पीएचडी शोधार्थियों को अब तक थीसिस किसी भी जर्नल में छपवाना जरूरी था। लेकिन अगले सेशन से एडमिशन लेने वाले छात्रों को नए नियम के तहत छूट मिलेगी। इसके अलावा छात्र अपनी रिसर्च का पेटेंट भी करवा सकेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत यूजीसी ने चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम को लागू करने की मंजूरी दी है। इसी के तहत अब चार वर्षीय ग्रेजुएशन डिग्री प्रोग्राम में 7.5 सीजीपीए लेने वाले छात्र सीधे पीएचडी में एडमिशन ले सकेंगे।
अगले सेशन से विश्वविद्यालयों, सीएसआईआर, आईसीएमआर, आईसीएआर आदि में इन्हीं नियमों के तहत पीएचडी एडमिशन होंगे। इसके लिए 70 अंकों का रिटन और 30 का इंटरव्यू होगा। पीएचडी प्रोग्राम में कम से कम 12 और अधिक से अधिक16 क्रेडिट होना जरूरी होगा।
किसे मिलेगा पीएचडी में एडमिशन
- तीन साल ग्रेजुएशन और दो साल का पीजी करने वाले छात्रों को मिलेगा एडमिशन।
- पीजी प्रोग्राम में 50 या 55 % अंक लाना जरूरी होगा।
- चार वर्षीय ग्रेजुएशन और एक साल का पीजी प्रोग्राम की पढ़ाई करने वाले छात्र एडमिशन ले सकेंगे। इसके लिए पीजी प्रोग्राम में 50 या 55 फीसदी अंक जरूरी होंगे।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम के रिसर्च या ऑनर्स प्रोग्राम के छात्र सीधे पीएचडी में एडमिशन ले सकेंगे। लेकिन पीएचडी के लिए विश्वविद्यालयों की संयुक्त दाखिला प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए सीजीपीए 7.5 से अधिक होना जरूरी होगा।
- विश्वविद्यालयों की कुल पीएचडी सीटों में से 60 फीसदी सीट नेट या जेआरएफ क्वालीफाई छात्रों के लिए आरक्षित रहेंगी।
- जबकि विश्वविद्यालय अपनी 40 फीसदी सीटों पर या एनटीए द्वारा आयोजित होने वाली संयुक्त दाखिला प्रवेश परीक्षा की मेरिट से एडमिशन दे सकेंगे।
पीएचडी के लिए मिलेगा इतना समय
पीएचडी छह साल में पूरी करनी होगी। कोई भी संस्थान दो साल से अधिक अतिरिक्त समय नहीं देगा। वहीं, महिला उम्मीदवारों और दिव्यांगजनों (40 फीसदी से अधिक) को छह साल के अलावा दो साल अतिरिक्त समय मिलेगा। महिला उम्मीदवारों को पीएचडी कार्यकाल में मैटरनिटी लीव, चाइल्ड केयर लीव के तहत 240 दिनों का अवकाश मिल सकता है।
वाइवा के लिए ऑनलाइन का विकल्प
पीएचडी वाइवा ऑनलाइन रहेगा। इसका मकसद छात्र और विश्वविद्यालय के समय और आर्थिक बचत करना है। इसमें पहले ऑनलाइन वाइवा देना होगा। यदि छात्र को किसी प्रकार की दिक्कत हो तो वाइवा ऑफलाइन दिया जा सकेगा।
दो संस्थान मिलकर भी करवा सकेंगे पीएचडी
नए नियमों में दो कॉलेज मिलकर अब डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई करवा सकते हैं। इसके लिए दोनों संस्थानों को समझौता करना होगा। इसमें कमेटी तय करेगी कि रिसर्च एरिया और सुपरवाइजर (गाइड) और को-सुपरवाइजर (दो गाइड) मिलकर कैसे पीएचडी करवाएंगे। इसमें कोई भी सुपरवाइजर तय नियमों के तहत ही पीएचडी स्कॉलर्स रख सकेगा।
नियमित, एसोसिएट और सहायक प्रोफेसर गाइड बन सकेंगे
नए रेग्युलेशन के तहत कोई भी फुल टाइम रेगुलर प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर पीएचडी करवा सकेंगे। प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर को पीएचडी करवाने के लिए कम से कम पांच रिसर्च प्रकाशित होनी जरूरी होंगी। जबकि सहायक प्रोफेसर के लिए पांच साल तक टीचिंग, रिसर्च अनुभव के साथ तीन रिसर्च प्रकाशित होनी जरूरी रहेंगी।
नए नियम में प्रोफेसर आठ से अधिक, एसोसिएट प्रोफेसर कम से कम छह और असिस्टेंट प्रोफेसर कम से कम चार पीएचडी स्कॉलर्स रख सकता है। इसके अलावा विदेशी पीएचडी स्कॉलर्स मिलने पर दो स्कॉलर्स सुपर न्यूमेरी सीट के तहत रखे जा सकते हैं।