कहा जाता है बरसात में बीमारियां पनपती हैं। सर्दी-खांसी, बुखार, फूड प्वाइजनिंग, डायरिया जैसी बीमारियां इस सीजन में आम होती हैं। ऐसे सीजन में खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है। इन्हीं में से एक सावधानी साग-सब्जियों को लेकर है।
डॉक्टरों का मानना है कि बरसात में हरी सब्जियां खाने में अलर्ट रहना चाहिए। खासकर पत्तेदार सब्जियां। मेडिका अस्पताल रांची की चीफ डाइटिशियन डॉ. विजय श्री प्रसाद का कहना है कि मौसम में बदलाव के कारण हमारी इम्यूनिटी कमजोर होती है। तब कई बार बिना सोचे-समझे वैसी चीजें भी डाइट का हिस्सा बन जाती हैं जो सेहत के लिए ठीक नहीं है।
पकाने से पहले साफ करना जरूरी
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, लाल साग आदि पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें विटामिन और मिनरल्स खूब होते हैं। ये सब्जियां बेहद नमी वाले इलाके में होती हैं। इसलिए इन पर कई तरह के बैक्टीरिया, वायरस, फंगी, कीड़े आदि पनपने लगते हैं।
कुछ तो इतने सूक्ष्म होते हैं कि खुली आंखों से नहीं दिखते। हरी पत्तियां होने से इनके रंग के ही कीड़े छिपे होते हैं। पकाने से पहले इसे ठीक से साफ नहीं किया जाए तो ये शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। बेहतर ये है कि बरसात में इससे परहेज किया जाए।
पालक में छिपे होते हैं बैक्टीरिया
फिजिशियन डॉ. रवि कांत चतुर्वेदी बताते हैं कि बरसात के दिनों में पालक साग नहीं खाना चाहिए। फूड प्वाइजनिंग का यह सबसे बड़ा कारण है। इसमें ई कोली बैक्टीरिया छिपे होते हैं। पालक को कई बार धोने के बाद भी ये हटते नहीं हैं।
यही नहीं, पालक के साथ दूसरे खरपतवार भी आ जाते हैं। इनमें भी बैक्टीरिया छिपे होते हैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि हरी सब्जियों को बार-बार धोने से उनके पोषण तत्व भी निकल जाते हैं। ऐसे में उन्हें खाने से कोई फायदा नहीं होता। उल्टे बीमार होने का खतरा रहता है।
शादीपुर नई दिल्ली स्थित मेट्रो हॉस्पिटल के पलमोनलॉजिस्ट डॉ. आरके यादव बताते हैं कि ई कोली बैक्टीरिया के कारण फेफड़ों में इंफेक्शन हो सकता है। हालांकि ये रेयर होता है। निमोनिया की शिकायत हो सकती है।
बरसात में गोभी, ब्रोकली खाने से करें परहेज
बरसात हो या ठंड का मौसम, किसी भी मौसम में अब फूलगोभी, पत्तागोभी या ब्रोकली जैसी सब्जियां बाजार में मिल जाती हैं। इन सब्जियों में पत्तियों की गांठ होती है, परतदार होती हैं। इसलिए इनमें जानलेवा कीड़े छिपे होते हैं। ये मिट्टी के नजदीक उगते हैं इसलिए बारिश के दिनों में इनमें बैक्टीरिया आने का रिस्क अधिक होता है।