पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज भाजपा मे शामिल हो जाएंगे। इसके लिए कैप्टन रविवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे। उनके साथ बेटा रण इंदर सिंह, बेटी जय इंदर कौर, मुक्तसर की पूर्व विधायक करण कौर और भदौड़ से पूर्व विधायक निर्मल सिंह भी BJP जॉइन करेंगे। कैप्टन अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का विलय भी भाजपा में करेंगे। इससे पूर्व कैप्टन के कई साथी भाजपा जॉइन कर चुके हैं।
जॉइन करने के बाद मिल सकती अहम जिम्मेदारियां
भाजपा पंजाब में पार्टी के पुनर्गठन की तैयारी में है, क्योंकि वर्तमान भाजपा प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा का कार्यकाल खत्म होने वाला है। ऐसे में पंजाब लोक कांग्रेस का BJP में विलय होने के बाद पार्टी नेतृत्व कैप्टन और उनके करीबियों को पंजाब में अहम जिम्मेदारियां सौंप सकता है। जनवरी 2020 में पंजाब भाजपा इकाई के प्रधान बने अश्वनी शर्मा का 3 साल का कार्यकाल जनवरी-2023 में खत्म रहा है। वर्तमान विधानसभा में भाजपा के सिर्फ 2 विधायक हैं।
विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ चुके कैप्टन-BJP
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले साल नवजोत सिद्धू के मुद्दे पर कांग्रेस हाईकमान के साथ हुए टकराव के बाद पंजाब के CM पद से इस्तीफा देने के साथ ही कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। उसके बाद उन्होंने ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ (PLC) पार्टी बनाई। इसी साल फरवरी में हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव में कैप्टन BJP के साथ गठजोड़ करके मैदान में उतरे। हालांकि, न वह खुद अपनी पटियाला सीट बचा पाए और न ही सूबे में उनका कोई दूसरा कैंडिडेट जीता।
मोदी-शाह से मीटिंग के बाद शुरू हुई चर्चाएं
कैप्टन अमरिंदर सिंह की PLC के भाजपा में विलय की चर्चाओं ने उस समय जोर पकड़ा, जब कैप्टन ने महीनेभर पहले दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से तकरीबन पौने घंटे तक मीटिंग की थी। हालांकि, मीटिंग के बाद कैप्टन ने बाहर निकलकर पंजाब लोक कांग्रेस (PLC) के BJP में विलय संबंधी सवाल को नकारते हुए इसे केवल अटकलें बताया था।
उसके बाद 30 अगस्त को अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। PM के साथ मीटिंग के बाद कैप्टन ने ट्विटर पर लिखा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात करके पंजाब के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करके राज्य और देश की सुरक्षा के लिए संयुक्त रूप से काम करने का संकल्प लिया, जो हम दोनों के लिए हमेशा सर्वोपरि रहा है और रहेगा।
अकालियों से टूट चुका 24 साल पुराना गठबंधन
भाजपा का पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ 24 साल से गठबंधन था, मगर मोदी सरकार के 3 खेती कानूनों के मुद्दे पर 26 सितंबर 2020 को शिरोमणि अकाली दल ने यह गठजोड़ तोड़ दिया। उस समय पंजाब BJP के नेता भी इस गठजोड़ को जारी रखने के हक में नहीं थे, क्योंकि अकालियों के साथ उनकी भूमिका हमेशा ‘छोटे भाई’ की रही। अकाली दल पंजाब विधानसभा की 117 में से BJP को सिर्फ 23 सीटें देता था।
अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद BJP ने खुद को ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रखते हुए कैप्टन और अकाली दल से अलग हुए सुखदेव ढींडसा की पार्टी SAD (संयुक्त) के साथ मिलकर पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा। BJP ने 65, ढींडसा की पार्टी ने 15 और कैप्टन की PLC ने 37 सीटों पर कैंडिडेट उतारे। AAP की आंधी में BJP महज 2 सीटें जीत पाई और अपनी कई परंपरागत सीटें भी हार गई। कैप्टन और ढींडसा का कोई कैंडिडेट जीत नहीं सका।