ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ-II का सोमवार देर रात अंतिम संस्कार कर दिया गया। क्वीन को दफनाने से पहले उनका स्टेट फ्यूनरल हुआ, यानी क्वीन को राजकीय विदाई दी गई। इस दौरान महारानी के पोते प्रिंस हैरी ने राष्ट्रगान नहीं गाया। जब ब्रिटेन का राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द किंग’ गाया जा रहा था, तब रॉयल फैमिली के दो ही लोग खामोश थे। पहले किंग चार्ल्स-III और दूसरे उनके बेटे प्रिंस हैरी। खामोश खड़े हैरी की तस्वीरें सामने आने के बाद लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं। इसे क्वीन का अनादर बताया जा रहा है।
फ्यूनरल के दौरान किंग चार्ल्स-III ने भी नेशनल एंथम नहीं गाया था, तब सवाल उठता है कि अकेले हैरी को ही ट्रोल क्यों किया जा रहा है। दरअसल, ब्रिटिश किंग या क्वीन नेशनल एंथम नहीं गाते हैं, क्योंकि इसमें ईश्वर से उनकी सलामती के लिए ही प्रार्थना की जाती है। उनके अलावा शाही परिवार समेत देश के हर नागरिक से नेशनल एंथम गाने और उसे रिस्पेक्ट देने की उम्मीद की जाती है। हालांकि, इस पर सजा तो नहीं दी जाती, लेकिन इसे अच्छा नहीं समझा जाता है।
प्रिंस हैरी ने कॉफिन को सैल्यूट भी नहीं किया
‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ ने प्रिंस हैरी का एक फोटो भी पोस्ट किया था। इसमें रॉयल गार्ड्स क्वीन एलिजाबेथ के कॉफिन को सैल्यूट करते नजर आए। इस दौरान हैरी क्वीन को सैल्यूट नहीं कर रहे थे। हैरी के दोनों हाथ सीधे पैरों की तरफ थे। फिलहाल, यह साफ नहीं है कि हैरी को रॉयल सैल्यूट से रोका गया या उन्होंने खुद ऐसा किया था। दरअसल, दो साल पहले हैरी और पत्नी मेगन मार्केल रॉयल स्टेटस छोड़ चुके हैं और अमेरिका में रहते हैं।
क्वीन को सैल्यूट नहीं करने वाले लोगों में शाही परिवार के एक और सदस्य प्रिंस एंड्र्यू भी शामिल थे। वे पिछले साल सेक्स स्कैंडल को लेकर विवादों में आए थे और क्वीन एलिजाबेथ ने ही उन्हें बचाया था। लिहाजा यह माना जा रहा है कि किसी भी तरह के विवाद से जुड़े लोगों को फ्यूनरल में रस्मी तौर पर ही शामिल होने की इजाजत दी जाए। प्रिंस हैरी क्वीन की प्री-फ्यूनरल सेरेमनी में भी शामिल नहीं हुए थे। हालांकि, वो क्वीन के निधन वाले दिन यानी 8 सितंबर से ही लंदन में हैं।
प्रिंस विलियम और हैरी ने आंखें नहीं मिलाईं
क्वीन के अंतिम संस्कार के दौरान पूरे वक्त प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी एक साथ रहे। ‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कई घंटे साथ रहने के बावजूद दोनों भाईयों ने एक-दूसरे से बात करना तो दूर आंखें तक नहीं मिलाईं। प्रिंस विलियम की पत्नी केट मिडलटन और प्रिंस हैरी की पत्नी मेगन मर्केल ने भी एक-दूसरे से बातचीत नहीं की।
महारानी पति प्रिंस फिलिप के बगल में दफनाई गईं
क्वीन एलिजाबेथ-II को किंग जॉर्ज मेमोरियल VI चैपल में पति प्रिंस फिलिप के बगल में दफनाया गया। यह विंडसर कासल में मौजूद सेंट जॉर्ज चैपल का ही एक हिस्सा है। इस जगह दफन की जाने वाली शाही परिवार की वो 11वीं सदस्य बनीं। क्वीन के पिता किंग जॉर्ज VI के अलावा मां और बहन भी यहीं दफन की गईं थीं। क्वीन का निधन 8 सितंबर को हुआ था।
वेस्टमिंस्टर हॉल से वेस्टमिंस्टर ऐबे का सफर
रॉयल गार्ड्स की परेड के साथ क्वीन का कॉफिन यानी ताबूत वेस्टमिंस्टर हॉल से वेस्टमिंस्टर ऐबे लाया गया। शाही परिवार के लोग गन कैरिज (तोपगाड़ी) के पीछे चल रहे थे। शाही रीति-रिवाजों के मुताबिक क्वीन के निधन पर शोक जताया गया, प्रेयर्स हुईं। प्राइम मिनिस्टर लिज ट्रस ने छोटा भाषण दिया। शाही परिवार की तरफ से एक प्रस्ताव पढ़ा गया। फिर दो मिनट का मौन रखा गया। किंग चार्ल्स के अलावा कैमिला, डीन ऑफ विंडसर, प्रिंसेस एनी, प्रिंस एडवर्ड, प्रिंस एंड्रू, प्रिंस विलियम और हैरी पूरे कार्यक्रम में मौजूद रहे।
विंडरस कासल में हुईं प्राइवेट फ्यूनरल की रस्में
