Kids and Foods: अगर बच्चे में खाने को लेकर नखरे करने की आदत हो तो पेरेंट्स के लिये उसे संभालना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उनकी बॉडी में कई सारे न्यूट्रिशन की कमी हो जाती है जो शारीरिक विकास के साथ ही मानसिक विकास के लिए भी बहुत ही जरूरी होता है। खिचड़ी, दाल, सब्जी, फल और भी बहुत सारी चीज़ें इस लिस्ट में शामिल हैं जो हेल्दी तो हैं लेकिन बच्चों के पसंदीदा खानपान की लिस्ट से बाहर। जब बच्चे ये सब खाने से इन्कार करते हैं तो थक-हार कर पेरेंट्स उनकी पसंद का ऑप्शन उन्हें दे देते हैं जो स्वाद में भले ही अच्छे लगे लेकिन ओवरऑल हेल्थ के लिए किसी भी तरह से सही ऑप्शन नहीं। तो आइए जानते हैं क्या वजहें हो सकती हैं इस आनाकानी की?
1. स्वाद: बच्चे मीठे के स्वाद की स्वाभाविक पसंद के साथ पैदा होते हैं। वयस्कों की तुलना में उनमें मीठा खाने की तलब कहीं ज्यादा होती है। जैसे, हो सकता है कि उन्हें सब्जियां खाना उतना पसंद ना हो, जितना कि मीठी चीजें, जिसकी वजह से वे सेहतमंद खाना खाने से इनकार कर देते हैं और वे खाने में मीन-मेख निकालने वाले बन जाते हैं।
2. भोजन की संरचना: आपने देखा होगा कि आपका बच्चा टेबल पर रखी दूसरी चीजों की तुलना में ब्रेड के स्लाइस, केक, ब्रेडस्टिक्स, क्रैकर्स, चिकन नगेट्स, चिप्स जैसी चीज़ें ज्यादा पसंद करता है। इसकी वजह यह है कि उन्हें इन चीज़ों को चबाने और निगलने में ज्यादा प्रयास नहीं करना पड़ता है क्योंकि वो प्रोसेस फूड होते हैं जिनमें कोई भी पोषक तत्व नहीं होता है। दूसरा कारण यह है कि बच्चे इन खाद्य पदार्थों को पसंद करते हैं क्योंकि वे स्टार्चयुक्त कार्बोहाइड्रेट होते हैं।
3. भटकाव और भूख: क्या आपने कभी अपने बच्चों के लिए भोजन और नाश्ते के समय में अंतर करने पर विचार किया है? अक्सर ऐसा हो सकता है कि भोजन के समय के करीब नाश्ता करने से भोजन करने की उनकी इच्छा कम हो जाती है और इसलिए उनकी भूख कम हो जाती है। भोजन और नाश्ते का टाइम टेबल बनाना जरूरी है। इसके अलावा खाते वक्त उन्हें टीवी और मोबाइल से दूर रखें क्योंकि इससे उनका या तो वो ओवरईटिंग करते हैं या फिर नहीं खाते हैं।
4. हाथों से खिलाना: बच्चों को प्लेट में खाना देकर पेरेंट्स अक्सर अपने कामों में लग जाते हैं। जिससे कई बार बच्चा सही तरीके से खा नहीं पाता। तो इसके लिए बच्चों का खाना किसी दूसरे से सर्व कराने के बजाय पेरेंट्स को खुद सर्व करना चाहिए और कोशिश करें उन्हें हाथों से खाना खिलाने की। खिलाने के साथ-साथ सर्व की गई चीज़ों के फायदे भी बताना चाहिए, हो सके तो खुद खाकर भी दिखाएं जिससे बच्चे भी देखकर खाएं।