शिवसेना विवाद में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने पार्टी पर शिंदे गुट के दावे को लेकर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटा दी है।
अब आयोग शिवसेना के चुनाव चिह्न पर फैसला कर सकता है। यह उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि उद्धव ने इस मामले में विधायकों की योग्यता का फैसला होने तक इलेक्शन कमीशन की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
उद्धव की याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 अगस्त को जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने केस संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर करते हुए चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जस्टिस रमना ने कहा था कि संवैधानिक बेंच यह तय करेगी कि आयोग की कार्यवाही जारी रहेगी या नहीं। इससे पहले चुनाव आयोग ने सिंबल को लेकर शिंदे गुट की याचिका पर सभी पक्षों को नोटिस भेजकर जवाब देने के लिए कहा था।
शिवसेना विवाद में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने पार्टी पर शिंदे गुट के दावे को लेकर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटा दी है।
अब आयोग शिवसेना के चुनाव चिह्न पर फैसला कर सकता है। यह उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि उद्धव ने इस मामले में विधायकों की योग्यता का फैसला होने तक इलेक्शन कमीशन की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
उद्धव की याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 अगस्त को जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने केस संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर करते हुए चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जस्टिस रमना ने कहा था कि संवैधानिक बेंच यह तय करेगी कि आयोग की कार्यवाही जारी रहेगी या नहीं। इससे पहले चुनाव आयोग ने सिंबल को लेकर शिंदे गुट की याचिका पर सभी पक्षों को नोटिस भेजकर जवाब देने के लिए कहा था।
20 जून से शुरू हुआ था शिवसेना का विवाद
शिवसेना का विवाद 20 जून से शुरू हुआ था, जब शिंदे के नेतृत्व में 20 विधायक सूरत होते हुए गुवाहाटी चले गए थे। इसके बाद शिंदे गुट ने शिवसेना के 55 में से 39 विधायक के साथ होने का दावा किया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था।
शिंदे ने अयोग्यता के आरोप को गलत बताया था
पिछली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि हमारे ऊपर अयोग्यता का आरोप गलत लगाया गया है। हम अभी भी शिवसैनिक हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि शिंदे गुट में जाने वाले विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से तभी बच सकते हैं, अगर वो अलग हुए गुट का किसी अन्य पार्टी में विलय कर देते हैं। उन्होंने कहा था कि उनके बचाव का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
महाराष्ट्र सियासी संकट का पूरा घटनाक्रम समझिए…
- 20 जून:शिवसेना के 15 विधायक 10 निर्दलीय विधायकों के साथ पहले सूरत और फिर गुवाहाटी के लिए निकल गए।
- 23 जून: शिंदे ने दावा किया कि उनके पास शिवसेना के 35 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। लेटर जारी किया गया।
- 25 जून: डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा। बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
- 26 जून: सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना, केंद्र, महाराष्ट्र पुलिस और डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा। बागी विधायकों को राहत कोर्ट से राहत मिली।
- 28 जून: राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा। देवेंद्र फडणवीस ने इसकी मांग की थी।
- 29 जून: सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
- 30 जून: एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाए गए।
- 3 जुलाई: विधानसभा के नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी। अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया।
- 3 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा- हमने 10 दिन के लिए सुनवाई क्या टाली आपने (शिंदे) सरकार बना ली।
- 4 अगस्त: SC ने कहा- जब तक ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न ले
- 4 अगस्त: सुनवाई के बाद मामले की सुनवाई तीन बार टली। यानी 23 अगस्त से पहले 8, 12 और 22 अगस्त को कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया।
- 23 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट में मामला संविधान पीठ को ट्रांसफर किया। चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाई।
- 27 सितंबर: संविधान पीठ ने शिवसेना पर दावेदारी के मामले में चुनाव आयोग की कार्यवाही से रोक हटाई।
1. उद्धव वर्सेस शिंदे शिवसेना विवाद: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि इस विवाद का जल्द निपटारा हो। हम यह देखना चाहते हैं कि स्पीकर के अधिकार क्षेत्र और चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में क्या कोई कॉन्ट्राडिक्शन है।’
इस पर वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- चुनाव आयोग में जिस व्यक्ति ने केस दाखिल किया है, वह शिवसेना का सदस्य ही नहीं है।
2. EWS रिजर्वेशन: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस यूयू ललित की बेंच में सातवें दिन की सुनवाई हुई। सरकार ने कहा कि आरक्षण देने के लिए 50% का जो बैरियर है, उसका टूटना क्या चौंकाने वाला है? इस पर याचिकाकर्ता के वकील शंकरनारायण ने कहा- सुप्रीम कोर्ट में ही यह स्ट्रक्चर तय किया गया है, इसे तोड़ा नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जनवरी 2019 में केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े समान्य वर्ग के लोगों को 10% आरक्षण देने की घोषणा की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
3. LG वर्सेस दिल्ली सरकार: सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अब नवंबर में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की संवैधानिक बेंच में होगी। दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल इस याचिका में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में उप-राज्यपाल की शक्ति को चुनौती दी गई है।
आज से संविधान पीठ की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू हुई
सुप्रीम कोर्ट के लिए मंगलवार का दिन ऐतिहासिक रहा। आज से लोग संविधान पीठ की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग देख सकेंगे। इसकी शुरुआत आज उद्धव वर्सेस शिंदे केस से हुई। उद्धव गुट की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील रखी। उन्होंने कहा, ‘कोर्ट के 29 जुलाई के आदेश की वजह से यह सब हुआ। जब अयोग्यता का मामला पेंडिंग है, तो चुनाव आयोग सिंबल पर फैसला कैसे कर सकता है।’ उधर, पीठ ने कहा कि हम इस मामले को जल्द सुलझाना चाहते हैं।
SC ने संविधान पीठ के सामने लगे मामलों की सुनवाई के लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की है। इन मामलों में EWS आरक्षण, महाराष्ट्र शिवसेना विवाद, दिल्ली-केंद्र विवाद शामिल हैं। दरअसल, पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने का फैसला किया था।
2018 को भारत के तत्कालीन CJI ने दी थी लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति
हाल ही में CJI की अध्यक्षता में कोर्ट मीटिंग हुई थी। इसमें 27 सितंबर से सभी संविधान पीठ की सुनवाई की कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम करने का निर्णय लिया गया था। बता दें कि 27 सितंबर 2018 को भारत के तत्कालीन CJI दीपक मिश्रा ने संवैधानिक महत्व के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी थी। हालांकि यौन उत्पीड़न और वैवाहिक मामलों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए अनुमति नहीं थी।