बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार ने आज पीसी की। उन्होंने बिहार सरकार की ‘हर घर नल का जल’ योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योजना की शुरुआत से अब तक प्रदेश के 1 करोड़ 85 लाख से अधिक घरों तक नल का शुद्ध पानी पहुंचाया जा चुका है।
साल 2016 में जहां महज 2 प्रतिशत घरों तक ही नल का जल उपलब्ध था, वहीं अब यह आंकड़ा 92 प्रतिशत परिवारों तक पहुंच चुका है।
जिलास्तर पर 38 प्रयोगशाला की हो रही जांच
पूरे राज्य में 1,14,450 वार्डों में 1,23,936 योजनाओं का निर्माण किया गया है। 1 करोड़ 85 लाख 99 हजार से अधिक घरों तक जलापूर्ति सुनिश्चित की गई है। 11 जिलों के 14 अति पिछड़े क्षेत्रों (आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन प्रभावित इलाकों) के 2 लाख 40 हजार घरों तक शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा रही है।
47.30 लाख घरों में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन मुक्त जल आपूर्ति हो रही है। राज्य स्तर पर 1 लैब, जिला स्तर पर 38 प्रयोगशालाएं और प्रखंड स्तर पर 75 लैब्स से पानी की गुणवत्ता की जांच की जा रही है।
नल का जल के लिए 27,737 नई योजनाओं की मिली स्वीकृति
राज्य सरकार ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 27,737 नई योजनाओं को स्वीकृति दी है। इनके पूरा होने पर 26 लाख 45 हजार से अधिक परिवारों तक नल का जल पहुंच जाएगा।
लखीसराय के नक्सल प्रभावित 23 पंचायतों के 318 वार्डों में 320 करोड़ रुपए की लागत से योजनाएं चलाई जा रही हैं। कैमूर के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सोन नदी से पानी पहुंचाने के लिए 293 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की गई है। दरभंगा के लहेरियासराय में और सीतामढ़ी जिले के नानपुर प्रखंड में 7-10 करोड़ रुपए की लागत से ‘कॉन्टैक्ट टैंक’ निर्माण का काम स्वीकृत किया गया है।
2 लाख से अधिक लोगों को गांव में मिला रोजगार
आगे उन्होंने बताया कि योजना से ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सबसे अधिक राहत मिली है। अब उन्हें दूर-दूर से पानी लाने की मजबूरी से मुक्ति मिली है। समय और श्रम की बचत से उनका जीवन स्तर बेहतर हुआ है।
गांवों में 2 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। एक लाख 23 हजार योजनाओं के सुचारू संचालन के लिए 1.23 लाख ऑपरेटर और पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं।
पेयजल आपूर्ति से बच्चों और महिलाओं में बीमारियों में कमी आई है। 2025 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, डायरिया, टाइफाइड और वायरल हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।