मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स ने मंगलवार को कहा कि स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) में घर से काम करने (वर्क फ्रॉम होम) की अनुमति अधिकतम एक साल के लिए होगी और इसे कुल कर्मचारियों के 50% तक लागू किया जा सकता है।
कॉमर्स डिपार्टमेंट ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन नियम, 2006 में घर से काम के लिए नया नियम 43A नोटिफाई किया है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स ने कहा कि उद्योग से मांग के आधार पर ये अधिसूचना जारी की गई है। उद्योग ने सभी सेज के लिए समान रूप से वर्क फ्रॉम होम (WFH) नीति लागू करने की मांग की थी।
50% कर्मचारियों को ही मिल सकेगा वर्क फ्रॉम होम
नये नियम के तहत सेज इकाई में काम करने वाले कुछ श्रेणी के कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत होगी। इन कर्मचारियों में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और उससे जुड़े क्षेत्रों में काम कर रहे कर्मचारी शामिल हैं। वे कर्मचारी भी इसके दायरे में आएंगे, जो अस्थायी रूप से काम पर आने में असमर्थ हैं। मंत्रालय के अनुसार, घर से काम करने की सुविधा कुल कर्मचारियों में से 50% को दी जा सकती है।
डेवलपमेंट कमिश्नर पर रहेंगे वर्क फ्रॉम होम देने के विशेष अधिकार
सेज के डेवलपमेंट कमिश्नर उपयुक्त कारण के आधार पर 50% से अधिक कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने का अधिकार होगा। मंत्रालय ने कहा है कि घर से काम करने को अब अधिकतम एक साल के लिए अनुमति दी गई है। हालांकि, डेवलपमेंट कमिश्नर इसे एक बार में एक साल की अवधि के लिए बढ़ा सकता है।
भारत में हैं 8 स्पेशल इकोनॉमिक जोन
अभी देश में कुल 8 स्पेशल इकोनॉमिक जोन हैं। इसमें सांताक्रूज (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), कांडला और सूरत (गुजरात), चेन्नई (तमिलनाडु), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), फाल्टा (पश्चिम बंगाल) और नोएडा (उत्तर प्रदेश) में हैं। इसके अलावा इंदौर (मध्य प्रदेश) में एक सेज अब संचालन के लिए तैयार है।
क्या है सेज : स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) वह क्षेत्र होता है, जहां एक ही कैंपस के अंदर ऑटो पार्ट्स के तमाम व्यावसायिक गतिविधियां संचालित करने की सुविधा होती है। उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जमीन, पानी, बिजली सहित तमाम जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। टैक्स में पहले पांच साल के लिए छूट दी जाती है। उसके बाद मात्र आधा टैक्स लगता है। देश में पहले सेज की स्थापना 1965 में कांडला में हुई थी।