वाराणसी नाम का अस्तित्व वरुणा और अस्सी को जोड़कर आया। बरसों से दोनों नदियां शहर के मज-जल को ढो रहीं हैं। मगर अब यह सूरत जल्द बदलेगी। वाराणसी की वरुणा नदी को इजराइल की तकनीक से क्लीन करने का मास्टर प्लान तैयार हो रहा है। प्रयागराज के फूलपुर के पास से वरुणा निकलती हैं, वहां से वाराणसी के बीच चार जगह पर टूरिस्ट सेंटर भी विकसित किए जाएंगे। मगर, उससे पहले नदी को नीट एंड क्लीन किया जाएगा।
वाराणसी आए इजराइल दूतावास के सदस्य और वैज्ञानिक डॉ. लियोर असफ ने वरुणा विजिट के बाद बताया कि नदी को तीन हिस्से में बांटकर स्टडी की गई है। सबसे ज्यादा प्रदूषक वाराणसी शहर में ही मिलते हैं। मास्टर प्लान इजराइल और भारत सरकार को सौंपी जाएगी।
डॉ. असफ ने बताया कि 90 के दशक में इजराइल की नदियों का बड़ा बुरा हाल था। प्रदूषण की वजह से नदियों में एक फीसदी भी साफ पानी नहीं बचा था। मगर, अब सभी नदियों का पानी पूरी तरह से पीने योग्य है। भारत में सिर्फ 30 फीसदी गंदा पानी ही साफ किया जाता है। जबकि इजराइल का 95% पानी दोबारा उपयोग में आता है।
नदियों में न छोड़ा जाए सीवेज जल
डॉ. असफ ने वरुणा नदी के उद्गम से लेकर मुहाने तक का दौरा करने के साथ BHU के वैज्ञानिकों, जल निगम, नगर निगम और सिचाई विभाग के अधिकारियों संग मीटिंग की। पानी में गंदगी कहां-कहां से मिल रही है और इसे कैसे रोक सकते हैं इस पर बात की। वहीं उन्होंने भगवान पुर एसटीपी में नाले को नदी में गिरते देखा तो कि सीवेज का पानी ट्रीट करके वापस नदियों में न छोड़ा जाए। यह काम हमने इजराइल में बंद कर दिया है। तभी हमारी नदियां प्रदूषण से बच पाईं और अब पानी पीने लायक हो गया है।
रिवर बाइपास या वाटर रिवाइव टेक्निक
नदी में पानी गिरने से रोकने के लिए शहर में ड्रेनेज बाइपास बनाना होगा। इजराइल की यारकोन नदी के लिए 80 बाइपास बनाए गए हैं। शहर का मल-जल इन बाइपास में जाएगा। जहां पर इसे ट्रीट कर, दोबारा यूज के लिए खेतों और अन्य कामों में भेजा जाएगा। बाइपास छोटे-छोटे पाइपलाइन की तरह से होंगे, जो कि एक जगह पर आकर मिलेंगे। घरेलू और औद्योगिक कचरे नदी में नहीं बहेगा। इजराइली बायो इंजीनियरिंग कंपनी भी गंगा सफाई योजना में इस तरह की तकनीक का उपयोग कर रही है। यह टेक्निक नेचुरल और बिना किसी विशेष केयर के भी संचालित होती रहेगी।
लोकल लेवल पर वाटर ट्रीटमेंट
इजराइल में लोकल लेवल पर ही पानी को ट्रीट करने का सिस्टम है। उन्होंने बताया कि हर एक सोसायटी, अपार्टमेंट और मोहल्ले के मल-जल को इकट्ठा कर वहीं पर साफ कर लिया जाए। इसके बाद पानी शत-प्रतिशत शुद्ध हो जाता है। इस पानी को कपड़ा धुलने से लेकर साफ-सफाई और पेड़ों में डालने के लिए यूज किया जा सकता है।
रोज 20 हजार लीटर समुद्री जल बनता है पीने लायक
इजराइल में मोबाइल वाटर डिसेलिनेशन यूनिट द्वारा समुद्री जल को शुद्ध किया जाता है। RO यानी कि रिवर्स ऑस्मोसिस तकनीक से रोज 20 हजार लीटर समुद्री जल को पीने लायक बनाया जाता है। यह तकनीक सीवेज के पानी को भी शुद्ध कर देता है। इजराइल में ऐसे पांच बड़े प्लांट हैं। साल भर में इजराइल में खपत होने वाले 40% पानी का उपयोग यहीं से हाेता है। 2050 तक 70 फीसदी तक पहुंचाने का टारगेट रखा गया है।