UP के मदरसों के सर्वे को लेकर शुरू हुई सियासत के बाद अब मौलाना भी मुखर होने लगे हैं। मेरठ शहर काजी प्रो. जैनुस साजिदीन ने कहा,”हम मरदसों के सर्वे को ऐतराज नहीं करते। करने चाहिए… बेशक करिए। मगर सिर्फ मुस्लिमों के ही मदरसे का सर्वे क्यों? जितने भी धार्मिक पाठशाला है, उन सभी का सर्वे किया जाना चाहिए। हम सरकार के हर सवाल का जवाब देने को तैयार हैं।”
मेरठ के मदरसों में दैनिक भास्कर की टीम पहुंची। तो कुछ ऐसे ही सवाल हमारे सामने आए। कहीं मदरसों में जमीन पर बच्चों को तालीम मिल रही थी। कहीं बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे।
लिसाड़ीगेट का जामिया अरबिया कासिमुल उलूम मदरसे में शुक्रवार दोपहर को बच्चे बारिश के समय क्रिकेट खेलते मिले। मदरसे के मुख्य गेट पर ऊंचाई की तरफ तिरंगा भी लगा हुआ मिला। मदरसे में एक तरफ रहने के लिए बरामदे से सटे हुए कमरे बने हुए थे। दूसरी तरफ उनकी तालीम (शिक्षा) के लिए हॉल थे। मदरसों में जुमे के दिन छुट्टी भी रहती है।
कक्षा एक से 5 तक के छात्रों को मदरसे में तालीम दी जा रही है। यहां बच्चों के लिए शौचालय हैं। पढ़ाई की जगह बच्चों को फर्श पर कालीन है, जो मैट के आकार का था। मदरसे के कारी को जैसे ही पता चला कि मीडिया के रिपोर्टर आए हैं तो जुमे की बात कहकर अंदर चले गए। 13 साल के जुबैर ने बताया कि यहां बच्चों को कुरान पढ़ाई जाती है, कारी साहब हमें पढ़ाते हैं। हमें कुरान के साथ हिंदी भी पढ़ाई जाती है।
2. हाफिज साहब इस वक्त हैं नहीं
अलजमातुल इस्लामिया बदरुल उलूम मदरसे के दो मुख्य गेट हैं। यह मदरसा तीन मंजिला है। बाहर की तरफ सीसीटीवी भी लगा हुआ था। जो मुख्य गेट और रास्ते को कवर करने के लिए लगाया गया, जिससे बाहर से आने जाने वालों की सीसी टीवी निगरानी की जा सके।
करीब 15 मिनट तक यहां अंदर से मुख्य गेट नहीं खोला गया। उसके बाद दूसरे छोटे गेट पर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया। करीब एक मिनट बाद अंदर से एक शख्स आया और कहा की आप कौन हैं। बताने पर कि दैनिक भास्कर से रिपोर्टर हूं, जिस पर कहा कि आप अंदर नहीं आ सकते।
हाफिज साहब इस समय हैं नहीं। पड़ोस के रहने वाले साजिद अहमद ने बताया कि यहां बच्चों के लिए पंखे, सोने के लिए कमरे और तालीम के लिए भी कमरे हैं। बिजली का कनेक्शन है, लेकिन हाफिज साहब मीडिया में कुछ बयान नहीं दे सकते।
3. चंदे से पढ़ाई, हर पैसे का रिकार्ड है
मदरसा हमीदिया मिसबाहुल उलूम, लक्खीपुरा में मुख्य गेट का छोटा दरवाजा खुला हुआ था, मदरसे में राइट तरफ जेनरेटर लगा हुआ था, सभी कमरों और हाल में पंखे लगे हुए थे। कुछ बच्चे बरामदे में तालीम ले रहे थे, जिन्हें मुफ्ती तालीम देते हुए मिले। मदरसे में प्रबंधक का अलग से कमरा बना हुआ था, यहां प्रबंधक कारी अबरार अहमद कुछ किताबों में पढ़ रहे थे।
दैनिक भास्कर से बताने पर उन्होंने कहा आइए, कैसे आना हुआ। मदरसों में सर्वे के बारे में उन्होंने कहा कि जो भी सामने है। अभी सर्वे के लिए टीम नहीं आई है, लेकिन जब आएगी तो सामने से सर्वे कर लें।
