मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर नई पहल की है। नगर निगम ने शहर के उन चौराहों की दीवारों को हैंगिंग गार्डन बनाना शुरू किया है, जहां गंदगी रहती है। इससे श्रद्धालु मथुरा से बैड फील का मैसेज लेकर जाते थे। नगर निगम ने फिलहाल 4 चौराहों पर यह प्रयोग शुरू किया है।
चार चौराहों की बदली सूरत
मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने पहले चरण में मथुरा की 4 बदसूरत हो चुकी दीवारों को खूबसूरत बनाया है। पहले चरण में उन चौराहों को चुना, जहां से श्रद्धालु मथुरा में एंट्री करते हैं। इन चौराहों की दीवारों पर खूबसूरत पौधे लगाए गए हैं। दीवारों पर बनाए गए हैंगिंग गार्डन लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
इन जगहों पर बनाए गए हैंगिंग गार्डन
श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास भूतेश्वर चौराहा, नया बस स्टैंड, स्टेट बैंक चौराहा और कृष्णा पुरी पर हैंगिंग गार्डन बनाए गए हैं। इसका मुख्य कारण श्रद्धालुओं को मथुरा की अच्छी तस्वीर दिखाना है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ट्रेन या बस से आने पर श्रद्धालुओं को बस स्टैंड और स्टेट बैंक चौराहा पर हैंगिंग गार्डन खूबसूरती का अहसास कराएंगे। इसी तरह बरेली या यमुना एक्सप्रेस-वे से मथुरा आने वालों का कृष्णा पुरी तिराहा का हैंगिंग गार्डन स्वागत करेगा।
अन्य चौराहों पर भी बनाए जाएंगे हैंगिंग गार्डन
पहले चरण के हैंगिंग गार्डन में पौधे बढ़ने पर अगले चरण में अन्य प्रमुख चौराहों पर भी ऐसे गार्डन बनेंगे। निगम मसानी तिराहा, कृष्णानगर हाईवे, गोवर्धन पैलेस चौराहा, औरंगाबाद तिराहा के अलावा वृंदावन में सौ शय्या तिराहा, प्रेम मंदिर चौराहा के अलावा ऐसे चौराहे तलाश रहा है, जहां हैगिंग गार्डन बनाने के लिए जगह हो।
हैंगिंग गार्डन बनाने में खर्च हुए 18 लाख रुपए
नगर निगम ने हैंगिंग गार्डन पर 18 लाख रुपए खर्च किए हैं। गार्डन बनाने के लिए पहले दीवारों को संवारा गया। इसके बाद उन पर पौधे लगाने के लिए जाल लगाए। फिर उस जाल पर गमले लगाए और फिर पौधरोपण किया गया।
हैगिंग गार्डन में बंदर बन सकते हैं रुकावट
नगर निगम भले ही हैगिंग गार्डन बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की कोशिश कर रहा हो। मगर, मथुरा-वृंदावन में बंदर बड़ी समस्या है। बंदर पेड़-पौधों को नष्ट कर रहे हैं। निगम के लिए बंदरों से इन हैंगिंग गार्डन को बचाना बड़ी चुनौती होगी। नगर निगम के मेयर मुकेश आर्य बंधु ने बताया कि इस पर 18 लाख रुपए की लागत आई है।