ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई आज:मुकदमे में पार्टी बनने के लिए 20 अर्जियों को सुनेंगे जज; मसाजिद कमेटी ने 8 हफ्ते का समय मांगा

ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस की नियमित सुनवाई आज से वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में शुरू होगी। बीती 12 सितंबर को जिला जज की कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्तियों को खारिज करते हुए आदेश दिया था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है। इसके साथ ही सुनवाई की अगली डेट 22 सितंबर फिक्स कर दी थी।

जिला जज की कोर्ट के आदेश के खिलाफ मसाजिद कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन दाखिल कर सकती है। मसाजिद कमेटी की रिवीजन पिटीशन के मद्देनजर हिंदू पक्ष की महिलाओं की ओर से हाईकोर्ट में कैविएट पिटीशन दाखिल की जा चुकी है। ताकि, अदालत कोई भी आदेश देने से पहले वादिनी महिलाओं का पक्ष जरूर सुने।

पार्टी बनने के लिए दी गई एप्लिकेशन पर होगी सुनवाई
वादिनी महिलाओं के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुभाष त्रिपाठी के अनुसार, आज सबसे पहले उन एप्लिकेशन पर सुनवाई होगी जिन्होंने श्रृंगार गौरी केस में पार्टी बनने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया है। ऐसी एप्लिकेशन की संख्या 20 से ज्यादा है। इन एप्लिकेशन पर सुनवाई के अलावा केस पॉइंट यानी वाद बिंदु भी तय किया जाएगा। संबंधित पक्षकार केस में अपनी जवाबदेही भी कोर्ट में दाखिल करेंगे। इसके अलावा ज्ञानवापी के तहखाने की कमीशन की कार्रवाई के लिए हमारी ओर से पहले ही एप्लिकेशन दी गई थी। उस पर भी सुनवाई होनी है।

हमें 8 हफ्ते का समय दिया जाए
मसाजिद कमेटी के एडवोकेट रईस अहमद और एखलाक अहमद ने बताया कि हमारी ओर से एक एप्लिकेशन दी गई है। हमने कोर्ट को बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि श्रृंगार गौरी केस को जिला जज स्तर के न्यायाधीश सुनेंगे। अगर उनके आदेश से कोई पक्ष असहमत होता है तो वह उसके खिलाफ उच्च अदालत में जा सकता है।

इसके लिए उसे 8 हफ्ते का समय दिया जाना चाहिए। इसलिए हमने कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए हमें 8 हफ्ते का समय देने पर विचार करें। कोर्ट ने हमारी एप्लिकेशन पर सुनवाई के लिए 22 सितंबर की डेट फिक्स की है।

साल भर पहले दाखिल हुआ था केस
18 अगस्त 2021 को विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था।

पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो। कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था।

इसके विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने आदेश सुनाया कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है।