क्वीन का अंतिम संस्कार दो तरह से हुआ। पहला- स्टेट फ्यूनरल, यानी राजकीय सम्मान के साथ। दूसरा- प्राइवेट फ्यूनरल, यानी पारिवारिक तौर पर अंतिम संस्कार। स्टेट फ्यूनरल में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत करीब 800 VVIPs शामिल हुए। प्राइवेट फ्यूनरल में शाही परिवार के सदस्यों के अलावा सिर्फ क्वीन का पर्सनल स्टाफ शामिल था। आखिरी रस्म की कोई बात सार्वजनिक नहीं की गई। बकिंघम पैलेस ने इसे ‘डीपली पर्सनल फैमिली ऑकेजन’ यानी नितांत निजी कार्यक्रम बताया
वेस्टमिंस्टर ऐबे में स्टेट फ्यूनरल की रस्मों के बाद प्राइवेट फ्यूनरल के लिए ताबूत 40 किलोमीटर दूर विंडसर कासल लाया गया। यहां के सेंट जॉर्ज मेमोरियल चैपल में डीन ऑफ विंडसर ने रॉयल फैमिली और क्वीन के पर्सनल स्टाफ के साथ प्रेयर की। ताबूत रॉयल वॉल्ट में रखा गया। केंटरबरी के आर्कबिशप ने आशीष वचन (Blessings) बोले। रॉयल बैंड ने शोक धुन बजाई। रॉयल जूलर (शाही सुनार) ने क्वीन के ताबूत से क्राउन और बाकी चीजें निकालीं। करीब दो घंटे बाद क्वीन के अंतिम संस्कार की आखिरी रस्म पूरी की गई।
इन देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल नहीं हुए
जिन देशों से ब्रिटेन के रिश्ते अच्छे नहीं हैं, उनके राष्ट्राध्यक्षों को क्वीन के अंतिम संस्कार में शामिल होने का इनविटेशन नहीं भेजा गया। हालांकि, कुछ के ऐंबैस्डर शामिल हुए। ईरान, निकारागुआ और नॉर्थ कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष नहीं, बल्कि ऐंबैस्डर शामिल हुए। रूस और बेलारूस के राष्ट्रपति इसलिए भी शामिल नहीं हो सकते थे, क्योंकि उन पर ब्रिटेन में ट्रैवल बैन है। म्यांमार, सीरिया, वेनेजुएला और अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों को भी न्योता नहीं दिया गया।
सोशल मीडिया पर मकड़ी की चर्चा रही
क्वीन के ताबूत को जब वेस्टमिंस्टर हॉल से वेस्टमिंस्टर ऐबे लाया गया तो एक तस्वीर वायरल हो गई। दरअसल, क्वीन के कॉफिन पर एक कार्ड रखा था। इस पर एक मकड़ी मंडरा रही थी। एक यूजर ने लिखा- यह दुनिया की सबसे मशहूर मकड़ी है।
स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में 96 साल की क्वीन ने अंतिम सांस ली
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 8 सितंबर को निधन हो गया था। वह पिछले कुछ वक्त से बीमार थीं। 96 साल की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय फिलहाल स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में थीं। यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। वे सबसे लंबे समय तक (70 साल) ब्रिटेन की क्वीन रहीं।
महारानी एलिजाबेथ II ने 6 फरवरी 1952 को पिता किंग जॉर्ज की मौत के बाद ब्रिटेन का शासन संभाला। तब उनकी उम्र सिर्फ 25 साल थी। तब से 70 साल तक उन्होंने शासन किया। उन्होंने 2 दिन पहले ब्रिटेन की 15वीं PM लिज ट्रस को शपथ दिलाई थी। वे ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली पहली महिला सम्राट हैं।
ब्रिटेन में जहां भी जाइए, क्वीन एलिजाबेथ से जुड़े प्रतीक आपको हर जगह मिल जाएंगे। पांच पाउंड के नोट हों, या कांसे के बने एक पाउंड के सिक्के। पोस्ट बॉक्स हों, या स्टाम्प। यहां तक कि जार और जैकेट्स पर भी आपको क्वीन एलिजाबेथ की तस्वीर या राजशाही के प्रतीक मिल जाएंगे। सवाल यह उठ रहा है कि ब्रिटेन क्वीन से जुड़े प्रतीकों को कैसे और कब तक बदल पाएगा? इसका सही जवाब मिलना आसान नहीं है।
एलिजाबेथ सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं, 14 अन्य आजाद देशों की भी महारानी थीं। ये सभी देश कभी न कभी ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे थे।
एलिजाबेथ-II तीन बार भारत आईं। 1961, 1983 और 1997 में वो भारत की शाही मेहमान बनी थीं। 1961 में भारत के गणतंत्र दिवस की परेड में भी शामिल हुई थीं। उनके साथ प्रिंस फिलिप भी थे।
70 साल के राज में महारानी एलिजाबेथ की छवि पर कोई दाग नहीं आया, लेकिन इस दौरान शाही परिवार में फूट और मनमुटाव चलता रहा। परिवार में भरोसा टूटता, सवाल उठते तो एलिजाबेथ संभालने की कोशिश करने लगतीं। हर बार कामयाब भी हुईं। इसके सबसे बड़े किरदार क्वीन के बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स रहे। 40 साल पहले कैमिला पार्कर के साथ उनके अफेयर से परिवार का ताना-बाना बिगड़ना शुरू हुआ। इसके बाद इसमें उनकी पत्नी प्रिंसेस डायना, बेटे हैरी, बहू केट और मेगन के नाम शामिल होते गए।