोमवार को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। नई कैबिनेट में 25 नेताओं को जगह दी गई है। इससे पहले, 24 कैबिनेट मंत्रियों से इस्तीफा लिया गया था। राज्यपाल भूषण हरिचंदन ने सभी मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
कहा जा रहा है कि इस्तीफा देने वाले मंत्रियों को पार्टी में जिम्मेदारियां दी जाएंगी। जिससे वे अपने अनुभव का उपयोग 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कर सके और पार्टी की जीत सुनिश्चित करे।
नए मंत्रिमंडल में वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं के साथ-साथ युवा चेहरों को तरजीह दी गई है। जगन मोहन ने कैबिनेट में एससी, एसटी, अल्पसंख्यकों और पिछड़ा वर्ग के लोगों को जगह दी है। बता दें कि 2019 में चुनाव जीतने के बाद सीएम जगन मोहन ने 24 मंत्रियों का कैबिनेट बनाया था। इसमें 56 प्रतिशत मंत्री एससी, एसटी, ओबीसी और समाज के अल्पसंख्यक वर्गों से थे। मुख्यमंत्री ने फिर कैबिनेट में उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाकर 68 प्रतिशत कर दिया। पिछली कैबिनेट में 5 एससी, 1 एसटी, 7 ओबीसी, 1 अल्पसंख्यक और 11 अन्य जातियों के विधायक मंत्री थे।
जगन मोहन ने अभूतपूर्व फैसला लेते हुए पांच डिप्टी सीएम बनाए हैं। देश में पहली बार किसी राज्य में इतनी बड़ी संख्या में डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। डिप्टी सीएम में चार एससी-एसटी और अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं।
साल 2014 में चंद्रबाबू नायडू की सरकार में अन्य श्रेत्री से 13 विधायक मंत्री बनाए गए थे। जबकि अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा जाति के 12 विधायक मंत्री बने थे। हालांकि, इनमें से एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय के किसी भी नेता को मंत्रालय नहीं दिया गया था। 2017 में मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया गया, उस वक्त भी लगभग मंत्रिमंडल का ऐसा ही चेहरा था।
नायडू का कार्यकाल पूरा होने से केवल चार महीने पहले एसटी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसके मुकाबले जगन की कैबिनेट में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।