यह मदरसा है और यह बच्चे हैं। इस मदरसे में कक्षा एक से 5 तक के 60 बच्चे हैं, सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलता। प्रबंधक ने कहा कि बच्चों के लिए फर्नीचर में टिपाही है, इस पर किताब रखकर बच्चे पढ़ते हैं। पढ़ाने वाले कारी, हाफिज, मौलवी वह भी जमीन पर बैठते हैं।
पक्के फर्श पर मोटा मैट बिछाया जाता है, बच्चों के रहने के लिए अलग अलग कमरे हैं। उन्होंने कहा की चंदे से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, पढ़ाने वाले कारी, हाफिज,मौलवी को हर माह 8 से 10 रुपया दिया जाता है। जो भी चंदा आता है, उस हर पैसे का रिकार्ड दर्ज है।
4. हम अखबार के लिए कुछ बोल नहीं सकते
हिमायू नगर में मस्जिद और मदरसा एक ही परिसर में है। यहां मदरसे में निर्माण कार्य भी चल रहा है। मदरसे में पढ़ाने वाले कारी ने बताया कि इस समय मौलाना (प्राचार्य) नहीं है। मैं यहां कारी हूं और बच्चों के पढ़ाने का काम है। लेकिन हम अखबार के लिए कुछ नहीं बोलना चाहते।
मदरसों के सर्वे पर उन्होंने कहा कि आप यहां फोटो भी न खिंचे, मौलाना ही फोटो और वीडियो की इजाजत देंगे। बच्चे यहां अलग-अलग कमरों में दिखाई पड़े। अंदर के कमरों में हल्का सा अंधेरा था, जहां बच्चे चटाई बिछाकर नमाज पढ़ते भी नजर आए। कारी ने कहा कि सर्वे पर हम कुछ बोल नहीं सकते।
5. मदरसे में हर विषय की तालीम
मदरसा इमदादुल इस्लाम सदर बाजार में कक्षा पांच के बच्चों को पढ़ाया जाता है। यहां सुबह साढ़े 7:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक बच्चों को तालीम दी जाती है। जहां बच्चे राष्ट्रान गाते हैं। वहीं पाठयक्रम में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, कुरान, बुखारी और दूसरे विषयों को भी पढ़ाया जाता है।
यहां अलग अलग बिल्डिंग के पास शौचालय, बिजली के पंखे, और रहने के कमरों में मोटा कालीन बिछा हुआ था। जुमे पर बच्चे नजदीक के बच्चे अपने घर गये थे। जबकि आवास में रहने वो बच्चे अपने अपने कमरों में थे। यहां 12 शिक्षक हैं। जबकि कुल बच्चों की संख्या 12 बताई गई। मदरसे के प्राचार्य मौलाना मशहूद उर रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी ने बताया कि निशुल्क बच्चों को पढ़ाया जाता है।
चंदे से इसकी भरपाई होती है। शिक्षकों को मासिक पैसा कमेटी द्वारा दिया जाता है। सर्वे में हम सहयोग करेंगे,जो भी है मदरसे में सब सामने है। हर छात्र का रिकार्ड है, हर पाठ्यक्रम का रिकार्ड है। रहने और खाने की पर्याप्त व्यवस्था है।
मदरसों में 5 पद हैं…
- हाफिज : हाफिज उन्हें कहते हैं जो कुरान को बिना देखकर पढ़ाता है।
- कारी : कारी उन्हें कहा जाता है जो कुरान को बिना देखे सबसे अच्छा पढ़ाते हैं।
- मौलवी : जो बिना देखे पढ़ाए और सब अर्थ को समझाए उन्हें मौलवी कहा जाता है।
- मुफ्ती : मदरसे में जिनके पास सबसे बड़ी डिग्री है उन्हें मुफ्ती कहा जाता है।
- मौलाना : मदरसे में प्राचार्य के पद को मौलाना कहा जाता है।