पंजाब में इमरान ने 20 में से 15 सीटें जीतीं:पूर्व PM बोले- शाहबाज सरकार चंद दिनों की मेहमान, पाकिस्तान में जल्द से जल्द चुनाव हों

पाकिस्तान के सबसे बड़े राज्य पंजाब में हुए बाय-इलेक्शन में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने 20 में से 15 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। अब ये तय है कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बेटे और पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री हमजा शरीफ की सरकार गिर जाएगी। इस जीत से इमरान के हौसले बुलंद हैं। खान ने केंद्र सरकार और फौज पर भी दबाव बढ़ा दिया है। इमरान ने सोमवार को कहा- शरीफ सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी। अब आम चुनाव ही रास्ता हैं।

हालात सुधरने के आसार नहीं

  • पाकिस्तान के सामने ढेरों चुनौतियां हैं। कई इकोनॉमिस्ट कह चुके हैं कि आबादी के लिहाज से देखा जाए तो पाकिस्तान किसी भी वक्त दिवालिया हो सकता है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) महीनों चली बातचीत के बावजूद लोन देने को तैयार नहीं दिखता। आतंकवाद के मुद्दे पर पाक तीन साल से FATF की ग्रे लिस्ट में है।
  • इमरान ने इन मुद्दों का भी जिक्र भी किया। कहा- अब मुल्क को मुश्किलों से बचाने का सिर्फ एक ही रास्ता है। जल्द से जल्द निष्पक्ष आम चुनाव कराए जाएं। हम अक्टूबर 2023 का इंतजार नहीं कर सकते। इलेक्शन कमीशन को सही रोल प्ले करना होगा। अगर अब भी कुछ नहीं किया गया तो मुल्क के आर्थिक हालात बद से बदतर हो जाएंगे।

अब तो कर्ज भी मुश्किल

  • IMF समेत कोई भी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन फिलहाल पाकिस्तान को कर्ज देने तैयार नहीं है। इसकी एक बड़ी वजह राजनीतिक अस्थिरता है। दूसरी बात इमरान का अमेरिका पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप है। यह बात दुनिया जानती है कि IMF और वर्ल्ड बैंक समेत तमाम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन ऐसे हैं जहां सीधे तौर पर अमेरिका का दबदबा है।
  • पाकिस्तान की दिक्कत यह है कि उसे साफ तौर पर चीन के पाले वाला देश मान लिया गया है। यही वजह है कि चीन तो पाकिस्तान को गुप्त शर्तों पर लोन दे देता है, लेकिन दुनिया का कोई भी वित्तीय संस्थान ऐसा नहीं करता। इसकी वजह अमेरिका है। शाहबाज शरीफ सरकार इमरान के दौर में अमेरिका से खराब हुए रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश जरूर कर रही है, लेकिन अब तक तो कामयाबी नहीं मिली।

‘ब्लूमबर्ग’ के मुताबिक, सोमवार को एक डॉलर का मूल्य पाकिस्तान के करीब 215 रुपए के बराबर था और यह दो साल का सबसे निचला स्तर है। 2017 के बाद यह करीब 42% गिरा है। पाकिस्तान को अफगानिस्तान के मामले में भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। पाकिस्तान के इकोनॉमिस्ट डॉक्टर फैज महमूद ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में कहा था- जब तक अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज थी, तब तक हम आतंकवाद के खिलाफ जंग के नाम पर लाखों डॉलर बटोरते थे। अब अमेरिका वहां से जा चुका है और उसने पाकिस्तान को फंड देना बंद कर दिया है। परेशानी यह है कि हम अपने पैरों पर कभी खड़े ही नहीं रहे। आने वाले वक्त में हालात सुधरेंगे, इसकी कोई उम्मीद नहीं। इमरान की पंजाब में जीत से मुल्क की सियासत और इकोनॉमी दोनों पर बेहद बुरा असर होगा।