Biotech Startup Expo: 150 अरब अमेरिकी डालर तक भारत की बायोटेक इकोनमी के वर्ष 2025 तक पहुंचने का अनुमान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को बायोटेक स्टार्टअप एक्सपो में जब कहा कि देश की बायो इकोनमी बीते आठ वर्ष में आठ गुना बढ़ी है तो वह संकेत दे रहे थे कि कैसे बायोटेक के क्षेत्र में भारत तेजी से विकास कर रहा है। स्वास्थ्य से लेकर कृषि तक बायोटेक का प्रयोग कर उन्नति की राहें प्रशस्त की जा सकती हैं। आइए समङों क्या है बायोटेक और कैसे स्वावलंबन की यात्र में भारत इस विधा के माध्यम से विश्व में एक बड़ी लकीर खींच रहा है:

क्या है बायोटेक इकोनमी: बायोटेक यानी मानव जीवन को सरल, सहज व सुरक्षित बनाने के लिए जीव विज्ञान के सिद्धांतों व प्रक्रियाओं पर आधारित शोध, अनुसंधान और नवोन्मेष को बायोटेक्नोलाजी यानी बायोटेक कहा जाता है। और आसान शब्दों में कहें तो स्वास्थ्य से लेकर कृषि तक एक विस्तारित क्षेत्र में जीव विज्ञान के अत्याधुनिक प्रयोग से नवाचार को गति देने की प्रक्रिया को ही बायोटेक या जैव तकनीक कहा जाता है। बायोटेकक्षेत्र में कार्य कर रही कंपनियों और सेवाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था में होने वाले योगदान को ही बायोटेक इकोनमी कहा जाता है।

भारत बायोटेक में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। मध्य व दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में शीर्ष पर है। भारत विश्व के उन शुरुआती देशों में शामिल है जिन्होंने बायोटेक क्षेत्र के लिए विशेष विभाग गठित किया है। डिपार्टमेंट आफ बायोटेक्नोलाजी भारत सरकार के विज्ञान और तकनीक मंत्रलय के अधीन आता है। पांच टिलियन अमेरिकी डालर की इकोनमी के लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत सरकार बायोटेक इकोनमी को महत्वपूर्ण मानकर आगे बढ़ रही है।

ऐसा है भारत का बायोटेक क्षेत्र: बायो फार्मास्यूटिकल्स: बायो फार्मास्यूटिकल्स के अंतर्गत भारत विश्व में वैक्सीन का बड़ा उत्पादक बनकर सामने आया है। इसमें डीपीटी, बीसीजी, मीजल्स जैसी वैक्सीन के साथ कोविड वैक्सीन का निर्माण भी शामिल है।

बायो सिमिलर: बायो सिमिलर यानी पहले से मौजूद किसी दवा की तरह ही बनाया गया नया उत्पाद। घरेलू बाजार में सर्वाधिक बायोसिमिलर को मिले लाइसेंस के साथ इस क्षेत्र में भी भारत अग्रणी है। वर्ष 2025 तक इस क्षेत्र के 12 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान है।

बायो सर्विसेज: इसके अंतर्गत भारत कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग, शोध और क्लिनिकल ट्रायल में क्षमता वाला देश माना जाता है। यही कारण है कि अमेरिका के बाहर अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्राधिकरण (यूएसएफडीए) स्वीकृत सर्वाधिक संयंत्र यहां हैं।

बायो एग्रीकल्चर: भारत में बायो एग्रीकल्चर क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। बीटी काटन ने विश्व में हमें पहचान दी है। कम लागत और श्रम के साथ अधिक व गुणवत्तापूर्ण उत्पाद वाली फसलों पर विशेष रूप से कार्य किया जाता है। इसमें रासायनिक खाद के जैविक विकल्प पर भी कार्य होता है। बायो आइटी भी अहम है।

वैश्विक बाजार में बढ़ती हिस्सेदारी: एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2025 तक वैश्विक बायोटेक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत हो जाएगी। भारत में बायोटेक बाजार 22 प्रतिशत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) से बढ़ेगा। भारत की बायोटक इकोनमी में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्ष 2019 में यह 62.5 अरब डालर से बढ़कर 2020 में 70 अरब डालर पहुंची। आठ वर्ष में 10 अरब से 80 अरब डालर तक पहुंच चुकी है। एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में भारत तीसरी सबसे बड़ी बायोटेक इकोनमी है।

युवाओं की बड़ी संख्या का लाभ: वर्ष 2027 तक हम विश्व में सर्वाधिक आबादी वाले देश होंगे। हमारे पास विज्ञान और तकनीकी स्नातकों की बड़ी संख्या है और बायोटेक के क्षेत्र में इनकी महती भूमिका होगी। एक आंकड़े के अनुसार भारत के पास वर्तमान में दस लाख से अधिक बायोटेक कुशल वर्कफोर्स है।

स्टार्टअप से बदल रही तस्वीर: इन्वेस्ट इंडिया वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार देश में इस समय बायोटेक के क्षेत्र में 5,000 से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं और वर्ष 2025 तक इनकी संख्या 10,000 पहुंचने का अनुमान है। भारत में बीते सात वर्ष में बायोटेक स्टार्टअप की वृद्धि दर 38.1 सीएजीआर रही है।

अपार संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार प्रोत्साहन के विशेष प्रयास कर रही है। ग्रीनफील्ड का मतलब किसी संयंत्र को स्थापित कर उत्पादन करने से है। इसका दूसरा प्रकार ब्राउनफील्ड होता है जिसमें पहले से ही स्थापित किसी संयंत्र का प्रयोग औद्योगिक गतिविधि के लिए किया जाता है। ब्राउनफील्ड फार्मा क्षेत्र में भी सौ प्रतिशत एफडीआइ है, लेकिन इसमें आटोमैटिक रूट के अंतर्गत 74 प्रतिशत एफडीआइ की अनुमति है और शेष के लिए सरकार की अनुमति लेनी होती है। मेडिकल उपकरण बनाने के लिए भी सौ प्रतिशत एफडीआइ की आटोमैटिक रूट से अनुमति है।