देशभर के न्यायालयों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव… चिंताजनक है स्थिति

National Judicial Infrastructure देश की न्यायालयों के बुनियादी ढांचों में सुधार को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को सुप्रीम कोर्ट व सभी हाई कोर्ट के प्रधान न्यायाधीशों स चर्चा करेंगे। न्यायायिक ढांचों को सुधारने की चर्चा से पहले यह जानना जरूरी है होगा कि वर्तमान स्थिति क्या है। जजों की संख्या से लेकर लंबित केस हों या फिर देशभर के न्यायालय परिसरों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव। इन सभी पैमानों पर स्थिति चिंताजनक है।

नेशनल ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड पर पल-पल उभरते आंकड़े यह बात बयां करते हैं। यह स्थिति क्यों बनी? इसका जवाब तलाशते हुए जो तथ्य सामने आते हैं वह यह है कि केंद्र और राज्यों सरकारों के बजट में न्यायिक तंत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए आवंटित राशि जीडीपी का एक प्रतिशत भी नहीं है।

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में पूछे गए सवाल पर लिखित जवाब दिया था कि देश की विभिन्न अदालतों में 4.70 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट में इस साल दो मार्च तक 70,154 और देश के 25 उच्च न्यायालयों में 21 मार्च तक 58,94,060 मामले लंबित थे। उन्होंने कहा कि इसमें अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार में लंबित मामलों का आंकड़ा शामिल नहीं है।