दुनियाभर में कई महिलाओं को कोरोना के खिलाफ वैक्सीन लगने के बाद उसके असामान्य साइड-इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। यह बदलाव उनकी पीरियड साइकिल में आए हैं। साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित एक नई रिसर्च के मुताबिक वैक्सीन के बाद 42% लोगों को माहवारी के दौरान पहले से ज्यादा ब्लीडिंग का अनुभव हुआ है।
39,000 लोगों पर हुई स्टडी
तीन महीने की इस रिसर्च में 39,000 वयस्कों को शामिल किया गया। ये सभी वैक्सीन की दो डोज ले चुके थे और इनमें से किसी को भी कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ था। शोधकर्ताओं ने इन्हें माहावरी से जुड़े बदलाव जैसे- पीरियड का फ्लो, साइकिल की अवधि, ब्लीडिंग की अवधि और नॉर्मल लक्षणों पर ध्यान देने को कहा।
वैज्ञानिकों ने पाया कि पहले जिन लोगों के पीरियड्स रेगुलर हुआ करते थे, उनमें से 42% लोगों को पहले से ज्यादा ब्लीडिंग होने लगी। वहीं, 44% लोग ऐसे थे जिनके पीरियड फ्लो में कोई बदलाव नहीं हुआ। कुछ ही लोग ऐसे थे जिनका पीरियड फ्लो पहले के मुकाबले कम हुआ।
पीरियड्स में आए और भी बदलाव
रिसर्चर्स के अनुसार, हैरानी की बात यह थी कि जिन प्रतिभागियों को पीरियड्स आने बंद हो चुके थे (मेनोपॉज) या फिर जो माहवारी बंद करने के लिए हॉर्मोन या दवाओं का प्रयोग कर रहे थे, उन्हें भी कोरोना वैक्सीन लगने के बाद ब्लीडिंग होने लगी।
रिसर्च में शामिल शोधकर्ता कैथरीन ली और केट क्लैंसी ने बताया कि वैक्सीन के कारण माहवारी में होने वाली असामान्य परेशानियां लोगों की चिंता बढ़ा सकती हैं। इससे उन्हें शारीरिक दर्द के साथ ही मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
फार्मा इंडस्ट्री को इस बात पर ध्यान देना जरूरी
ली का कहना है कि माहवारी में होने वाले बदलाव ज्यादा खतरनाक नहीं होते, लेकिन फिर भी किसी दवा पर विश्वास बनाने के लिए इन अनुभवों पर ध्यान देना जरूरी है। उधर, 2021 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च की शोधकर्ता विक्टोरिया मेल कहती हैं कि भविष्य में किसी इलाज पर होने वाली रिसर्च में माहवारी पर उसके प्रभावों के पहलू को भी परखना चाहिए।
दूसरी वैक्सीन्स भी करती हैं माहवारी को प्रभावित
साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के अनुसार 1913 में एक रिसर्च में पाया गया था कि टाइफाइड की वैक्सीन से पीरियड साइकिल अनियमित हो सकती है। इसमें पीरियड जल्दी या लेट आना, पीरियड का न आना और ज्यादा ब्लीडिंग होना शामिल है। इसके साथ ही हेपेटाइटिस बी और सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन्स भी कुछ लोगों में माहवारी को प्रभावित कर सकती हैं।