उपराष्ट्रपति धनखड़ बोले- इंडिपेंडेट ज्यूडिशियरी लोकतंत्र के लिए जरूरी:जज करते है मुश्किल काम, उनका बचाव और सम्मान दोनों जरुरी

उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार जयपुर आए जगदीप धनखड़ ने कहा- जब मेरा राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने वाला था, तब मैंने पत्नी से कहा था, अब मैं फिर से वकालत में लौटूंगा। तब पत्नी ने कहा- ऐसा कभी नहीं हो पाएगा। उसके बाद एनडीए ने मुझे उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बना दिया। यह मेरे लिए बहुत बड़ा आश्चर्य था। देर शाम धनखड़ दिल्ली लौट गए।

धनखड़ गुरुवार को यहां मानसरोवर के मॉर्डन स्कूल में आयोजित सम्मान समारोह में बोल रहे थे। सम्मान समारोह बार काउंसिल ऑफ राजस्थान की ओर से आयोजित किया गया। समारोह में राजस्थान के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव के साथ ही बार काउंसिल राजस्थान के पदाधिकारी और सीनियर वकील मौजूद रहे।

सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए धनकड़ ने कहा कि हमारे देश में फ्री फेयर इंडिपेंडेंट ज्यूडिशियरी लोकतंत्र के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। में इसका पुरजोर समर्थक हूं। मेरा मानना है कि जज़ेज का हर हाल में सम्मान होना चाहिए। वह जितना मुश्किल काम करते हैं ।उससे वह लोग खुद का बचाव नहीं कर सकते। इसलिए बार कॉउंसिल स्कोर उनके सम्मान की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

वहीं जयपुर आने से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पैतृक गांव किठाना के मंदिरों में पहुंचे। यहां सरकारी स्कूल के खेल मैदान में हेलिकॉप्टर लैंड होने के बाद वे सबसे पहले जोडिय़ा बालाजी मंदिर में पहुंचे। जहां पूजा- अर्चना व आरती के बाद उन्होंने प्राचीन ठाकुर जी के मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद अपने फार्म हाउस पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की। कुछ देर रुकने के बाद वे अभिनंदन समारेाह में शामिल हुए।

इसके बाद उपराष्ट्रपति सालासर धाम और खाटूश्यामजी के दर्शन कर जयपुर पहुंचे है। जहां उन्होंने राजभवन जाकर राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। वहीं सम्मान समारोह के बाद उपराष्ट्रपति हवाई मार्ग से दिल्ली जाएंगे।