यूपी की एंबुलेंस सेवा में फ्रॉड:वाराणसी-लखीमपुर, बहराइच में 30 से 50% फर्जी केस, जो ड्राइवर फर्जीवाड़ा नहीं करते उन्हें मिलती हैं गालियां

“हैलो…मैं राजेश बोल रहा हूं। क्या आपने 102 नंबर पर फोन करके एंबुलेंस बुलाई थी?” उधर से जवाब आया, “नहीं सर, हमने कोई एंबुलेंस नहीं बुलाई।” हमने ऐसे ही 20 नंबरों पर फोन किया। 10 नंबर बंद मिले। बाकी सभी ने मना कर दिया, लेकिन इनके नाम से कंपनी ने सरकार से हर मरीज पर 35-35 सौ रुपए का भुगतान करवा लिया है। यह किसी एक जिले की बात नहीं है। प्रदेश के सभी 75 जिलों में हालात एक जैसे ही हैं।

एंबुलेंस सेवा में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर हमने पड़ताल की। फ्रॉड के मामले को वेरीफाई किया तो आंकड़े चौंकाने वाले मिले। आइए इसे स्टेप बाय स्टेप जानते हैं। शुरुआत सरकार के पक्ष से करते हैं।

जांच के लिए आदेश दिया, पर रिपोर्ट नहीं मिली
एंबुलेंस सेवा में फर्जीवाड़े की जानकारी सरकार के पास पहुंची तो चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक वेद ब्रत सिंह ने जांच के आदेश दिए। 19 मई 2022 को उन्होंने एक आदेश जारी किया। उसमें लिखा, “सरकार की ओर से संचालित 108 एंबुलेंस सेवा में फर्जी मरीजों की संख्या दिखाकर सरकारी भुगतान प्राप्त किया जा रहा है।”

20 मई 2022 को उन्होंने एक और आदेश जारी किया। यह आदेश 102 एंबुलेंस सेवा से जुड़ा था। इस आदेश में भी फर्जीवाड़ा करके भुगतान की बात कही गई। दोनों ही आदेश में संबंधित अधिकारियों से फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने में एंबुलेंस सेवा का लाभ लेने वालों की जांच के आदेश दिए गए। वेद ब्रत सिंह ने 27 मई तक रिपोर्ट मांगी। पूरा जून बीत गया, जुलाई बीतने को है, लेकिन फाइनल रिपोर्ट सबमिट नहीं हो सकी।

जांच के आदेश का पालन करते हुए कई जिलों ने जांच करवाई और रिपोर्ट को संबंधित अधिकारियों को सौंपा। लेकिन अब भी कई जिलों ने जांच नहीं करवाई। हम यहां चार जिलों में हुए फर्जीवाड़े का आंकड़ा दे रहे हैं। पहले इस ग्राफिक के जरिए कंपनी के बारे में जान लीजिए।

लखीमपुर खीरी में 29 हजार में 16 हजार केस फर्जी
लखीमपुर में CMO डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया, “फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने में 102 एंबुलेंस सेवा से जुड़े केसों की जांच शुरू करवाई। तीन महीने में कुल 29 हजार 534 केस का ब्योरा दिया गया। जांच हुई तो पता चला 16 हजार 875 केस फर्जी हैं। मार्च महीने में दर्ज कुल 10 हजार 285 केस में 6 हजार 99 केस फर्जी निकले।”

वाराणसी में पिछले साल के मुकाबले बढ़ गए तीन गुना केस
वाराणसी में 2021 के फरवरी, मार्च, अप्रैल महीने में एंबुलेंस सेवा से जुड़े 28,399 केस दर्ज किए गए थे। 2022 के फरवरी, मार्च, अप्रैल में 74,366 केस दर्ज किए गए। करीब तीन गुना केस बढ़ने से धांधली की संभावना बढ़ गई। यहां भी जांच हो चुकी है पर रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। पिछले साल सरकार ने 11 करोड़ 92 लाख का भुगतान किया था। इस बार 29 करोड़ 74 लाख रुपए देने पड़े हैं।

बहराइच में फर्जी केस के जरिए 17 करोड़ का भुगतान करवाया
बहराइच में डायल 102 के 41 और डायल 108 के 38 एंबुलेंस 14 CHC में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। तीन महीने की जांच में यहां 35 हजार केस फर्जी मिले। हालांकि CMO डॉ. सतीश कुमार सिंह ने कुल केसों के बारे में जानकारी नहीं दी। यहां जांच के दौरान डेटा लीक हुआ तो रिसिया सीएचसी पर ड्यूटी दे रहे एंबुलेंस चालक और EMT संतोष यादव, अशोक यादव और मुहम्मद ईशा को बर्खास्त कर दिया गया। यहां तीन महीने में 17 करोड़ 50 लाख रुपए भुगतान करवाए गए हैं।

