SYL पर घिर रही AAM ADMI PARTY:पंजाब में AAP की सरकार; हरियाणा में पहले आदमपुर उपचुनाव, फिर विधानसभा चुनाव टारगेट

पंजाब और हरियाणा के बीच SYL का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है, क्योंकि इस मुद्दे पर अब आम आदमी पार्टी घिरती नजर आ रही है। AAP सांसद ने SYL का पानी हरियाणा में लाने का वादा किया था। पंजाब में AAP की सरकार है। हरियाणा में आदमपुर उप चुनाव लड़ने की तैयारी है। इसके बाद विधानसभा चुनाव होना है। दोनों चुनाव जीतना पार्टी का लक्ष्य है।

इस मिशन को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए AAP सुप्रीमो दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल हरियाणा के दौरे पर आ रहे हैं। उनके साथ पंजाब CM भगवंत मान भी आएंगे। दोनों पहली बार हरियाणा में इक्ट्ठे आ रहे हैं, लेकिन उनके आने से पहले ही SYL का मुद्दा उठ गया। हरियाणा की जनता AAP से SYL का पानी मिलने की उम्मीद लगा बैठी है।

केजरीवाल के साथ पंजाब के CM भगवंत मान होंगे तो हरियाणा में आने पर दोनों को SYL के मुद्दे पर अपना स्टैंड स्पष्ट करना होगा, क्योंकि इस मुद्दे पर अगर पंजाब की AAP सरकार ढीली पड़ी तो पंजाब में विरोध होगा। अगर हरियाणा के हक में खड़े नहीं हुए तो अगले चुनाव में नुकसान होगा। ऐसे में आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए यह मुद्दा और वक्त बहुत बड़ा इम्तिहान है।

सुप्रीम कोर्ट लगा चुकी पंजाब को फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को SYL के मुद्दे पर फटकार लगाई है और जल शक्ति मंत्रालय को दोनों राज्यों के CM के बीच मध्यस्थता करने के आदेश देते हुए 1 महीने में रिपोर्ट मांगी है। मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को है, परंतु पंजाब के ग्रामीण व पंचायत मंत्री कुलदीप धालीवाल ने दो टूक कहा है कि हमारे पास किसी दूसरे राज्य को देने के लिए एक बूंद पानी भी नहीं है।

हम पहले भी सुप्रीम कोर्ट को बता चुके हैं और अपना पक्ष फिर से रखेंगे। वहीं आम आदमी पार्टी के प्रभारी सुशील गुप्ता कई बार 2024 तक हरियाणा के खेतों में पानी देने का वादा कर चुके हैं। सुशील गुप्ता का कहना है कि आज दोनों CM आ रहे हैं और वे इस मुद्दे पर जवाब देंगे। पार्टी के नेशनल एडवाइजर अनुराग ढांडा का कहना है किमुद्दा दोनों राज्यों के बीच बैठकर सुलझाने वाला है।

सालों पुराना SYL विवाद

पंजाब से हरियाणा के अलग राज्य बनने के बाद सतलुज और उसकी सहायक ब्यास नदी से हरियाणा को पानी देने के लिए एक SYL नहर की योजना बनाई थी। नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है। हरियाणा को भारत सरकार के 24 मार्च 1976 के आदेशानुसार रावी-ब्यास के सरप्लस पानी में भी 3.50 मिलियन एकड़ फुट हिस्सा आबंटित किया गया है।

उस समय पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। केंद्र में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अगुआई वाली सरकार थी, जिन्होंने यह नहर बनाकर पानी बांटने का फैसला किया। 1982 में विवाद तब बढ़ा, जब पटियाला के कपूरी में SYL नहर बनाने का उद्घाटन कर दिया गया। 1985 में राजीव लौंगोवाल समझौता हुआ। उसमें भी ट्रिब्यूनल बन, लेकिन मामला हल नहीं हुआ। जब नहर का निर्माण शुरू हुआ तो तब इसके इंजीनियर्स का कत्ल कर दिया गया।

इसके बाद इसका काम रुक गया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए हरियाणा की ओर से अर्ध-सरकारी पत्र 6 मई 2022 के माध्यम से केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दूसरे दौर की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया है।

इससे पहले इस बैठक के लिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को भी 3 अर्ध-सरकारी पत्र लिखे, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। इसलिए आज तक मुद्दा हल नहीं हो पाया।