शिवसेना के 16 विधायकों की बर्खास्तगी के मामले को सुना जा रहा है। शिंदे कैंप के वकील हरीश साल्वे ने सबसे पहले अपना पक्ष रखा। साल्वे ने स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया की पूरी जानकारी देते हुए कहा- जब तक विधायक अपने पद पर है, तब तक वह सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने का अधिकारी है। वह पार्टी के खिलाफ भी वोट करे तो वोट वैध होगा। इस पर CJI रमना ने सवाल किया- क्या एक बार चुने जाने के बाद विधायक पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता? वह सिर्फ पार्टी के विधायक दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है?
इधर उद्धव गुट के वकील सिब्बल ने CJI से अपील की- मामला संविधान पीठ को मत भेजें। हम (मैं और सिंघवी) 2 घंटे में अपनी दलील खत्म कर सकते हैं। जो विधायक अयोग्य ठहराए जा सकते हैं, वह चुनाव आयोग में असली पार्टी होने का दावा कैसे कर सकते हैं? इस पर CJI ने कहा- ऐसा करने से किसी को नहीं रोका जा सकता।
चुनाव आयोग के वकील बोले- हमन निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य
चुनाव आयोग (EC) के वकील अरविंद दातार से जब उनका पक्ष पूछा गया तो उन्होंने कोर्ट को बताया- अगर हमारे पास मूल पार्टी होने का कोई दावा आता है, तो हम उस पर निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य हैं। विधानसभा से अयोग्यता एक अलग मसला है। हम अपने सामने रखे गए तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हैं।
बुधवार को शिंदे गुट को लगी थी फटकार
CJI रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने शिंदे गुट के वकील को कोर्ट का फैसला आने से पहले सरकार बना लेने पर फटकार लगाई थी। बेंच ने कहा था कि वे अपने पॉइंट्स क्लीयर करके दोबारा ड्राफ्ट जमा करें, तब इस पर 10 से 15 मिनट विचार किया जाएगा।
असली शिवसेना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तीन-जजों की बेंच ने 20 जुलाई को कहा था कि शिवसेना के संबंध में दायर याचिकाओं को बड़ी बेंच के पास भेजा जा सकता है।
एक घंटे तक चली थी जोरदार बहस
बुधवार को दोनों पक्षों के वकीलों में जोरदार बहस हुई। शिंदे गुट के वकील ने कहा कि हमने पार्टी नहीं छोड़ी है। हमने नेता के खिलाफ आवाज उठाई है। हम अभी भी पार्टी में हैं।वहीं उद्धव कैंप के वकील कपिल सिब्बल ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा था- बागी विधायक या तो किसी पार्टी में विलय करें या नई पार्टी बनाएं।
हालांकि शिंदे को सरकार बनाने पर CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने फटकार भी लगाई। उन्होंने शिंदे पक्ष के वकील से कहा- हमने 10 दिन के लिए सुनवाई टाली थी। आपने सरकार बना ली, स्पीकर बदल दिया।
उद्धव गुट का हलफनामा- शिंदे और बागी विधायक अशुद्ध हाथ लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई से पहले उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। हलफनामे में कहा- महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार जहरीले पेड़ का फल है। इस जहरीले पेड़ के बीज बागी विधायकों ने बोए थे। शिंदे गुट के विधायकों ने संवैधानिक पाप किया है। शिंदे और बागी विधायक अशुद्ध हाथ लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
महाराष्ट्र सियासी संकट का पूरा घटनाक्रम जानिए
- 20 जून को शिवसेना के 15 विधायक 10 निर्दलीय विधायकों के साथ पहले सूरत और फिर गुवाहाटी के लिए निकल गए।
- 23 जून को शिंदे ने दावा किया कि उनके पास शिवसेना के 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। लेटर जारी किया गया।
- 25 जून को डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा। बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
- 26 जून को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना, केंद्र, महाराष्ट्र पुलिस और डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा। बागी विधायकों को राहत कोर्ट से राहत मिली।
- 28 जून को राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा। देवेंद्र फडणवीस ने मांग की थी।
- 29 जून को सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
- 30 जून को एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाए गए।
- 3 जुलाई को विधानसभा के नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी। अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया।
- 3 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा- हमने 10 दिन के लिए सुनवाई क्या टाली आपने (शिंदे) सरकार बना ली।