बर्ड फ्लू जिस वायरस से फैलता है उसके इंसानी ट्रांसमिशन की संभावना भी रहती है। ऐसे में बचाव के सभी जरूरी उपाय करना जरूरी है। बर्ड फ्लू के इंसानों पर असर को लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि वैसे तो इसका संभावना कम है, लेकिन अगर लोगों पर एच5एन1 वायरस का प्रभाव पड़ता भी है, तो उसे मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए डरने की जरूरत नहीं है।
इंसानों में कैसे फैलता है?
पक्षी की बीट या सलाइवा के संपर्क में आने से या हवा (एयरोसोल) के जरिए।
इंसानों में लक्षण
बर्ड फ्लू से संक्रमित होने के बाद आमतौर पर 2-8 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं। इन लक्षणों में नॉर्मल फ्लू जैसे लक्षण ही देखे जाते हैं, जैसे कफ, डायरिया, तेज बुखार, खांसी, गले की खराश, नाक बहना, मितली, उल्टी, बेचैनी, सिरदर्द, सीने में दर्द, जोड़ों का दर्द, पेट दर्द, आंखों का संक्रमण आदि। संक्रमण बढ़ने पर न्यूमोनिया हो सकता है और सांस की परेशानी भी बढ़ सकती है। बर्ड फ्लू संक्रमण की वजह से होने वाला न्यूमोनिया काफी घातक हो सकता है। संक्रमित मरीजों को विशेष देखभाल के तहत इलाज की जरूरत होती है, जिसका इलाज अस्पताल में रखकर ही किया जाता है।
कोरोना जैसी ही सावधानी
– बर्ड फार्म, बर्ड सेंचुरी, किसी जलाशय या झील के पास जाने से बचें।
– पक्षी फार्म या सुअर पालन से बचें।
– अंडे और मांस को खूब पका कर ही खाएं।
– हाथ बार बार साफ करें, किसी सरफेज को छूने के बाद आंख, नाक या चेहरे के पास हाथ ले जाने से बचें, मास्क पहनें।
इन्हें खतरे की संभावना ज्यादा
– पोल्ट्री फॉर्म और चिकन का कारोबार करने वाले लोग, बर्ड सेंचुरी या बर्ड्स के बाड़ों की देखरेख करने वाले लोग।
– दो साल से कम उम्र के बच्चे या 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग।
– प्रेग्नेंट महिलाएं या वह महिलाएं जिनकी कुछ दिन पहले ही डिलीवरी हुई है।
– डायबिटीज़, लंग्स डिसीज़ या किसी क्रोनिक डिसीज़ से ग्रसित।
सबके लिए अलर्ट
कहीं पर पक्षी मरा मिले तो उसे न छूएं।
सर्दी, जुकाम, बुखार के पीड़ितों के संपर्क में न रहें।
चिड़ियाघर घूमना इस स्थिति में किसी भी तरह से सही नहीं।