सच्ची आजादी पाने के लिए आपको दर्शनशास्त्र (फिलॉसफी) का गुलाम होना चाहिए।
– ग्रीक फिलॉसफर एपिक्युरस
करिअर फंडा में स्वागत!
मैंने कई लोगों को यह कहते सुना है कि फिलॉसफी एक बेकार सब्जेक्ट है, इसका डेली लाइफ में कोई यूज नहीं है, टाइम वेस्ट मत करो, लेकिन क्या ये सच है? देखते हैं किस तरह फिलॉसफी का ज्ञान हमारे जीवन में यूजफुल हो सकता है।
सबसे पहले, मैं आपसे 5 सवाल पूछता हूं
1) जीवन क्या है?
2) आप खुश कब और क्यों होते हैं?
3) आपके जीवन का मकसद क्या है?
4) दुख हमेशा आसपास क्यों मंडराते दिखते हैं?
5) इस दुनिया में आपके रिश्तों का मतलब क्या है?
क्या आप ढंग से इनका जवाब दे सकते हैं? कोशिश करें।
फिलॉसफी क्या है
जिस प्रकार साइंस इस बात का जवाब ढूंढने की कोशिश करती है कि भौतिक रूप से हम क्या हैं, और ये संसार कैसे बना है, उसी तरह फिलॉसफी बड़े सवालों का जवाब ढूंढती है जैसे (1) हम क्यों है? (2) सही क्या है? (3) गलत क्या है? (4) नॉलेज क्या है? (5) हमें जीवन कैसे जीना चाहिए? (6) ईश्वर है या नहीं?
डेली लाइफ में प्रैक्टिकल लेवल पर यह हमें जीवन जीने का क्लियर-कट विजन देती है, और जो फोर्सेज हमारी लाइफ को प्रभावित कर रहे हैं, उन्हें समझने का तरीका देती है।
पागल हाथी, अंधविश्वास, मौत से साक्षात्कार
) एक बार एक गुरु ने अपने शिष्य को सिखाया कि ईश्वर सभी जगह हैं: तुम में, मुझ में दुनिया के हर जानवर और हर वस्तु में। शिष्य ने यह बात गांठ बांध ली। एक बार शिष्य जिस रास्ते से होकर जा रहा था वहां एक हाथी पागल हो गया था। सभी लोग चिल्लाते हुए, दौड़े जा रहे थे। उन में से कुछ दौड़ते-दौड़ते शिष्य से कह भी रहे थे कि, ‘जान बचानी है तो भागो’, ‘अरे! वहां नहीं जाना, उधर हाथी पागल हो कर लोगों को कुचल रहा है।’
2) शिष्य ने सोचा कि ये लोग तो मूर्ख हैं! जब मुझ में भी वही भगवान है जो हाथी में है, तो फिर डरना कैसा! वो उसी दिशा में चलता रहा। आगे चलने पर उसे हाथी का महावत दौड़ते-बचते आता दिखा, जिसने उसे चेतावनी दी कि भागो, जान बचाओ! लेकिन शिष्य तो डटा रहा – मेरे अंदर भी ईश्वर, हाथी के अंदर भी ईश्वर, आज ईश्वर से ईश्वर का साक्षात्कार होगा।
3) पागल हाथी ने शिष्य को सूंड में उठा कर फेंक दिया और शिष्य को काफी चोटें आईं। उसी हालत में आश्रम में ले जा कर खाट पर लिटाया गया और इलाज किया गया। थोड़ी देर बाद शिष्य को होश आया। वह पास ही खड़े अपने शिक्षक से पूछने लगा, ‘गुरु जी आपने तो कहा था सभी में भगवान है लेकिन हाथी ने बेदर्दी से मुझे पटक दिया!’
4) गुरु ने समझाया, ‘तुम्हें हाथी में तो भगवान दिखा लेकिन उस महावत के अंदर नहीं जो तुम्हें हाथी से बचने के लिए कह रहा था’, और उस से भी बढ़कर बात ‘हाथी को कैसे बताएं कि सब में भगवान हैं?’
ये दृष्टांत मैंने भारतीय दर्शन (इंडियन फिलॉसफी) की गंगोत्री अर्थात उपनिषद से लिया है।
जीवन जीने की तरकीब
कहने का मतलब यह है कि फिलॉसफी की समझ और नॉलेज आपको जीवन जीने का एक क्रिस्टल क्लियर व्यू देता है, कोई कन्फ्यूजन नहीं रह जाता, और आप घटनाओं को स्पष्टता के साथ देख पाते हैं।
5 प्रैक्टिकल उदाहरण
लाइफ में फिलॉसफी यूज करने के 5 मौके
1) माता-पिता से बच्चों की नहीं बनना
2) बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड में जीवन को लेकर हो रही तकरार
3) आपकी कॉम्पिटिटर कंपनी द्वारा मार्केट शेयर छीना जाना
4) आपकी फाइनेंशियल पोजीशन कमजोर होना
5) जीवन में शांति का अनुभव कभी नहीं होना
इन पांचों सिचुएशन में, यदि आप ‘कमी मेरे अंदर है’ सोचना शुरू करेंगे, तो आपको दूसरे का नजरिया समझ आने लगेगा, और फिर बीच की राह निकल आएगी। यही फलसफा है, और यही जीवन में आगे बढ़ते रहने का तरीका भी।
लेकिन ऐसा सोचने के लिए आपको अपने अंदर झांकना होगा, विनम्र बनना होगा और एक फिलोसफर का अंदाज अपनाना होगा।
तो आज की लर्निंग ये है कि
1) फिलॉसफी लॉजिकली सोचने और समस्याओं को हल करने में मदद करती है
लॉजिक, फिलॉसफी का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस पर ईस्टर्न और वेस्टर्न दोनों फिलॉसॉफियों में काफी कुछ लिखा गया है। विश्लेषण से आप एक बेहतर विचारक बन जाते हैं।
2) फिलॉसफी कम्युनिकेशन स्किल्स बढ़ाती है, यह सेल्फ-एक्सप्रेशन के कुछ बेसिक टूल्स प्रदान करता है
जैसे, अच्छी तरह से निर्मित, व्यवस्थित लॉजिक के माध्यम से विचारों (बोलकर या लिखकर ) को प्रस्तुत करने की स्किल्स।
3) फिलॉसफी के नॉलेज से समझाने की शक्ति बढ़ती है
यह हमें समझाने की हमारी क्षमता को विकसित करने में मदद करता है। हम अपने विचारों का निर्माण और बचाव करना सीखते हैं और ये व्यक्त करना सीखते है कि हम अपने विचारों को विकल्पों के लिए बेहतर क्यों मानते हैं।