म्यांमार, बांग्लादेश के ड्रग माफिया ने लखनऊ को बनाया सेंटर:डार्क वेब के जरिए होती है यूरोपीय देशों तक डील; बिट कॉइन में लेते हैं पेमेंट

म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल के ड्रग माफिया के लिए UP का लखनऊ ड्रग डील का बड़ा सेंटर बन चुका है। कॉल सेंटर की आड़ में डार्क वेब के जरिए यूरोपीय देशों तक ड्रग पहुंचाया जा रहा है। हाल में दिल्ली स्पेशल सेल ने अफगानिस्तानी पैडलर को लखनऊ से पकड़कर पूरे नेटवर्क का खुलासा किया।

सिर्फ UP में 80 करोड़ की ड्रग पकड़ी गई। हर धरपकड़ का लखनऊ कनेक्शन मिला। अब दिल्ली पुलिस ने 300 करोड़ का ड्रग लखनऊ से पकड़ा है। हर पुलिस एक्शन के साथ ड्रग माफिया के बदले हुए बिजनेस पैटर्न से भी पर्दा उठा। अब फर्जी कॉल सेंटर और एजेंट्स के जरिए करोड़ों की डील होती है। माने रिस्क कम, मुनाफा पूरा।

सबसे पहले आपको बदला हुआ पैटर्न समझाते हैं…

यूपी STF ने लखनऊ के आलमबाग में एक कॉल सेंटर पकड़ा। मौके से 6 लोग शाहबाज खान, आरिज एजाज़, गौतम लामा, शारिब एजाज, जावेद खान और सऊद अली को अरेस्ट किया। इनके पास से यूरोपीय देश और अमेरिका में प्रतिबंधित दवाइयां मिली। नशे के लिए इस्तेमाल होने वाली ट्रामेफ-पी, स्पास्मो प्रोक्सीवोन प्लस जैसी मेडिसिन मिलीं। सामने आया कि यहां से यूरोपीय देशों से ऑर्डर लिए जा रहे थे। इनके लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल भी होता है।

हमने STF से जानने का प्रयास किया कि ऐसा कैसे हो रहा था…

खास ब्राउसर, VPN टूल की मदद से डार्क नेट वेब पर होती है डील

डार्क वेब के जरिए ड्रग सप्लाई होती है। हमने सबसे पहले डार्क वेब को समझने की कोशिश की। सामने आया कि डार्क वेब एक ऐसी जगह है, जहां ड्रग्स, हथियार, हैकिंग, टेरर फंडिंग जैसे गैरकानूनी काम होते हैं। साफ्टवेयर एक्सपर्ट कहते हैं कि हम इंटरनेट दुनिया का सिर्फ 10% हिस्सा इस्तेमाल करते हैं। इसे सरफेस वेब कहते हैं। बाकी का 90% हिस्सा डार्क वेब है। ये सर्च इंजन पर लिस्टेड नहीं होता है।

डार्क वेब को इस्तेमाल करने के लिए एक खास ब्राउसर की जरूरत होती है। VPN जैसे टूल्स के साथ लोकेशन बदलकर डार्क वेब पर राकेट लांचर से लेकर परमाणु बम का भी सौदा किया जा सकता है। क्रिमिनल डार्क वेब के जरिए म्यांमार, बांग्लादेश, रूस से लेकर भारत में ऑनलाइन ड्रग तलाश करने वालों की लिस्ट तैयार करते हैं। संपर्क होने के बाद डील फाइनल होती है। यहां पेमेंट बिटकॉइन में होता है।

दिल्ली पुलिस ने लखनऊ के गोदाम से बरामद की 312 किलो ड्रग्स
1200 करोड़ की ड्रग्स को लखनऊ के एक गोदाम से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बरामद किया। सीपी एचजीएस धालीवाल ने कहा,”2016 से भारत में रह रहे 2 अफगानी नागरिक मुस्तफा और रहीम उल्लाह को अरेस्ट किया गया है। उनका नेटवर्क यूपी के लखनऊ से NCR तक फैला हुआ था।”
कस्टडी में उन्होंने जो जानकारी दी, उसके आधार पर लखनऊ के एक गोदाम से 600 बैग बरामद हुए। इनमें 312.5 किग्रा मेथम्फेटामाइन दवा और 10 किग्रा हेरोइन थी।

लखनऊ का ड्रग डीलर देता था कस्टमर डिटेल और लोकेशन
STF सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों लखनऊ शहीद पथ पर एक ड्रग तस्कर को पकड़ा गया। वो मुंबई गोरेगांव वेस्ट मोतीनगर का रहने वाला था। उसके मुताबिक वो लखनऊ से कानपुर, आगरा, वाराणसी समेत अन्य जिलों में ड्रग्स बेचता था। ये ड्रग्स उसको लखनऊ से तौहीद ड्रग डीलर मुहैया कराता था।

उसको फोन पर ही ग्राहकों और डिलीवरी की जगह बताई जाती थी। उसके मुताबिक उसने लखनऊ में मुकीम, यश और रोहित को भी मेफेड्रोन ड्रग्स दिया था। इसके बाद कानपुर सप्लाई लेकर जा रहा था। तौहीद उसके कानपुर पहुंचने पर डीलर का पता बताता। इस ड्रग्स को यह लोग नाइट पार्टी क्लब में सप्लाई करते थे। तौहीद मुंबई में अन्य लोगों को भी माल सप्लाई कराता है।

मुंबई में बिकने वाला महंगा नशा मेफेड्रोन अब यूपी में
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि मुंबई में मेफेड्रोन की अधिक डिमांड हैद्ध जिसे बड़े-बड़े क्लब, पार्टियों और फिल्म इंडस्ट्री में काफी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। अब इधर इसकी डिमांड यूपी व उत्तराखंड में भी बढ़ी है। मेफेड्रोन को आसानी से रसोई लैब में बनाया जा सकता है। इसलिए इसे क्रत्रिम कोकीन कहते हैं। इस नशे को सूंघने, धूम्रपान और यहां तक कि ड्रिंक्स के साथ भी लिया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय बार्डर और अंतर राज्यीय सीमा पर खुफिया की नजर
एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बार्डर और अंतर राज्यीय सीमा से यूपी में ड्रग्स न आ सके। इसके लिए खुफिया को अलर्ट किया गया है। यूपी में ड्रग्स की तस्करी के रूट को चिह्नित करके पुलिस को अलर्ट किया गया है।