यदि कोई बच्चा आम या कम इनकम वाले परिवार से ताल्लुक रखता है और उसकी दोस्ती अमीर परिवार के बच्चों से हो जाती है, तो संभावना है कि भविष्य में उसका जीवन स्तर बढ़ेगा। ऐसी दोस्ती को क्रॉस-क्लास फ्रेंडशिप कहा जाता है।
जापान की रहने वाली बॉवी एक गरीब परिवार से थीं। उनके माता-पिता के पास न नौकरी थी और न रहने को घर। मगर उनकी पढ़ाई ऐसे स्कूल में हुई, जहां ज्यादा इनकम वाले परिवारों के बच्चे पढ़ते थे। इस कारण बॉवी की उनसे दोस्ती हुई और उन्हीं से प्रेरित होकर आज वे एक प्रतिष्ठित वकील बन चुकी हैं।
सोशल मीडिया सर्वे ने बताई बच्चों की साइकोलॉजी
हाल ही में सोशल मीडिया के 25 से 44 साल की उम्र के 7.2 करोड़ यूजर्स का एक सर्वे हुआ। इसमें 84% लोग अमेरिका के हैं। यदि कम इनकम वाले बच्चे के पड़ोस में अमीर बच्चा रहता है और वह उसके साथ खाता-पीता या खेलता है, तो इसकी संभावना 20% है कि वह आगे चलकर ज्यादा कमाई के रास्ते पर बढ़ेगा। इसका कारण यही है कि दोस्ती की छाप इंसानों पर ज्यादा होती है और वे दोस्तों की लाइफस्टाइल से जल्द प्रेरित होते हैं। वे भी चाहते हैं कि उनके पास हर सुविधा हो, जिसे हासिल करने के लिए ज्यादा मेहनत करते हैं।
पर अमीरों के करीब रहना काफी नहीं है, उनसे दोस्ती होना भी जरूरी है। साथ ही बच्चे अलग-अलग क्लास के लोगों से दोस्ती करते हैं तो उनमें खुलापन आता है और वे गैर-बराबरी को मिटा देते हैं। यूजर्स पर स्टडी में शोधकर्ताओं ने सबसे पहले यह जाना कि वे कहां रहते थे और उनके अमीर दोस्त कितने थे।
कॉलेजों में बढ़ाई जा सकती है क्रॉस-क्लास फ्रेंडशिप
दो अलग-अलग तबकों के लोगों में दोस्ती की संभावना कॉलेज टाइम के दौरान सबसे ज्यादा रहती है। स्टूडेंट्स को अपना रूममेट चुनने की आजादी देने की बजाय वहां का प्रशासन उनके रूममेट तय करे। इससे आर्थिक विविधता वाले लोगों में दोस्ती हो सकेगी।