देवरिया में 40% केस फर्जी
देवरिया में फरवरी, मार्च, अप्रैल महीने में 21 हजार 93 केस दर्ज किए गए। यहां 40% फर्जी मामले पाए गए हैं। भाटपाररानी CHC में 793 नंबरों की जांच की गई तो पता चला 342 नंबर फर्जी हैं। जिन्होंने कभी एंबुलेंस सेवा ली ही नहीं। जिले के CMO डॉ. सुरेंद्र सिंह ने कहा, जांच जारी है, फाइनल लिस्ट तैयार होते ही शासन को भेजी जाएगी।

एक एंबुलेंस को महीने का 1 लाख 34 हजार तय, लेकिन बना रहे 3 लाख का बिल
सरकार ने एक एंबुलेंस का मासिक बजट 1 लाख 34 हजार 433 रुपए तय किया है। इसमें एंबुलेंस को 8 केस लाने हैं। 140 किलोमीटर का सफर करना है। लेकिन एक-एक एंबुलेंस दिनभर 25-25 केस दर्ज कर रहे हैं।

उदाहरण: देवरिया में GVK EMRI एंबुलेंस जिला प्रभारी जयनारायण ने फोन करके एंबुलेंस ड्राइवर को केस बढ़ाने को कहा। ड्राइवर ने कहा, “23 हो गया है।” जय नारायण ने कहा, “10 मिनट में अगले 25 केस पूरा नहीं हुआ तो देवरिया में रहने नहीं दूंगा।” इसके बाद भद्दी गालियां देने लगा। 6 मिनट का ऑडियो हमारे पास है।

वॉट्सऐप पर तय होती है केसों की संख्या
कंपनी के अधिकारी सुबह-सुबह वॉट्सऐप ग्रुप में मैसेज के जरिए टारगेट भेज देते हैं। इसके बाद ड्राइवर और EMT मिलकर उस टारगेट को पूरा करने में लग जाते हैं। अपने ही आसपास के व्यक्ति से 102 पर फोन करवाते हैं। इसके बाद का सारा काम रजिस्टर पर पूरा किया जाता है।

उदाहरण: 10 अप्रैल को अलीगढ़ में पंकज नाम के व्यक्ति ने 108 पर फोन करके हरदुआगंज की महिला के लिए एंबुलेंस बुलाया। 18 अप्रैल को इसी नंबर से मुकेश नाम के व्यक्ति ने फोन करके एंबुलेंस सेवा ली। उसी दिन एंबुलेंस से जिला अस्पताल पहुंच गए। 21 अप्रैल को इसी नंबर से CHC हरदुआगंज के लिए एंबुलेंस बुलाई गई। 23 अप्रैल को इसी नंबर से मुकेश नाम के व्यक्ति ने फिर से एंबुलेंस मंगाई। 14 दिन में एक ही नंबर से 5 बार एंबुलेंस बुक हुई। जब उस नंबर पर फोन किया तब एक महिला ने उठाया, जिसने एंबुलेंस बुलाने की बात खारिज कर दी।

आंगनबाड़ी महिलाओं को मरीज बनाकर घर पहुंचाते हैं
फर्जी एंबुलेंस सेवा में आंगनबाड़ी महिलाओं की भागीदारी रही है। इन्हें कई बार ब्लॉक से घर उसी एंबुलेंस से ले जाते हैं और उसे मरीज बना देते हैं। ऐसा ही एक वीडियो और मामला हमें मिला।

उदाहरण: 25 मार्च 2022 , केस आईडी 218382814, एंबुलेंस की रसीद के मुताबिक गर्भवती रेखा को जिला अस्पताल से गोविंदासपुर भेजा गया। फोन करने वाले ने अपना नाम सचिन बताया। डीबीआर पर सचिन का नंबर 955945**** दर्ज है। उस पर फोन किया गया तो पता चला वह मछलीशहर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। किसी प्रेग्नेंट महिला को नहीं जानती।

उदाहरण 2: गोंडा के CHC के बाहर चाय बेचने वाले व्यक्ति ने बताया, यहां 2-3 डिलेवरी ही होती है, लेकिन एंबुलेंस वाले रोज 15-20 केस बना देते हैं। जिसका भी मोबाइल मिला उससे 102 नंबर पर फोन करके फर्जी केस बना देते हैं। पूरी बातचीत का वीडियो हमारे पास मौजूद है।

