रिटायरमेंट तक बचते हैं सिर्फ ‘4 यार’:सर्वे में पता चली जिंदगी की सच्चाई, उम्र बढ़ने के साथ घट जाता है व्यक्ति का सामाजिक दायरा

आपने अपनी जिंदगी में चाहे कितने भी दोस्त क्यों न बनाएं हों, लेकिन रिटायरमेंट के समय तक आते-आते एक शख्स के पास औसतन सिर्फ 4 दोस्त ही होते हैं। यही वे दोस्त होते हैं, जिन पर आप भरोसा कर पाते हैं। उनकी सलाह मानते हैं और उनकी डांट-फटकार भी सुन लेते हैं। एक सर्वे में पता चला है कि 55 साल से ज्यादा का हर पांचवां व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है। दोस्तों की कमी से जूझता है।

बातें करने के लिए किसी को ढूंढता रहता है। अमेरिका में 55 साल से ज्यादा के 2 हजार लोगों पर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। यह सर्वे लाइफ टाइम की ओर से वन पोल ने किया। यह भी जानकारी हुई है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, व्यक्ति का सामाजिक दायरा घटता जाता है। सर्वे में शामिल 77% लोगों ने यह माना कि उनके सामाजिक दायरे में काफी कमी आई है।

दो सालों में वे तीन नए दोस्त भी नहीं बना पाए
करीब आधे यानी 48% लोगों ने कहा कि उन्होंने नए दोस्त बनाना बंद कर दिया है। पिछले दो सालों में वे तीन नए दोस्त भी नहीं बना पाए। इस सर्वे में कई और चौंकाने वाली बातें सामने आईं। लाइफ टाइम की सीनियर वाइस प्रेसीडेंट रेनी मेन कहती हैं, योग और डांस क्लासेस जैसी जगहें इस उम्र में न सिर्फ लोगों को फिट रख रही हैं, बल्कि नए दोस्त बनाने में मदद कर रही हैं।

उम्र नौ की हो या 90 की, जरूरी है कि आपके पास दोस्त हों। ये दोस्त आपकी जिंदगी में ताजगी लाते हैं। उम्र बढ़ती है पर आपको बूढ़ा नहीं होने देते। सर्वे में शामिल 83% बुजुर्गों का मानना है कि बेहतर संबंधों के लिए जीवन में देर कभी नहीं होती। जीवन के इस पड़ाव में वे अपना समय दोस्तों और परिवार के साथ बिताना पसंद करते हैं। 40% बुजुर्गों को लगता है कि लंबी यात्राओं के लिए यह सबसे सही समय है।

सक्रिय होने के लिए दोस्त बनाए
वहीं 39% बुजुर्ग इस समय अपने स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देना चाहते हैं। रिटायरमेंट के बाद आधे लोग अपने जैसे ही रिटायर लोगों के साथ समय बिताना चाहते हैं। 64% लोग मानते हैं कि अगर उनके पास दोस्त हों तो वे ज्यादा सक्रिय होंगे। ज्यादा बेहतर जिंदगी जी सकेंगे। यहां तक कि कई लोगों ने सक्रिय होने के लिए दोस्त बनाए और उनके साथ टहलने-खेलने या घूमने जाने की योजनाएं बनाईं।

बच्चा बन जाना चाहते हैं
उम्र के इस पड़ाव पर 10 में से 6 लोग ज्यादा से ज्यादा सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वे टहलने-दौड़ने के अलावा तैराकी और जिम जा रहे हैं। 86% बुजुर्गों का कहना है कि इस समय बेहतर जिंदगी जीने के लिए कसरत के साथ-साथ अपने खाने-पीने पर पूरा ध्यान देना जरूरी है। कई ने तो अपनी डाइट में खाना कम कर दिया है और पानी पीने की मात्रा बढ़ा दी है। दरअसल वे अपने नाती-पोतों को सिर्फ खेलते नहीं देखना चाहते। वे उनके साथ खेलना चाहते हैं। उनके साथ बचपन जीना चाहते हैं। बच्चा बन जाना चाहते हैं।

समान शौक और बातूनी दोस्त बनाना चाहते हैं
ऐसा नहीं है कि 55 साल की उम्र के बाद लोग दोस्त बनाना नहीं चाहते। सर्वे में शामिल 70% लोगों ने कहा कि वे नए दोस्त बनाना चाहते हैं, लेकिन वे ऐसे लोगों की तलाश में रहते हैं, जो उनके जैसे शौक या स्वभाव रखते हों। वे चाहते हैं कि उनके दोस्त बातचीत में बेहतर हों और अगर एक ही पेशे से हों तो और भी बेहतर है। अगर पेशा समान न भी हो तो जीवन में उनके तजुर्बे कमोबेश एक जैसे ही हों, ताकि बात करना आसान हो।