लखनऊ के ईको गार्डेन में 69000 शिक्षक भर्ती के 6800 अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। बुधवार को सरकार ने वादा किया कि अगले 48 घंटे में अभ्यर्थियों से बात की जाएगी। गुरुवार तक बात नहीं हो सकी। हालांकि अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि शुक्रवार को सरकार के प्रतिनिधि उनसे बात करके नियुक्ति के लिए जरूरी फैसले लेंगे।
दैनिक भास्कर की टीम गुरुवार को अभ्यर्थियों के पास पहुंची। हमने यह जानने की कोशिश की कि मामला फंसा कहा है? आंदोलन के अगुवा अभ्यर्थियों के साथ शामिल सभी अभ्यर्थियों से बात की। उनकी बातें नीचे ग्राफिक में हैं।
- आइए पहले भर्ती की कानूनी प्रक्रिया को समझते हैं..
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अभ्यर्थी बोले- पुराने शिक्षा मंत्री इस पूरे घोटाले में शामिल
हमने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र सिंह पटेल से पूछा कि आप लोगों के साथ हुए धोखे का मुख्य किरदार कौन है?अमरेंद्र ने बताया, ”पिछली सरकार में शिक्षा मंत्री रहे सतीश द्विवेदी इस पूरे घोटाले में शामिल थे। चुनाव से ठीक पहले उन्हें लगा कि अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ तो 6800 पदों पर भर्ती की बात कह दी।” अमरेंद्र कहते हैं, “योगी जी ने बेसिक शिक्षा विभाग को आदेश भी दिया कि इन्हें नियुक्ति दो, लेकिन अधिकारी नहीं करवा सके। वो चाहते तो नियुक्ति का प्रोसेस बीएसए ऑफिस में फॉलो करवा लेते।”
नियुक्ति का पेंच फंसा कहां है?
इस सवाल के जवाब में अमरेंद्र कहते हैं, “सरकार अगर चाह ले, तो नियुक्ति मिल जाए। कोर्ट तो 20 बार बोल चुका है कि गलती आपने की है, सुधार भी आप कीजिए। सरकार चाहे तो सुपर न्यूमेरिक पोस्ट क्रिएट कर ले या फिर कैबिनेट में चर्चा करके सीटों को बढ़वा ले। इन्होंने तो कोर्ट में भी माना कि हमसे गलती हुई है।”कब तक आंदोलन करेंगे?
इस सवाल के जवाब में अमरेंद्र कहते हैं, ”हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं है। हम यह लड़ाई लड़ेंगे। हम संविधान को मानने वाले लोग हैं, उपद्रवी नहीं हैं।”
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क्या सच में गलती सरकार की है?
रमा इस आंदोलन में महिला अभ्यर्थियों का नेतृत्व करती हैं। वह बताती हैं, ”5 जनवरी, 2021 को जब लेटर जारी हुआ तो उसके बाद यहां बहुत बार आए। शिक्षा मंत्री संदीप सिंह से मिले। हर बार लॉलीपॉप पकड़ा कर वापस भेज दिया जाता है। सब्र का बांध टूट गया है। अधिकारी सीधे मुंह बात नहीं करते। अब हम सीएम योगी से मिलना चाहते हैं।”रमा कहती हैं, ”अगर एक बार योगी जी से मुलाकात हो जाए तो हमारी नियुक्ति का मामला साफ हो जाएगा।”
अब सवाल है क्या सीएम योगी के आदेश से यह मामला क्लियर हो जाएगा?
इसका जवाब है, “हां”। इसके लिए हम पुराने आदेश को देख सकते हैं। 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी-एससी आरक्षण को लेकर विसंगति हुई। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 29 अप्रैल 2021 को आदेश दिया कि बेसिक शिक्षा परिषद गलतियों को सुधारे और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नौकरी दे। लेकिन विभाग ने नहीं सुना। 22 जून 2021 से अभ्यर्थी सड़क पर उतर गए। 6 महीने संघर्ष चला पर आदेश नहीं हुआ। सीएम योगी ने जैसे ही नियुक्ति का आदेश दिया, तत्काल लिस्ट जारी कर दी गई। ऐसे में अभ्यर्थियों की उम्मीद फिर से सीएम योगी से है। - ”मेरी बेटी कहती है, अबकी बार लखनऊ नहीं जाने देंगे”
आंदोलन में सीतापुर की कंचन अपनी दो साल की बेटी को घर पर छोड़कर आई हैं। कहती हैं, ”बेटी का फोन आता तो वह कहती है, मम्मी घर वापस आ जाओ। इस बार आओगी तो जाने नहीं देंगे, घर में रख लेंगे।” इतना कहते हुए कंचन रोने लगी। खुद को संभाला और कहा, ”हम अपना हक ही तो मांग रहे हैं, किसी का हिस्सा तो नहीं मांग रहे हैं।”