गर्भवती महिला के साथ जो महिलाएं आती हैं उन्हें भी मरीज बना देते हैं
गर्भवती महिलाओं के साथ आमतौर पर एक-दो महिलाएं भी आती हैं। इन महिलाओं के नंबर और आधार कार्ड लेकर इनके नाम से भी आईडी जनरेट कर दी जाती है। बलिया से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक ही एंबुलेंस में 11 महिलाएं अस्पताल ले आईं गईं थीं।

एंबुलेंस का GPS बाइक और कार में
एंबुलेंस कितनी चली इसका पता उसमें लगे GPS से चलता है। फर्जी केस बनने पर एंबुलेंस कहीं चलती नहीं। ऐसे में उसका GPS निकालकर किसी बाइक या कार में लगा दिया जा रहा। पूरा दिन घूमने के बाद शाम को दोबारा एंबुलेंस में GPS लगा दिया जाता है।

कंपनी ने कहा, सारे आरोप निराधार
मामले में कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट टीवीएसके रेड्डी से बात की गई। उन्होंने सारे आरोपों को निराधार बताया। रेड्डी ने कहा, “कंपनी रोज 50 हजार केस हैंडल करती है। 50 केस भी इसमें फर्जी नहीं होते।” पैसा लेकर नौकरी न देने वाले FIR के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “ऐसी कोई FIR दर्ज नहीं है। हमारी कंपनी में 19 हजार लोग काम करते हैं, पैसा लेकर नौकरी नहीं देते।”

अब बात GVK EMRI कंपनी में नौकरी और नौकरी से निकाले गए 9000 लोगों की
यूपी में GVK EMRI कंपनी में भर्ती लखनऊ के आशियाना इलाके के मान सरोवर गेस्ट हाउस में होती है। भर्ती का पूरा प्रोसेस कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट TVSK रेड्डी देखते हैं। रेड्डी पर आरोप है कि वह भर्ती के नाम पर 45 हजार रुपए की DD जमा करवाते हैं। इसके बाद 5 दिन की ट्रेनिंग होती है फिर किसी जिले में नियुक्ति मिल जाती है। EMT यानी इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन को 13 हजार 700 रुपए और एंबुलेंस ड्राइवर को 12 हजार 700 रुपए सैलरी मिलती है।

कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी के चार केस दर्ज

  • बस्ती के अजय कुमार चौधरी ने आशियाना थाने में केस दर्ज करवाया है। उनका आरोप है कि 25 हजार रुपए की DD लेने के बाद नौकरी नहीं दी गई। अब पैसा मांगने पर मारपीट की धमकी दी जाती है।
  • शाहजहांपुर के राजमोहन यादव ने भी कंपनी के खिलाफ 30 अक्टूबर 2021 को आशियाना थाने में केस दर्ज करवाया है।
  • बस्ती के मनोज कुमार ने 40 हजार की DD जमा की। लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल सकी।
  • झांसी के बड़ागांव CHC में तैनात दिनेश कुमार ने 28 अगस्त 2021 की रात आत्महत्या कर ली थी। उनके पिता माधव सिंह ने बताया कि दिनेश ने सुसाइड से पहले फोन किया था। कह रहा था कि अधिकारी फर्जी केस बनाने के लिए दबाव बनाते हैं। नहीं बनाने पर गालियां देते हैं और नौकरी से निकालने की धमकी देते हैं। माधव ने कंपनी के खिलाफ केस दर्ज करवाया है।

पिछले साल 9 हजार कर्मचारियों को कंपनी ने निकाल दिया
26 जुलाई 2021 को अपनी मांगों को लेकर एंबुलेंस कर्मचारी इको गार्डेन में धरने पर बैठ गए। एंबुलेंस की कमी से मरीजों के मौत की खबर आने लगी। सरकार ने धरना खत्म करने का अल्टीमेटम दिया। कर्मचारी अपनी मांग पर अड़े रहे। कंपनी ने धरने में शामिल सभी कर्मचारियों को बाहर कर दिया।

जीवनदायनी एंबुलेंस कर्मचारी संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार मिश्रा ने बताया कि 25 सितंबर 2019 को कंपनी के साथ हमारी बैठक हुई। 8 घंटे की नौकरी और 2 घंटे का ओवर टाइम तय हुआ। लेकिन कभी ओवर टाइम का पैसा नहीं दिया गया। उल्टा अपने अधिकारों की मांग करने वाले और फर्जी केस न करने वालों को नौकरी से निकाल दिया जा रहा है।