Cold, Pollution & Coronavirus: कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई को करीब एक साल हो चुका है। पिछले साल दिसंबर के महीने में ही चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था। कोरोना वायरस की वैक्सीन ज़रूर आ चुकी है, लेकिन जब तक सभी को ये वैक्सीन नहीं लग जाती हमें इस घातक बीमारी से जुड़ी सावधानियां बरतनी पड़ेंगी। इस वक्त सभी का फोकस कोविड-19 पर ज़रूर है, लेकिन इसके साथ हमें पहले से मौजूद गंभीर बीमारियों को नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिए। खासतौर पर सर्दी के मौसम में फ्लू या कोल्ड जैसे संक्रमण काफी आम होते हैं, साथ ही बढ़ते प्रदूषण से जुड़ी सांस की बीमारियां।
देश के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता तेज़ी से गिर रही है। ऐसे में डाक्टरों ने चेतावनी दी है और अपनी चिंता जताई है कि अगर वायु प्रदूषण के संपर्क में हम ज़रा-सा भी आते हैं, तो कोरोना वायरस संक्रमण हमारे लिए जानलेवा साबित हो जाएगा। ख़राब हवा न सिर्फ कोविड-19 के लिए ख़तरनाक होती है बल्कि इसकी वजह से नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियों जैसे फेफड़े का कैंसर, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (COPD) और अस्थमा बढ़ रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली सहित उत्तरी इलाकों में आने वाले दिनों में ठंड बढ़ने वाली है। सर्द हवाओं के साथ पारा और भी गिर सकता है, जिसकी वजह से मामला ख़राब और चिंताजनक हो सकता है।
पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के डॉ. अरुणेश कुमार, एचओडी और सीनियर पुलमोनोलॉजिस्ट का कहना है, “पिछली बार भी हमने देखा कि हवा में नुकसानदायक पार्टिकुलेट मैटर मौजूद थे, जिसकी वजह से लोगो में सीओपीडी जैसे की फेफड़े के कैंसर और अस्थमा जैसे बीमारियों का गंभीर परिणाम देखने को मिला। अगर हम इस ख़राब क्वालिटी की हवा में लम्बे समय तक रहते हैं, तो इन रोगों के ज्यादा विकसित होने की संभावना हो जाती है। हम अपनी ओपीडी में सांस की बीमारियों और एनसीडी के कई नई केसेस को देख हैं। अभी वायु प्रदूषण और कोविड-19 दोनों का असर है, ऐसे में एनसीडी बीमारियों में बढ़ोत्तरी होने से हेल्थकेयर पर बोझ बढ़ जाएगा। हमें इस महामारी को कम करने के लिए कई पहलुओं पर काम करने की ज़रूरत है।”
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के डॉ. उबैदुर रहमान, इंटरनल मेडिसिन एंड क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट ने कहा, “वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन से वायु की क्वालिटी बहुत ख़राब हो गयी है। इससे एलर्जी से होने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ गयी है। सर्दियों में टेम्परेचर गिरने के कारण रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है क्यूंकि प्रदूषित हवा सांस की नली पर सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव डालती है। जिन लोगों को एलर्जी से ख़तरा होता है, वे प्रदूषण से एलर्जी को और ख़राब होने से तो नहीं रोक
सकते हैं लेकिन इसकी तीव्रता को कम कर सकते हैं। ज्यादा समय घर में रहे और जरूरत होने पर ही मास्क लगाकर घर से बाहर निकलें। फेस मास्क प्रदुषण एवं एलर्जी से तो बचाता ही है साथ संक्रामक संक्रमण (कम्युनिकेबल इन्फेक्शन) जैसे ट्यूबरक्लोसिस को भी फ़ैलने से रोकता है।”
इस समय प्रदूषण और सर्दी के मौसम में ये सावधानियां बरतें:
अगर आप पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, तो प्रदूषण की वजह से सांस की तकलीफ या हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है। ऐसे में आपको कुछ सावधानियां बरतनी ज़रूरी हैं।
1. ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिएं, इससे प्रदूषण का असर कम होता है।
2. सर्दी के मौसम में सुबह-सुबह टहलने न जाएं।
3. जिस समय प्रदूषण सबसे ज़्यादा होता उस समय अंदर ही रहें।
4. धूप निकलने के बाद ही बाहर निकलें।
5. घर से निकलते वक्त मास्क ज़रूर पहनें।
6. हरी सब्ज़ियों और फलों का सेवन करें।