खर्चों के कंट्रोल करने के लिए गोल्डमैन सैच ग्रुप इस महीने सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी करने जा रहा है। गोल्डमैन के पास दूसरी तिमाही के अंत में 47,000 कर्मचारी थे, जबकि बीते दो सालों में कर्मचारियों की संख्या 39,100 थी। गोल्डमैन इन्वेस्टमेंट बैंकिंग पर स्लोडाउन का असर हुआ है। गोल्डमैन के शेयर इस साल 10% से ज्यादा और एक साल पहले की तुलना में करीब 15% नीचे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है।
न्यूयॉर्क बेस्ड फर्म ने जुलाई में कहा था कि उसने हायरिंग धीमा करने और साल के अंत तक जॉब कटौती के लिए एनुअल परफॉर्मेंस रिव्यू की योजना बनाई है। यह खर्चों पर लगाम लगाने का एक प्रयास है। रिव्यू का इस्तेमाल आमतौर पर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को निकालने के लिए किया जाता है। गोल्डमैन एट्रीशन के कारण कर्मचारियों की संख्या में आई कमी को पूरा करने की गति को भी धीमा कर सकता है।
अमेरिकी कंपनियों ने एक्सपांशन रोका
महंगाई, धीमी होती अर्थव्यवस्था, अमेरिका और यूरोप में मंदी के डर और यूक्रेन-रूस युद्ध की चिंताओं के बीच कंपनियां अपना एक्सपान्शन रोक रही हैं। मेटा, ट्विटर और टेस्ला सहित अन्य कुछ कंपनियों ने भी अमेरिकी बाजार में अनिश्चितता के बीच हायरिंग को स्लो कर दिया है।
स्टाफिंग स्पेशलिस्ट एक्सफेनो की अगस्त की रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक, एपल, अमेजन, नेटफ्लिक्स, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल में कुल एक्टिव ओपनिंग 9,000 से कम थीं। इन छह कंपनियों में आमतौर पर 40 हजार से अधिक एक्टिव जॉब ओपनिंग्स रहती हैं। इन कंपनियों ने ग्लोबल ट्रेंड को देखते हुए भारत में भी हायरिंग को रोक दिया है।
मंदी और जॉब का कनेक्शन
मंदी की शुरुआत में, जैसे-जैसे कंपनियां कम मांग, घटते मुनाफे और ऊंचे कर्ज का सामना करती हैं, कई कंपनिया कॉस्ट कटिंग करने के लिए इम्पलॉइज की छंटनी शुरू कर देती हैं। बढ़ती बेरोजगारी कई संकेतकों में से एक है जो मंदी को परिभाषित करती है। मंदी में कंज्यूमर कम खर्च करते हैं और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन भी धीमा हो जाता है।
अमेरिका पर मंदी का कितना खतरा?
अमेरिका में 2022 के जून क्वार्टर के दौरान ग्रोथ 0.9% एनुअलाइज्ड रेट से धीमी हो गई। ये लगातार दूसरा क्वार्टर था जब अमेरिकी इकोनॉमी सिकुड़ी थी। फाइनेंशियल टाइम्स और इनिशिएटिव ऑन ग्लोबल मार्केट्स के किए गए 49 अमेरिकी मैक्रोइकोनॉमिस्ट्स के एक सर्वे में 2023 तक मंदी के आने की आशंका जताई गई है। सर्वे में दो-तिहाई से अधिक इकोनॉमिस्ट का मानना था कि 2023 में मंदी आएगी।