अंतिम सफर पर शहीद निशांत मलिक:शहर से गांव तक पहुंचने में लगे 3 घंटे, आर्मी ने दिया अपने जवान को गार्ड ऑफ ऑनर

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आंतकवादियों के हमले में शहीद हुए हांसी के निशांत मलिक का पार्थिव शरीर आज उसके गांव ढंडेरी में पहुंचा। जैसे ही तिरंगे में लिपटे हुए शहीद का पार्थिव शरीर घर में पहुंचा तो मां- बाप और बहन उससे लिपट गए। यह दृश्य देखकर लोगों की आंखें भर आईं।

उपस्थित लोगों ने शहीद निशांत मलिक अमर रहे के गगनभेदी नारे लगाए। अब वह अंतिम यात्रा पर हैं। फिर राजकीय सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा। सुबह 9 बजे उसकी अंतिम यात्रा शुरू की गई। यह अंतिम यात्रा हांसी से शुरू हुई और उसके गांव तक जानी थी। रास्ते में शहीद की अंतिम यात्रा पर फूल बरसाए और भारत माता की जय के नारे लगाए। शहर से 4 किलोमीटर दूर गांव तक पहुंचने के लिए शहीद की अंतिम यात्रा को करीब 3 घंटे लग गए। गांव के राजकीय स्कूल में उसका शव लोगों के अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया। पूरा गांव अपने सपूत के दर्शन के लिए उमड़ पड़ा। लोग हाथों में तिरंगा लेकर शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

तीन बहनों का इकलौता भाई था निशांत

तीन बहनों का इकलौता भाई 21 वर्षीय निशांत मलिक करीब दो साल पहले ही सेना में भर्ती हुआ था। निशांत के पिता जयवीर मलिक भी कारगिल के युद्ध में लड़ चुके हैं। उनके भी शरीर पर गोलियों के निशान है। उन्हें गुरुवार दोपहर को बेटे के शहीद होने की सूचना मिली। जयवीर मलिक ने बताया कि निशांत अपने साथियों के साथ अटैक करने के लिए निकले तो पहले से ही घात लगाए हुए आतंकवादियों ने हमला कर दिया। इस हमले में वह और उसके 4 अन्य साथी शहीद हो गए।

निशांत करीब दो साल पहले ही आर्मी में भर्ती हुआ था। 18 जुलाई को वह 45 दिनों की छुट्‌टी काट कर वापस आर्मी कैंप गया। निशांत ने अभी बीए फाइनल इयर की परीक्षा दी थी। पिता जयवीर मलिक को बेटे की शहादत पर गर्व है।