जापान में चॉपस्टिक के नियम:खाने की टेबल पर चॉपस्टिक के उपयोग से जुड़े आचरण से तय होते हैं रिश्ते, बनते और बिगड़ते भी हैं

जापान में ‘हाशी’ के नाम से मशहूर चॉपस्टिक करीब 25 सेंटीमीटर लंबे लकड़ी के दो साधारण से टुकड़े होते हैं, लेकिन उनकी वजह से लोगों में न सिर्फ बहुत सारी गलतफहमियां, बल्कि नाराजगी भी पैदा हो जाती है। खाने की टेबल पर इन चॉपस्टिक के उपयोग से जुड़े आचरण रिश्ते बनाते या बिगाड़ रहे हैं।

जापानी समाज में आहार का समय बड़ी अहमियत रखता है। लिहाजा, चॉपस्टिक्स को उंगलियों में कैसे थामना चाहिए, उनका इस्तेमाल किस चीज में होना चाहिए और किस चीज में कभी भी इस्तेमाल नहीं करना। ऐसे कम से कम 40 तरीके चिन्हित किए गए हैं, जिनसे परहेज किया जाना चाहिए, लेकिन इसमें दो तरीके नाराजगी मोल लेने वाले हैं।

चॉपस्टिक से जुड़े ये आचरण हैं बड़ी गलती

पहला है ‘तातेबाशी’ चावल के बाउल में चॉपस्टिक को सीधे खड़ा कर देने की गलती। ये तरीका व्यंजन को बौद्ध जनाजे में चढ़ावे की तरह पेश किया जाता है। उतना ही वर्जित है ‘आवसेबाशी’ यानी खाने को चॉपस्टिक के एक जोड़े से अन्य व्यक्ति की इस्तेमाल की जा रही चॉपस्टिक के हवाले करना। ये तरीका अंतिम संस्कार का हिस्सा है, जिसमें परिवार के सदस्य हड्डी उठाते हैं।

‘आगेबाशी’ यानी अपनी चॉपस्टिक को मुंह की ऊंचाई से ऊपर ले जाना, खराब तरीका माना जाता है। ‘उकेबाशी’ यानी चॉपस्टिक को थामे हुए, दूसरी बार खाना लेने के लिए बाउल को आगे बढ़ाना। ‘ओतोशीबाशी’ का मतलब है चॉपस्टिक गिरा देना और ‘ओशिकोमिबाशी’ का आशय सीधे बर्तन से खाना गटक लेने से है।

3000 साल पहले शुरू हुआ चॉपस्टिक का इस्तेमाल

चॉपस्टिक का पहली बार इस्तेमाल लगभग 3000 साल पहले चीन में शीया राजवंश काल में हुआ था। इसके बाद पूर्वी एशिया में भी इनका उपयोग होने लगा। दुनिया में 3 तरह से खाना खाया जाता है, हाथ व उंगलियों से, कांटे-छुरी से व चॉपस्टिक की मदद से।